कर्म पर कविता : कर्म के विषय पर बेहतरीन हिंदी कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Karm Poem in Hindi : Hindi Kavita Karma

Karma Poem in Hindi

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Karma Poem in Hindi

कर्म

कर्म बिना न,

ज्ञान की उपलब्धि

न बुद्धि प्राप्ति।

चिर सत्य कि,

कर्म बिना न धर्म

न कोई मर्म।

जुदा न कर्म,

वह तो है संलग्न

हर साँस से।

जन्मकुंडली,

पढ़ो उसमें लिखा

कर्म ही कर्म।

ईश्वर को भी,

करना पड़ता है

सृष्टि का कर्म।

निष्कर्मियों के

विनाश का कारण

अलसता ही।

अर्जुन क्यों हो

स्तब्ध मौन, क्यों बन्द

है तरकस?

संशय त्यागो

टंकारो गांडीव को

साधो निशाना।

कर्म की होती

जयध्वनि सर्वदा

यही यथार्थ।

- नलिनीकान्त

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