Poem On Bharat Mata In Hindi
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Poem On Bharat Mata In Hindi
'भारत-माता'
अनुशासन हीन, स्तवन है
अनुगमन हीन, अनुमोदन है
श्रम से भागीरथ भाग रहे
भारत माता हम जाग रहे ।।1।।
हम डूब रहे नित स्वार्थों में
अपने-अपने आदर्शों में
हम भ्रमित-भीड़ में लाँघ रहे
भारत माता हम जाग रहे ।।2।।
बर्बरता है, शजरत्व नहीं
लोलुपता हे, लालित्य नहीं
हम अपनी संस्कृति जाँच रहे
भारत-माता हम जाग रहे ।।3।।
अपनत्व नहीं अन्धत्व भरा
शत्रुत्व सजा, भ्रातृत्व लजा
हम 'अपनापा' को छाज रहे
भारत-माता हम जाग रहे ।।4।।
जड़ता-शठता रंग हरा-भरा
देवत्व-देव में मरा-मरा
मानवता से हम 'बाज' रहे
भारत-माता हम जाग रहे ।।5।।
पशुता-दानवता कोढ़-छोड़
हर अन्तस, नाता जोड़-जोड़
हम 'लाल' यही वर माँग रहे
भारत-माता हम जाग रहे ।।6।।
- लालताप्रसाद मिश्र 'लाल'
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