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मेरा सोच
नव निर्माण की चुनौती,
कायाकल्प की आशा,
विकास की सोच,
साकार होगी निःस्वार्थता से।
समाज सुधार की धारणा,
जीवन मूल्यों की रक्षा,
राष्ट्र की प्रगति,
सम्भव होगी एकता से।
मातृ भूमि की अस्मिता,
मानव मूल्यों की उत्कृष्टता
समरसता की अवधारणा,
अक्षुण्ण रहेगी समानता से।
बौद्धिक शक्ति की लब्धता,
विकास की प्रवीणता,
संस्कृति की अटूटता,
सुरक्षित रहेगी समर्पण से।
सर्वधर्म समभाव से अनुप्राणित,
स्वस्फूर्त उर्जा से अनुशासित,
दावित्व-बोध से सुस्थापित,
इस राष्ट्र की सशक्तता हो सदा अबाधित।
- डॉ. ललित फरक्या 'पार्थ'
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