यादें : अशोक श्रीवास्तव कुमुद की नवीन काव्य संग्रह तरंगिणी से

Dr. Mulla Adam Ali
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Yaadein: Ashok Srivastava 'Kumud' Poetry in Hindi

Yaadein: Ashok Srivastava 'Kumud' Poetry in Hindi

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यादें

(अशोक श्रीवास्तव कुमुद की नवीन काव्य संग्रह तरंगिणी से)


भूलना चाहता रहता हूँ पुरानी यादें।

जख्म के ढेर में दर्दों की कहानी यादें।।


जख्म पे जख्म मोहब्बत में लगाती घातें।

हुस्न की याद में आँसू को बहाती रातें ।

बेवफाई हुई रस्मों सी रवायत यारों;

मुसलसल जिल्लतें मायूसी बढ़ाती बातें।

     

सिलसिले दर्द के मसलों की रवानी यादें।

जख्म के ढेर में दर्दों की कहानी यादें।।


मान जर्रा लिया खुद को सनम की निस्बत में।

वश नहीं था कि मोहब्बत की रहें खिदमत में।

दोष उन का नहीं लोगों का न मोहब्बत का;

प्रीत की छांव में दिन गुजरे नहीं किस्मत में।


रंग बेरंग से निकले वो जुबानी वादें।

जख्म के ढेर में दर्दों की कहानी यादें।।


आरजू प्यार की हो उससे नहीं तो किससे।

बेवफा हूँ नहीं मैने तो वफा की सबसे।

इश्क में सर कटाते हैं दिल लुटाने वाले;

हुस्न की चाह में दम निकले नहीं गम रब से।


डूबकर दर्द में मिटती सब सुहानी यादें।

जख्म के ढेर में दर्दों की कहानी यादें।।

- अशोक श्रीवास्तव "कुमुद"

राजरूपपुर, प्रयागराज

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