Situation of conflict and New Year's resolution : Dr. Pradeep Upadhyay
पसोपेश की स्थिति और नववर्ष का संकल्प
"क्यों पण्डित, इस बार नये वर्ष के आगमन पर कौन सा संकल्प ले रहे हो!"दद्दा जी ने कटाक्ष करते हुए पूछा या सहज भाव से, लेकिन मैंने उनके इस भाव को सामान्य रूप में ही लिया और कहा- "सोचता हूं कि इस बार भी नववर्ष पर कुछ संकल्प ले ही लूं। वैसे दद्दा आपको स्मरण करा दूं कि संकल्प तो हर वर्ष लेता आया हूं।"
"क्या इस साल कुछ अच्छी आदतें अपनाने का इरादा है या फिर कुछ बुरी आदतें जैसे दारू-वारू, बीड़ी-सिगरेट छोड़ने का संकल्प!"
"नहीं दद्दाजी,ऐसी कोई बुरी आदतें हैं नहीं और अच्छी आदतों के हिसाब से पहले ही ढले हुए हैं। हां, अपने शौक लेखन के बारे में ही हर वर्ष संकल्प लेता रहता हूं।"
"चलो,यह तो अच्छी बात है! लेकिन यह बताओ कि क्या हर बार अपने संकल्पों को पूरा कर लेते हो, या यूं ही चुहलबाज़ी करते रहते हो।" उन्होंने फिर तंज कसा।
"अरे नहीं दद्दाजी, इसमें मेरा कसूर नहीं है लेकिन क्या करूं!अब लेखन कर्म में बादाम-पिश्ता की जुगाड़ तो हो नहीं सकती और दिमाग के कुपोषित रह जाने से भुलक्कड़पन आ ही गया है।कहने वाले कहते भी हैं कि बहुत ज्यादा भुलक्कड़ हो गए हो।अब इसे अपना दुर्भाग्य ही कहूंगा कि नये वर्ष के आगमन के साथ ही शायद मैं डाक्टरों की भाषा में अल्जाइमर का शिकार हो जाता हूं और पिछला कहा-सुना सब भूल जाता हूं, यहां तक कि नये वर्ष में नये लक्ष्य,नई संकल्पनाएं, नई योजनाएं सभी तो विस्मृत हो जाती हैं। जब तक वापस उन संकल्पों को अपने स्मृति पटल पर लाने की कोशिश करता हूं तो पता चलता है कि अरे,अब तो नया साल आने वाला है!और फिर नये संकल्पों को बुनने-घड़ने में लग जाता हूं।"
"हां पण्डित,यह तो अच्छा करते हो। अच्छा है पुराने को राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों की तरह ही विस्मृत कर देना और नये-नये लोकलुभावन नारे और घोषणाओं की तरह नये संकल्पों का सृजन कर लेना!"
"अरे नहीं दद्दाजी, हम तो ठहरे कलमकार,हम कहां झूठ-फरेब की दुनिया से वास्ता रखने वाले! हमें कोई झूठा, बेवफा साबित कर दे, ऐसा हम चाहेंगे नहीं।और फिर हम दारूबाजों जैसे भी नहीं कि रात को दारू पीकर दारू छोड़ने की कसम खाई और सुबह दारू के उतारे के साथ कसम तोड़ दी।"
"अच्छा चलो बताओ कि इस बार ऐसे कौन से नए संकल्प लेने का इरादा है। "दद्दा ने काइंया अंदाज में पूछा।
"दद्दा, अब यह सम्मान और पुरस्कार की चाहत मरने लगी है।हमने सोच लिया है कि कहीं भी सम्मान-पुरस्कार के लिए आवेदन, प्रविष्ठियां नहीं भेजेंगे और न ही कहीं से सिफारिशें ही करवाएंगे। यह भी क्या बात है कि सम्मान-पुरस्कार के लिए हाथ फैलाया जाए।"
"विचार तो अच्छा है लेकिन क्या इस संकल्प पर टिक पाओगे। आजकल तो सम्मान-पुरस्कार के लिए आवेदन या प्रविष्ठियां ही बुलाई जाने लगी हैं या फिर बड़ी हस्तियों की संस्तुतियां।इनके बिना तो तुम अपने रेकार्ड में कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियों को जोड़ ही नहीं पाओगे। आपकी उपलब्धियां आपके लेखन से ज्यादा आपके द्वारा अटोपे गए सम्मान-पुरस्कार से गिनी जाती है।"
"बात तो सही है दद्दा, लेकिन ऐसे पुरस्कार आर्टिफिशियल ज्वेलरी से अधिक कुछ नहीं हैं।इनकी चमक-दमक जरूर ज्यादा दिखाई देती है लेकिन पहनने वाला ही जानता है कि यह खोटा माल है।"
"अरे भाई, इससे किसे वास्ता है कि माल खरा है या खोटा! आभूषणों से भरा हुआ सुंदरी का गला उसकी कुलीनता की निशानी है,ठीक उसी तरह साहित्यकारों की सूची में पाए गए सम्मान-पुरस्कार उसकी प्रतिष्ठा में चार चांद लगाते हैं। इसमें कोई यह थोड़े ही देखा जाता है कि वे किस तरह से हासिल किए गए हैं। और हां,आजकल पुरस्कार-सम्मान तो डिस्काउंट रेट पर भी आफर किए जा रहे हैं। ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है।"
"लेकिन मुझे लगता है कि तुमने निराशा में ही यह संकल्प लेने का फैसला किया होगा। आजकल एकला चलो से काम नहीं चलता।मैं तुम्हें ओब्लाइज करूं, तुम मुझे।और फिर साहित्य के मठों से दूरी रखोगे तो कोई तुम्हें पूछने वाला नहीं है। तुम्हें पता होगा कि लास एंजिल्स में लेकर हालीवुड पार्क में प्रसिद्ध चित्रकार विंसेंट वैन गाग के सम्मान में उनके पोट्रेट वाला बानवे फीट ऊंचा हाट एयर बलून लांच किया गया था।और यह भी तब जबकि वैन गाग के जीवित रहते उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला। वे मानसिक रोग से पीड़ित रहे और इस पीड़ा के चलते अपना कान भी काट लिया था। उन्होंने सैंतीस साल की उम्र में ही खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसीलिए निशुल्क परामर्श दे रहा हूं कि किसी तरह के फ्रस्ट्रेशन में न आते हुए ऐसे संकल्पों को तिलांजलि दो और नये साल में डिस्काउंट रेट पर सम्मान-पुरस्कार पाने का संकल्प ले दो।"
दद्दा जी के परामर्श के बाद अब मैं पसोपेश की स्थिति में हूं और नववर्ष पर किसी संकल्प के लिए नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा हूं।
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