Balkavi Bairagi Poetry in Hindi : Hindi Kavita Kosh
बालकवि बैरागी की कविता आत्माहुति ही सत्य है :
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आत्माहुति ही सत्य है
मैं जला ऐसा जला बस जलजला ही आ गया
इक लपट भर में ही मैं पूरी अमावस खा गया
धर्म था मेरा निबाहा, यह धर्म का आदेश था
एक तीली के सहारे शुभ कर्म का आदेश था
भूल कर भी कभी मेरी कृपा मत मानिये
आत्माहुति ही सत्य है इस सत्य को पहचानिये।।
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यू कभी मत सोचिये दीपावली कुछ दूर है
यह सोच ही संघर्ष की गति पर छिपा नासूर है
जिन्दगी में सामना जब भी अँधेरे से हो कहीं
बस समझलो दीप का त्यौहार है आज ही और यहीं
इक दिया संघर्ष का फौरन जला दो शान से
धन्य कर दो पीढ़ियों को ज्योति के अवदान से ।।
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रोशनी खुद चाहती है आपके कुछ काम आये
आपके संघर्ष में उसका कहीं कुछ नाम आये
आप अपना सिर पकड़कर, हार कर मत बैठिये
अपने मनोबल की गहन गहराइयों में पैठिये
उस अतल से एक ही हुंकार ऊपर आयेगी
गीत अपनी जीत के बस रोशनी ही गायेगी ।।
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- बालकवि बैरागी
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