अनुवाद का वैश्विक और राष्ट्रीय परिदृश्य

Dr. Mulla Adam Ali
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Global and national perspective of translation

Global and national perspective of translation

अनुवाद का वैश्विक और राष्ट्रीय परिदृश्य

दुनिया के दो सौ से अधिक देशों में कई हजार भाषाएँ बोली जाती है। भाषाओं का मूल प्रयोजन सम्प्रेषण है। हम हमारे भावों और विचारों की अभिव्यक्ति भाषा के माध्यम से करते हैं। भाषा के मूलतः तीन रूप देखने को मिलते हैं-मौखिक, लिखित और आंगिक भाषा। आंगिक भाषा को अंग्रेजी में 'बॉडी लैंग्वेज' कहते हैं। जिसमें इशारों में बात की जाती है। भाषा मनुष्य को मिला वरदान है। मानव सभ्यता का विकास भाषा के कारण ही हुआ है। बिना भाषा के विश्व कैसा होता इसकी आप कल्पना करके देखिए। खैर, संसार में सात सौ करोड से ज्यादा लोग रहते हैं। और ये सभी लोग मानवता की दृष्टि से एक है। लेकिन भोगौलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषिक सीमाएँ उन्हें अलग करती हैं। भाषा की सीमाओं को पार करने का माध्यम अनुवाद है। विश्वभर के मनुष्यों ने विविध क्षेत्रों में अर्जित किया हुआ ज्ञान अनुवाद से विश्व के कोने-कोने में पहुँचाया जा सकता है। इसलिए अनुवाद की अत्यंत आवश्यकता है। ज्ञान-विज्ञान के विकास और प्रसार में अनुवाद का कार्य उल्लेखनीय है।

अनुवाद के वैश्विक और राष्ट्रीय परिदृश्य को हम कुछ निम्न बिंदूओं के माध्यम से समझेंगे-

अ) भूमंडलीकरण और अनुवाद :

भूमंडलीकरण मुख्यतः एक आर्थिक प्रक्रिया है। इसकी प्रमुख विशेषता पूँजी और व्यापार का उदारीकरण है। भूमंडलिकरण का अर्थ है-किसी देश की अर्थव्यवस्था को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से जोडकर उसे विश्वव्यापी बनाना। यह भूमंडलीकरण का ही परिणाम है कि समूचा विश्व आज एक छोटे से देहात में परिवर्तित हो गया है। जिसे 'ग्लोबल विलेज' की संज्ञा दी जाती है। दूरसंचार क्रांति के कारण भौगोलिक दूरियाँ समाप्त हो गयी है। संचार क्रांति के कारण कई वैज्ञानिक उपकरण मनुष्य के हाथ में आ गए लेकिन ये उपकरण भाषिक विभिन्नता को दूर करने में सक्षम नहीं है। भाषिक विभेद को अनुवाद से दूर किया जा सकता है। भूमंडलीकरण से भौगोलिक अंतर मिट गया, अनुवाद से भाषिक अंतर भी समाप्त हो जाएगा।

आ) वैश्विक एकता और अनुवाद :

वैश्विक समाज कई देशों, धर्मों और भाषाओं में बँटा हुआ है। इसे आपस में जोडने के लिए भावात्मक एकता की जरूरत होती है; और अनुवाद भावात्मक एकता का सेतु है। अलगाव को खत्म करने के लिए अनुवाद उपयोगी है। भावात्त्मक एकता से ही समूची मानवजाति का कल्याण संभव है।

इ) राष्ट्रीय एकता और अनुवाद :

भारत विविधता से भरा देश है। यह विविधता धर्म, जाति, संस्कृति और भाषा आदि के बारे में देखी जा सकती है। हमारे देश के विविध राज्यों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। हिंदी हमारी संपर्क भाषा है। देश के करीबन सत्तर प्रतिशत लोग हिंदी का व्यवहार करते हैं। अनुवाद से ही देश की भाषिक विभिन्नता को दूर किया जा सकता है। भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में साहित्य उपलब्ध है। इस साहित्य का अनुवाद बड़े पैमाने में करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय एकता के लिए अनुवाद जरूरी है। भारत में अनुवाद के क्षेत्र को सुसंगठित होने की आवश्यकता है।

ई) बाजारवाद और अनुवाद :

भूमंडलीकरण के कारण बाजारवाद को बढ़ावा मिला। आज सारा विश्व एक बडे बाजार में तब्दील हो गया है। इस कारण व्यापार के क्षेत्र में अनुवाद की माँग बढ़ी है। बहुराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कंपनियाँ अपने उत्पाद की विक्री के लिए विज्ञापन का सहारा लेती है और विज्ञापन का बाजार अनुवाद पर आश्रित है। विज्ञापनों का अनुवाद स्वदेशी और विदेशी दोनों भाषाओं में किया जाता है। इस क्षेत्र में अनुवाद का बाजार अरबों-खरबों का है।

उ) जनसंचार माध्यम और अनुवाद :

रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म, इंटरनेट, मोबाईल, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि जनसंचार के माध्यम हैं। इन्हें मीडिया की संज्ञा दी गई है। जनसंचार माध्यम आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गये हैं। इनके बिना जीवन की कल्पना असह्य है। मीडिया ने मानव जीवन को गहरे तक प्रभावित किया है। टी.वी. चैनल और रेडियो के कार्यक्रम चौबीस घंटे चलते हैं। हजारों की संख्या में समाचारपत्र हर दिन निकलते हैं। मीडिया में अनुवादकों की बहुत जरूरत होती है। इस कारण मीडिया में बड़ी तादात में अनुवादक अविश्रांत कार्य कर रहे हैं। दुनिया के हर कोने का समाचार हर भाषा में इन्हीं अनुवादकों की बदौलत हम तक पहुँच रहा है। विभिन्न देशों के राष्ट्र प्रमुखों के भाषण आशु अनुवाद के जरिए संसार के कोने-कोने में लोगों तक पहुँच रहे हैं।

ऊ) शिक्षा-अनुसंधान और अनुवाद :

अनुवाद की सबसे ज्यादा उपयोगिता शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में है। शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञान और विज्ञान का अंतरराष्ट्रीय धरातल पर आदान-प्रदान किया जाता है और ये अलग से कहने की जरूरत नहीं की वह अनुवाद के माध्यम से ही किया जाता है। आज विश्व का जितना भी विकास हुआ है वह अनुसंधान से हुआ है। आज जितनी भी भौतिक सुख-सुविधाओं का लाभ हम उठा रहे हैं उसके पीछे अनुसंधान ही तो है। दुनियाभर के वैज्ञानिक अविरत अनुसंधान करने में लगे हुए है। अनुसंधान के नतीजे समूची मानव जाति तक पहुँचाने का काम अनुवाद के द्वारा ही संभव है। जीवन के विविध क्षेत्रों में होनेवाले अनुसंधान की जानकारी विभिन्न देशों के नागरिकों को स्थानीय भाषा में दी जाती हैं। इसका श्रेय अनुवाद को ही जाता है।

ए) संगणक और अनुवाद :

आज का युग संगणक की प्रधानता का युग है। जीवन के हर क्षेत्र में संगणक का प्रवेश हो चुका है। बहुत-से कठिन कार्य संगणक ने आसान कर दिये है। इसी कारण अनुवाद प्रक्रिया को सुगम और अधिक गतिशील बनाने के लिए इस दिशा में विश्व स्तर पर अनुसंधान हो रहे है। संगणक के माध्यम से किए गए अनुवाद को मशीन अनुवाद कहा जाता हैं। विश्व की अग्रणी संगणक कंपनियाँ अनुवाद के लिए संगणक का प्रयोग सफलतापूर्वक करने के लिए प्रयासरत है। लेकिन अभी इसमें पूर्ण सफलता नहीं मिली है।

ऐ) अनुवाद और रोजगार :

अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार की उपलब्धता अत्यंत व्यापक हो चुकी है। अनुवादक को कहाँ-कहाँ पर रोजगार की उपलब्धता है उसे हम कुछ निम्न बिंदुओं से देखेंगे-

1) बातचीत में अनुवाद और रोजगार

2) शिक्षा में अनुवाद और रोजगार

3) अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अनुवाद और रोजगार

4) विज्ञान और प्रोद्योगिकी में अनुवाद और रोजगार

5) कार्यालयों में अनुवाद और रोजगार

6) न्यायालयों में अनुवाद और रोजगार

7) व्यापार में अनुवाद और रोजगार

8) संचार माध्यमों में अनुवाद और रोजगार

9) धर्म में अनुवाद और रोजगार

10) साहित्य में अनुवाद और रोजगार

11) पत्रकारिता में अनुवाद और रोजगार

12) भाषा शिक्षण में अनुवाद और रोजगार

13) पर्यटन में अनुवाद और रोजगार आदि।

निष्कर्ष :

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि, विश्व की विभिन्न भाषाओं, धर्मो, जातियों और बहु-सांस्कृतिक समाज को जोड़ने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य अनुवाद के माध्यम से एक हद तक पूरा हुआ है। अनुवाद के माध्यम से ही हम भारत की अन्य भाषाओं और संस्कृतियों से परिचित हुए हैं। राष्ट्रीय एकता की भावना को बढाने में अनुवाद की भूमिका बहुत बड़ी है। अनुवाद के वैश्विक और राष्ट्रीय परिदृश्य पर नजर डालने पर एक बात तो निश्चित रूप से समझ में आती है कि, अगर अनुवाद नहीं होता तो मानव समाज का आज जितना विकास हुआ है वह कभी न होता।

संदर्भ ;

1. बहुभाषिकता, वैश्वीकरण और अनुवाद-महेश्वर

2. अनुवाद के माध्यम से हिंदी में रोजगार की उपलब्धता-अवधेन्द्र प्रताप सिंह

- प्रा. रामदास नारायण तोंडे

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