Vande Matram
भारतीयता का महामंत्र
इतिहास साक्षी है, एक ऐस महामंत्र जिसने अंग्रेजों के विशाल साम्राज्य की नींव हिला डाली थी, जिस मंत्र से हिन्दू मुस्लिम साझी विरासत को बल मिला तथा एक जुटता में मुख्य भूमिका निभाई थी, आज उसी महामंत्र पर उँगली उठे यह विडम्बना नहीं तो और क्या है।
आजादी का महामंत्र, अमोघ मंत्र जिसने राष्ट्रीय आन्दोलन को गति प्रदान की, जिसके महाजाप ने मृतकों में भी जान डाल दी, जिसकी गूँज ने देशभक्ति की भावना को महा मजबूती दी, हर एक के दिल को झकझोर दिया उसी महामंत्र के बारे में राष्ट्र पिता बापू ने लिखा था-
"जिस वन्देमातरम का उदघोष करके हजारों हिन्दू ओर मुसलमानों ने हँसते-हँसत फाँसी का फन्दा चूम लिया, आज उसी के विषय में अपवाद उठाया जाता है, तो मुणे लगता है कि हमारे विनाश के ही दिन आ गये हैं।"
बापू ने इस महामंत्र को साम्राज्य विरोधी सिंहनाद तथा पवित्र राष्ट्रीय भावना का प्रतीक कहा है, यह हिन्दुओं का कौमी गीत नहीं है, यह तो समग्र राष्ट्र का गीत है, गान है, आचार-विचार और रहन-सहन है, जिसके गाने से मातृ-भूमि के प्रति देश के प्रति महान अनुराग और राष्ट्रभाक्ति पैदा होती है। वन्देमातरम् महामन्त्र को जिसने जाना वह अमर हो गया। पं. बालकृष्ण भट्ट के हिन्दी 'प्रदीप' (1 अक्टूबर 1907) के मुख पृष्ठ पर इस मंत्र के महात्म्य को जिस तरह दर्शाया गय है वह लाजवाब है, उसकी कोई तुलना नहीं, उसकी कोई समानता नहीं है। स्पष्ट शब्दों में - "वन्देमातरम् मंत्र के बंकिम बाबू मंत्रद्रष्टा ऋषि हैं, भारत माता इस मंत्र की देवता है, महाविराट इसका छन्द है, स्वदेशी इसका साधन है, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार इस महामंत्र का पुरश्चरण है, स्वराज्य इसका अन्तिम लक्ष्य है। गोरे-काले का भेद न रख, मत मतान्तर का झगड़ा छोड़ भारतवासी जिन्हें भारत जननी के पुत्र और पुत्रियाँ होने का सौभाग्य प्राप्त है, वे ही इस मंत्र साधन के अधिकारी हैं। यह तन कार्य की साधना हेतु मिला है, यही इसके साधन की विधि हैं।" इस महामंत्र ने सारे आबालबुद्ध वनिताओं को झकझोर दिया था।
"झूल्यो फाँसी पै झुलनवाँ हँसि-हँसि के" इसी महामंत्र का कमाल था। इसी मंत्र की देन थी। इस मंत्र का साधक वह माना जाता है, जिसकी नस नस में मुल्की जोश भरा होता है। मातृभूमि के उद्धार का जादू इस मंत्र का पारायण है। इस मंत्र का जाप करने वाला देश के लिए मर मिटता है। महामंत्र के निरन्तर जाप से, मानव में महान परिवर्तन आ जाता है। इसीलिए कहना पड़ता है कि आजादी का प्रेरणा स्त्रोत यही मंत्र है, इस मंत्र से बढकर अन्य कोई शक्ति नहीं।
वन्देमातरम् का जाप करने वाला विशिष्ट विशेषताओं से ओतप्रोत होता है :
1. वन्देमातरम् का आराधक याचक नहीं होता, याचक वृत्ति को वह अधम मानता है।
2. मंत्र का साधक स्वावलम्बी होता है, परमुखापेक्षी नहीं ।
3. मंत्र का साधक आत्मत्यागी बलिदानी होता है।
4. खुशामदी चापलूसी इस मंत्र के साधक को नहीं सुहाती ।
5. राज सम्मान और उाधियों के लिए साधक इसकी साधना नहीं करता है।
6. मंत्र का साधक निर्लोभी तथा त्यागी होता है।
7. इस मंत्र का साधक निरन्तर जाप करता है समय सीमा मार्ग में अवरोध नहीं डालती सतत् जाप चलता रहता है। समय- मुहूर्त रात-दिन कहीं भी किसी समय भी इसका जाप किया जा सकता है।
8. इस मंत्र के साधक को तत्काल लाभ की कामना नहीं होती, बार-बार जन्म लेना पड़ता है, मरना पड़ना है सिद्धि के लिए जन्म मरण के महा कष्ट को झेलत रहना पड़ता है। साधक संयमी, धैर्यवान होता है।
9. इस महामंत्र में मूर्ति पूजा की गंध नहीं आती
10 इस महामंत्र को अन्तःकरण से धरण करना पड़ता है।
इस महामंत्र के प्रभाव से अंग्रेजी सरकार को आदेश निकालना पड़ा था कि वन्देमातरम के प्रति सभी सम्मान प्रकट करें। यह मंत्र राष्ट्रीय भाव और विचारधारा का प्रतीक हैं। राष्ट्रवादी ध्वनि इसी मंत्र से जन्म लेती है। मातृ-वंदना का स्वर यही से जन्म लेता है यह मंत्र राष्ट्र की धाती है, सम्पूर्ण राष्ट्र का गौरव-गान है। अतः संकुचित विचार को त्याग इस महामंत्र को अपना ही नहीं सम्पूर्ण परिवार, सारे राष्ट्र का हृदयग्राही मंत्र माने।
माँ भारती भारत माता को इसी मंत्र की आज आवश्यकता है। राष्ट्रभाषा की तरह इसे हाशिये पर रखने से राष्ट्र का गौरव ध्वस्त हो रहा है यह मंत्र किसी एक काल या युग का मंत्र नहीं है इस मंत्र के समान दूसरा मंत्र नहीं, इस मंत्र की विचारधारा और भावना किसी अन्य में न दिखी है न दिखेगी, ऐसा मंत्र न मिला है न मिलेगा । 'न भूतो न भविष्यत्' जब तक भारत है, गंगा गोदावरी है, सूरज-चाँद तारे हैं तब तक इस मंत्रकी महिमा अक्षुण्य रहेगी इस पर विश्वास न करना ईश्वर को न मानना है, इसे न मानना अपने माता-पिता को न मानना है। आइये हम सब मिलकर इसका जाप पुनः आरम्भ करें जिससे हमारी आजादी का रंग न उतरे फीका न पड़े। इस मंत्र पर सन्देह करने वाला, इस देश का नहीं हो सकता, इसने जो कुछ दिया, दूसरे मंत्र से नहीं प्राप्त हो सकता इस मंत्र के मंत्र द्रष्टा को नमन करते हैं। कहना ही होगा कि 'आनंद मठ' की नीव इस मंत्र पर आधारित है या यह मंत्र ही आनंदमठ है।
कवि लालता मिश्र के अनुसार-
"देश का आधार है, संस्कृति का सार है
माँ के गले का हार है, संस्कृति का सार है
माँ के गले का हार है, यह मंत्र पारावार है
'लाल' ऐसा रंग है, जो नहीं बदरंग है
साथ भी साथी यही, स्वाधीनता का अंग है।"
वन्देमातरम् गीत नहीं गान नहीं, भारतीयों की जान है। राष्ट्रप्रेम की पहचान है, भारतीय संस्कृति की शान है, राष्ट्रप्रेम की पहचान है, भारतीय संस्कृति की शान है, इस मंत्र पर देश-धर्म जाति सबको स्वाभिमान है। वन्देमातरम स्वाधीनता का तूफान है, आजादी का जलजला है, बेबस भारत माँ की संजीवनी है।
हृदय की धड़कन है, दमक हर मंत्र की सुषमा
शक्ति है, श्रद्धा आस्था है, लालिमा 'लाल' अनुपमा, स्नेह है नेह है अनुपम, हिन्द क साख है विभुतम उदारा आदरणीया है। त्याग - बलिदान सुन्दरतम ।
वनदेमातरम् क सार तत्व है राष्ट्र आराधना, राष्ट्र के लिए मर मिटना, तथा हमने राष्ट्र के लिए क्या किया। इसका चिन्तन करना आओ सब मिलकर वन्देमातरम् का गान करें जाप करे देश को उन्नति के शिखर पर पहुँचायें।
वन्देमातरम्
- लालता प्रसाद मिश्र 'लाल'
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