Historical novelist : Vrindavan Lal Verma
ऐतिहासिक उपन्यासकार : वृन्दावनलाल वर्मा
बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न वृन्दावनलाल वर्मा जी के आगमन से पहले हिन्दी में ऐतिहासिक उपन्यास की परम्परा नही थी। हिन्दी में सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, आंचलिक, धार्मिक-सांस्कृतिक और ऐतिहासिक उपन्यास लिखे गये। ऐतिहासिक उपन्यास लिखने की शुरुआत वृन्दावनलाल वर्मा ने ही की है। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि इतिहास का साहित्यिक प्रतिपादन ऐतिहासिक उपन्यास की पहचान का प्रमुख आधार है। अतीत हमारे लिए प्रेरक आधार होता है। वृन्दावनलाल वर्मा ने भारत के इतिहास और उसकी महानता को दृष्टि में रखकर कई ऐतिहासिक उपन्यास लिखे है और हिन्दी में इनकी एक स्वस्थ परम्परा शुरू की है। विगत युग के सामाजिक चित्रण के द्वारा एक विशिष्ट विचारधारा का प्रतिपादन किया है। राष्ट्रीयता, राजनीतिक स्वतंत्रता, आदर्शप्रियता, कर्तव्यनिष्ठा त्याग और बलिदान मानव और समाज के कल्याण की भावना इनके उपन्यासों की सामान्य विशेषताएँ है।
वर्माजी ने उपन्यास कहानी और नाटक की विधा में मौलिक साहित्य तो हिन्दी जगत को समर्पित किया ही बुन्देलखण्ड के लोकगीतों का संपादन किया तथा रिपोर्ताज लेखन भी उन्होंने किया-उनके ऐतिहासिक उपन्यास गढकुण्डार विराटा की पद्मिनी, झाँसी की रानी, मुसाहिबजू, कंचनार, मृगनयनी, टूटे काँटे, अहिल्याबाई, भुवनविक्रम, माधवजी सिंधिया आदि। इनमें से 'मृगनयनी' उपन्यास विविध संस्थाओं से पुरस्कृत हुआ। इस पर उन्हें हरजीमल डालमियाँ पुरस्कार मिला। साहित्यकार, सांसद उत्तर प्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश सरकार ने भी इस पुस्तक पर पुरस्कार देकर इसके साहित्यिक महत्व को मान्य किया। ऐतिहासिक उपन्यासों में मृगनयनी एक महान ऐतिहासिक उपन्यास है।
मृगनयनी, उपन्यास में इतिहास का साहित्यिक प्रतिपादन किया गया है। इस अर्थ में इसमें मानसिंह तोमर कालीन ग्वालियर राज्य की इतिहास प्रसिद्ध घटनाओं का चित्रण किया है। वर्माजी ने खुद घूम-फिर कर ऐतिहासिक सामग्री का संकलन किया है। मृगनयनी की ऐतिहासिकता की सबसे बडी कसौटी ऐतिहासिक पात्रों को लेकर है। इसमें आये मानसिंह, मृगनयनी, बोधन, विजय जंगम, सिकंदर लोदी, गयासुद्दीन आदि इतिहास प्रसिद्ध पात्र है। लाखी, अटल, कला आदि मुख्य पात्रों की कथा को आगे बढाने के लिए लाये गए है। बैजनाथ, जो बैजूबावरा नाम से प्रसिद्ध है, मानसिंह मृगनयनी के गायक थे। मृगनयनी गूजर कुल की थी। राई गाँव की किसान बालिका थी। बोधन ब्राम्हण ऐतिहासिक व्यक्ति थे। इस तरह 'मृगनयनी' में प्रमुख कथा, इतिहास सम्मत पात्रों से जुडकर चली है।
मृगनयनी में प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों तथा उनसे जुडी हुई घटनाओं का आधार लिया गया है। उद्देश्य के अनुरूप इनसे जुडे हुए कथा-प्रसंगों का संयोजन किया गया है। नरवर किले पर सिकंदर लोदी का आक्रमण और वहीं की कलात्मक चीजों को नष्ट करना ऐतिहासिक घटना है। इस घटना समावेश से इतिहास को उपन्यास का निकट सम्बन्ध हो गया है।
ऐतिहासिक कथानकों के बीच प्रेम की रंगीनी को मिलाकर उपन्यास लिखने में वर्माजी पूर्णतः सफल रहे है। इस ऐतिहासिक महान उपन्यासकार का जन्म झाँसी जिले में मकरानीपुर ग्राम में 9 जनवरी सन् 1889 में हुआ था। वर्माजी हिन्दी के सफल गद्यकार है और उन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, नाटक आदि को अपनी कृतियों से समृद्ध किया है। ऐसे महान साहित्यकार का 23 फरवरी 1969 ई. को निधन हो गया।
- एस. दत्ता
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