हे प्रभो! मुझे इस एवरेस्ट पर मत चढ़वा : हिन्दी व्यंग्य

Dr. Mulla Adam Ali
0

Hindi Vyangya : Hindi Satire by B. L. Achha Ji

Hindi Vyangya lekh

हे प्रभो! मुझे इस एवरेस्ट पर मत चढ़वा

- बी.एल. आच्छा

      लेखन और पांडित्य भी बड़ी गठरी है। सध जाए तो निहाल, अनसधे पाठक मिलें तो बेहाल। पर लेखन का वजन अनिवार्य लक्षण बन जाए तो क्या चारा? यों भी भावों की राधा कूच कर जाती है और धाराओं की कंडिकाएँ शोर मचाती हैं।आजकल सभी चीजें तौल और मात्रा में शोर मचाती हैं। कितना लिखा । कितना छपा। कितने रिसर्च पेपर। कितने संपादन।कहाँ अध्यक्षता।कहाँ बीज वक्तव्य। कितने पुरस्कार। कितने सम्मान। शायद शाल-अंगवस्त्रों की गिनती भी शामिल हो जाए। शिक्षा की भी अपनी सरकारी नाप है और विद्वत्ता की नाप के सरकारी लक्षण भी।

     पिछले दिनों एक विद्यार्थी का आना हुआ। बोला- "आपके निर्देशन में शोधकार्य करना चाहता हूं।" मैंने कहा-" पीएच.डी उतनी आसान नहीं। मेहनत और नजरिया मांगती है।" वह बोला-"सर ,मेहनत भी करेंगे। पर थोड़ा आसान हो तो बेहतर। मैंने कहा- देखोजी, किसी बड़े चर्चित साहित्यकार पर करेंगे तो आपकी भी चर्चा होगी। "वह बोला-" सही है सर, मगर।" मैंने कहा-"मगर की बात नहीं,अपना करियर देखो।ये नाम ही अपलिफ्ट करवा देते हैं। "उसने कहा- "जी जरूर, पर मेरी आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं है। ढ़ेर सारी किताबें खरीदना बस का नहीं। न बाहर के पुस्तकालयों में बार बार जाना।"

    अचानक मुझे अपने आसपास के धांसू लेखक का ध्यान आया। मित्र भी हैं, वजूद भी है, पहुंच भी है और अनुगृहीत करने का अवसर भी। मैंने उससे कहा -"अच्छा तो आर्थिक स्थिति का ख्याल रखते हुए एक चर्चित साहित्यकार का नाम बता रहा हूं। उनका सत्ताईसवां व्यंग्य संग्रह लोकार्पित हुआ है। मैं भी लोकार्पण में विशिष्ट अतिथि था।उनके पांच काव्य संग्रह हैं। तीन उपन्यास हैं। दो कहानी संग्रह हैं। किसी समय अखबार में नियमित कॉलम लिखते थे। संपादकीयों के दो संग्रह भी। यों ग्रंथावली की भी चर्चा है।मैं अनुरोध करुंगा तो पुस्तकें और छपी हुई समीक्षाओं के संदर्भ भी मिल जाएंगे।"

     मुझे उसकी पीठ और गर्दन ज्यादा झुकी नजर आई। पूछ लिया - "कंप्यूटर पर ज्यादा बैठते हो क्या?" वह बोला- "नहीं सर दो-तीन घंटा ही।" मैंने कहा- तो फिर गर्दन और कंधे बहुत झुके नजर आ रहे हैं। जैसे स्पोंडिलाइटिस का असर कंधों तक वाइब्रेट हो रहा हो।वह बोला- "नहीं सर ।पर आपने जो किताबों की संख्या का उल्लेख किया तो जेब तक वाइब्रेशन बाद में हुआ। पहले कंधों पर उतरा। गर्दन ने वाइब्रेशन साधना चाहा। पर उस पाइन्ट पर दबाव आ गया, जहाँ से स्पोन्डेलाइटिस होता है।"

  ‌‌ मैंने कहा-" ग्रंथावलियां कोई 'तौल मोल के बोल' तो है नहीं।उनकी साधना है।और लक्ष्मी का योग भी हो सकता है।अब तो अपने ही रक्त चंदन से सरस्वतीचंद्र बनने का समय है। और प्राण-प्रतिष्ठा के लिए कीर्तिधारी लेखकों से भूमिकाओं की स्वाहा - आहुतियां। पर तुम्हारे काम में इससे कौन- सी परेशानी होगी?"वह बोला -"नहीं सर,पर इतना पढ़ना और शोध-संदर्भ इकट्ठा करना भी तो...? "मैंने कहा -अरे! दूर कहां जाना है।यह सब टेबल वर्क की साधना है।मैं अनुरोध करुंगा तो पुस्तकें मिल जाएंगी। समीक्षाओं में भी दिक्कत नहीं।यह काम भी लेखक को ही दोस्ताना अंदाज में करवाना पड़ता है। समीक्षाओं के भी पार्लर हैं। भूमिकाएं भी संदर्भ हैं ।भूमिका लेखक अपने जघन्य समय और लेखन स्तर को कोसता हुआ लेखक को स्थापित कर लेता है।और साक्षात्कार के लिए भी आसानी।"

     वह बोला -"सर,चाहे जो हो,पर मुझसे इस एवरेस्ट पर नहीं चढ़ा जाएगा।न कंचनजंघा पर। किसी आंचलिक पहाड़ी पर ही चढ़वा दीजिए। पांच- सात किताबें हों।कुछ समीक्षात्मक संदर्भ ग्रंथ। पत्र- पत्रिकाएं। इन्हीं से कवर कर लूंगा।"

   मैंने कहा -"इससे प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी।आगे के लिए जंप भी नहीं।"

    वह बोला -"सर , मुझे डिग्री चाहिए।यह विद्वत्ता के लक्षणों का जमाना है। परीक्षा भी ऑब्जेक्टिव।बस एक बार नौकरी में एंट्री मिल जाए।"

     मैंने फिर समझाया -"लक्षणों की पटरी कहीं पहुंचाती नहीं। आखिरकार विद्वत्ता की दरकार होती है?"वह जैसे सिद्धशिला पर बैठा था। बिल्कुल पक्का।बोला-"सर ! सेमिनारों के परचे तो आपने भी सुने हैं। सरस्वती को पांच मिनट में कितना कटशॉर्ट करना पड़ता है। और प्रकाशन के लिए लक्ष्मी का योग। पेपर छपाने के लिए जी. एस. टी. न सही पी. एस. टी. (पब्लिकेशन सर्विस टैक्स)तो देना ही पड़ता है।अब किताबें भी दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया है।बाद में कौन संभालेगा?"

   मैंने कहा - "ये बोल खरे भी हैं तो कहना नहीं चाहिए। "करबद्ध विनीत भाव से वह बोला -"सर,मैं हिमालय की दिव्य श्वेत पर्वत श्रृंखला को नमन करता हूं।पर मुझे तो आसपास की चोटी पर चढ़ा दीजिए।"

- बी. एल. आच्छा

फ्लैटनं-701टॉवर-27

नॉर्थ टाउन अपार्टमेंट

स्टीफेंशन रोड (बिन्नी मिल्स)

पेरंबूर, चेन्नई (तमिलनाडु)

पिन-600012

मो-9425083335

ये भी पढ़ें; सीख से रची नई लोकोक्ति : डीपी में फोटो रहे - बढ़ेगा आदर भाव

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top