कुनाल मीना की कविता कचरा बीनने वाला

Dr. Mulla Adam Ali
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Poem on Garbage Collector : Garbageman Hindi Kavita

Poem on Garbage Collector

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कुनाल मीना की कविता

कचरा बीनने वाला


नंगे पांव तपती धूप में

हाथ मे लेकर कचरे का थैला।

कचरे मे से कचरा चुनता

भरी दोपहर मे वो अकेला ।


पेट से भूखा, आधा ढका शरीर

फिर भी चेहरा मुस्कान भरा।

उम्र से ज्यादा बोझ कंधों पर

लेकिन पीडा का ना नाम जरा।


आते-जाते लोग देखते

पर वो ना जरा भी झिझकाता।

जिन हाथों मे होनी थी किताब

हाय! उनसे कचरा चुनता जाता


इस दुनिया से अनजाना वो

उसे कचरे मे ही संसार लगे।

पेट की भूख क्या होती है

उससे पूछो जिसके पेट मे आग लगे।


- कुनाल मीना

दौसा, राजस्थान

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