Hum Sapnon Ke Saudagar Hain
Poem by Dr. Giriraj Sharan Agarwal
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हम सपनों के सौदागर हैं
कभी बाँटते हम सपनों को
फिर ले आते हैं अपनों को
ढोल बजाते हैं हम सच का
खून चूसते हैं उतनों का
मोहित करते हैं जनता को
हम शब्दों के जादूगर हैं।
अपना काम शपथ लेना है
इसके बाद सिर्फ लेना है
तुमने हमको वोट दिया है
इतना ही लेना-देना है
हम अपनी तकदीर लिखेंगे
राजनीति के हम डीलर हैं।
कलाकार हैं, लचकदार हैं
समझदार हैं, होनहार हैं
पानी पर लिखते इबारतें
निर्विकार हैं, हम विकार हैं
सृजनकार, हम ही संरक्षक
हम ही विषधर, हम नटवर हैं।
कितने रूप बनाए हमने
कितने रंग जमाए हमने
कुर्सी को पाने की खातिर
कितने धक्के खाए हमने
राजनीति के कुशल खिलाड़ी
हम ऊसर हैं, हम सागर हैं।
- डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल
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