26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर विशेष
आतंकवाद दुनिया का दुश्मन है.!
आज दुनियाभर में आतंकवाद का जाल फैला हुआ दिखाई देता है। जहां पर भी जो अकाल, अवांछित भयानक घटनाएं घटती जा रही है, इन सभी घटनाओं के पीछे किसी न किसी कुख्यात आतंकवादी गुट का हाथ अवश्य है। हिजबुल मुजाहिदिन, अल्क़ायदा आदि जैसे समाज विरोधी गुटों की हरकते बढ़ती जा रही है। फलतः देश के निरापराध नागरिकों की जान - माल की बेहद दुर्गति हो रही है।
आतंकवादी दलाधिपति अपना उल्लू सीधा करने के अभिप्राय से देश के उन नागरिकों को अपनी मुट्ठी में कर, डराकर, धमकाकर या कोई लालच देकर उन लोगों को अपनी कठपुतली बना रहे है। अज्ञात शिविरों में आंतकवादी प्रशिक्षण देकर, उन्हें किसी राष्ट्र के विराध में विध्वंसक घटनाएं करने भेजा जा रहा है।
अमेरिका के पेंटागान, वल्ड ट्रेड सेंटर इमारतों पर षड्यंत्र युक्त आक्रमण ने तो दुनियां के देशों की नींद हराम की हैं। भारत जैसे एक महान गणतंत्र देश में भी इसका अनुभव होने से नहीं रुका। वैसे तो भारत लगातार पिछड़े दस-पंद्रह वर्षों से आतंकवाद का मुहतोड़ जवाब देते ही आ रहा है। भारत के संसद भवन पर आक्रमण यह एक बड़ी साजिश थी। पर भारत की शूरवीर जवानों ने अपनी वीरता का प्रदर्शन कर वीरगति तो प्राप्त की, पर विनाश से पूर्व आतंकवादी को मार गिराया। यह उनके बहादुरी की एक मिसाल है। जिसमें दिल्ली पुलिस कर्मचारी मारे गये। इनका अतुलनीय साहस उल्लेखनीय है।
कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए मित्र देशों ने सामूहिक आक्रमण किया परंतु वह पकड़ा नहीं गया। कारण आतंकवादी के सहायक- समर्थक पाकिस्तान के अलावा और कई देशों में भी स्थित है। इस बात की पुष्टी वार्ता पत्रिकाओं द्वारा पढ़ चूके है।
समय-समय पर आतंकवादी गुटों को गुप्त रूप से मदद मिलती जा रही है। जिससे इन गुटों के नेताए सरकार के हाथों से बच निकलने में सफलता पा रहे है।
एक मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो आतंकवाद मुख्यरूप से प्रगतिशील देशों के लिए धोकादायक है। इन्हीं के वृद्धि से हरेक देश लगातार चिंतित तथा भयभीत है। आतंकवादी गुटों के करतूतों से अनेक सामान्य नागरिक मारे जा रहे है। इस बात की चिंता देश के साथ-साथ देशवासियों को भी हो रही है कि अब क्या किया जाय ? देशवासी अपनी रक्षा का कोई मार्ग सोचना चाहिये । आतंकवादी को शरण देने के अलावा मरन देना की श्रेयष्कर साबित होगा । आतंकवादी को कतई मदद तो छोड़ो, सहारा तक नही देना। देशवासी इन हरकतों से किसी भी कीमत पर अपने आपको दूर रखना, उनका अपना परम कर्तव्य है। जब तक एक आम नागरिक इस विषय पर अपने आंखे नहीं खोलेगा, तब तक सरकार क्या कर सकेगी ? देश का एकेक नागरिक सरकार के इस आतंकवादी निर्मूलन अभियान, में सक्रिय भाग लेकर सरकार को हर संभव मदद करना न भूलना। तभी आंतकवाद को दोनों ओर से झटका लगेगा और आतंकवाद को जड़ से मिटाने में सहायता मिलेगी।
आतंकवाद को जड से समाप्त करने के लिए सर्वप्रथम ऐक्यराज्य समिति में बैठक बुलाये। इनके कार्यकलापों को शीघ्र रोकने एवं उनके साथ संबंध रखनेवाले सरकार हो, देश हो इन्हें आतंकवादी देश के नाम से दुनियां में घोषित कर दिया जाय।
आतंकवाद को सहायता देने या करनेवाले किसी भी देश को ऐक्यराज्य समिति के सदस्यता से निष्कासित करना चाहिये। उसे मिलने वाली किसी भी प्रकार की मानवीय सहायता पर प्रतिबंध लगाया जाय। अन्य देशों के साथ उसके आयात- निर्यात पर रोक लगाया जाए।
'आतंकवाद किसी एक देश का दुश्मन नहीं, बल्कि सारी दुनिया का दुश्मन' है। यह किसी भी देश के लिए खतरे से कम नहीं, उसे शीघ्र रोकने के लिए हर संभव उपाय करे। जहां भी इसकी जड़ है, वहा से उसे परिपूर्ण समाप्त करने के लिए प्रत्येक देश को दृढ़ संकल्प कर आतंकवाद निर्मूलन अभियान, चलाने में विश्वास के साथ हाथ बंटाये। आशा है कि आतंकवाद का नामोनिशान मिट जायगा। दुनिया के देश सुख-शांति एवं खुशहाली की सांसे लेंगे। देश की प्रगति में दिन-ब-दिन बढ़ोत्तरी होगी।
- जे. अरविंद राव
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