Hindi Bal Kahani on Diwali
Badri Prasad Verma Anjaan Ki Bal Kahani
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बाल कहानी : पटाखें नहीं दिलवाऊंगा
दिवाली का दिन था मोहल्ले के बच्चे खूब पटाखे छोड़ कर दिवाली मना रहे थे।
मगर ओम घर में बार बार अपने पापा से पटाखें दिलवाने को कह रहा था। मगर उसके पापा ने साफ कह दिया मैं पटाखे नहीं दिलवाऊंगा।
पिछले साल मोहल्ले के के लड़के सतीश नवीन और गोपाल पटाखा छोड़ते समय बुरी तरह जल गए उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, पिछले साल की घटना को याद कर के ओम के पापा ने ओम को पटाखा न दिलवाने का फैसला कर लिया था।
पटाखा न पा कर ओम रोने लगा तभी ओम की मम्मी बोल पड़ी आप तो बहुत कठोर दिल के इंसान हैं बच्चा रो रहा है और आप को उसपर दया भी नहीं आ रही है कैसे इंसान हैं आप जो बच्चे की खुशी भी छीन लेना चाहते हैं मैं कहती हूं जब तक आप ने ओम को पटाखे नहीं दिलवाया तब तक मैं भी घर में चुपचाप बैठी रहूंगी।
तुम कुछ भी कह लो मगर मैं पटाखे नहीं दिलवाऊंगा क्या पता ओम भी कहीं जल गया तो मुसीबत कौन उठाएगा?"
इसे रोने दो। वैसे भी सरकार पटाखे छोड़ने पर पाबंदी लगा चुकी है। पटाखे छोड़ कर हम खुशी मनाते हैं और वातावरण में खूब प्रदुषण फैलाते हैं। दिल्ली में देखो प्रदुषण के कारण लोग कितना परेशान हैं प्रदुषण के कारण वहां की सरकार ने स्कूल कालेज कुछ दिनों के लिए बंद करा दिया है।
अभी ओम के पापा बात ही कर रहे थे कि बाहर से बचाओ बचाओ की शोर आने लगी।
शोर सुनकर ओम के पापा घर से बाहर आ कर सारा नजारा देखने लगे।
मोहल्ले के लड़के टनटन रुद्राक्ष पटाखें से बुरी तरह जल गए। उनके मम्मी पापा बहुत गरीब थे फिर भी चंदा मांग कर उन दोनों को अस्पताल में भतीॅ कराया गया।
तभी मोहल्ले के सभासद मोनू बाबू ने पुरे मोहल्ले में मुनादी करवा दी कि अब कोई बच्चा न पटाखें खरीदेगा न पटाखे छोडे़गा।
मुनादी सुनकर ओम अपने पापा से बोल पड़ा मुझे अब नहीं चाहिए पटाखे, मैं अपनी दिवाली बिना पटाखे जला कर मनाऊंगा।
इधर रुद्राक्ष और टनटन को उनके मम्मी पापा जीप से ले कर अस्पताल जाने लगे।
बम से रुद्राक्ष और टनटन के हाथ पैर मुंह बुरी तरह जल गया।
और दोनों ददॅ से खूब कराह रहे थे। तभी ओम के पापा बोल पड़े
देखा न ओम बेटा पटाखें छोड़ने से क्या मिला इन दोनों बच्चों को?"
पापा की बात सुनकर टनटन के माता पिता को और रुद्राक्ष के माता पिता को अपनी तरफ से दस दस हजार रुपया दे कर बोले रुपयों की कमी पड़े तो आ कर हमारे दुकान से ले जाना। इतना कह कर ओम के पापा दोनों बच्चों को देखने के लिए अस्पताल की ओर चल दिये।
अब ओम को पटाखों से डर लगने लगा था और पटाखे छोड़ने कि बात को भूला दिया था। उसने अपने मम्मी पापा से बोला अब हम कभी पटाखें खरीदवाने और पटाखे छोड़ने का जिद्द नहीं करुंगा।
क्या पता पटाखों से कही मैं भी न जल जाऊं। ओम की इतनी बात सुनकर ओम के पापा ओम को खूब शाबसी देने लगे।
- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
गल्ला मंडी गोला बाजार
गोरखपुर 273408 (उ.प्र)
मोबाइल न. 9838911836
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