Auction : Heart Touching Motivational Story in Hindi by Nidhi Maansingh
Nilami Motivational Kahani In Hindi : आज आपके लिए प्रस्तुत है कैथल, हरियाणा के निधि "मानसिंह" द्वारा लिखी गई दिल को छू लेने वाली मार्मिक लघु कथा "नीलामी", पुरखों की जमीन बचाने के लिए माधव की संघर्ष को आधार बनाकर प्रेरणा के साथ दिल को छू लेने वाली हिंदी कहानी नीलामी, पढ़े और इस कहानी पर आपके विचार व्यक्त करें।
भारतीय मध्यवर्गीय जीवन की कहानी
नीलामी
आज माधव पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा जब उसके तीनों बेटों ने उसकी सहायता करने से साफ-साफ इंकार कर दिया। जिस जमीन पर कर्ज उठाकर माधव ने बेटों को पढ़ाया-लिखाया नौकरी लगवाया आज उस जमीन को साहूकार से छुड़वाने के लिए तीनों बेटों ने मना कर दिया। माधव का कलेजा दु:ख से फटा जा रहा था, ना उसने खाना खाया ना पानी पिया, चुपचाप आंगन में खड़े नीम के पेड़ के नीचे सारा दिन चारपाई पर पड़ा रहा। इसी उधेड - बुन में कि पुरखों की धरोहर ये जमीन अब चली जायेगी ये सोचते-सोचते कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नही चला?
शाम के 6 बज गये। माधव की पत्नी लक्ष्मी ने उसे जोर-जोर से हिलाकर उठाया - आज उठना नहीं है क्या? खेतों में भी जाना है फसलों का पहरा देने के लिए। माधव उठा अपना कंबल, डंडा और एक रस्सी साथ में लेकर खेतों की ओर चलने लगा तो लक्ष्मी ने पीछे से कहा - खाना तो खा लो? तुमने सुबह से कुछ नहीं खाया। माधव ने मुड़कर उसकी ओर देखा और दर्द भरी आवाज़ में बोला - मुझे भूख नही है तुम खाकर सो जाना। लक्ष्मी कुछ नही बोल पाई और आंचल से मुंह को ढककर रोती हुई वही मिट्टी से बनीं दीवार के सहारे बैठ गई।
माधव बड़ी तेजी के साथ कदमों को उठाकर खेतों की ओर बढ़ा जा रहा था। उसके मन मे उथल-पुथल मची हुई थी रह-रहकर यही चिंता खाए जा रही थी कि अगर पुरखों की जमीन नीलाम हो गई तो वह किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेगा वो भी तीन-तीन बेटों के रहते। अब माधव ने फैंसला कर लिया कि वह अपने जीते जी जमीन नीलाम होते नही देख सकता, उसके मरने के बाद जो होगा होता रहे। वह आज रात ही पेड़ से लटककर अपनी जान दे देगा और यही सोचकर उसने साथ लाई रस्सी को पेड़ पर डालकर फंदा तैयार कर लिया। वह पेड़ के नीचे सिर पकड़ कर बैठ गया औ जोर-जोर से रोने लगा। चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था और वह अकेला उसे सुनने वाला कोई नहीं था।
अचानक! उसे पेड़ पर कुछ हलचल का आभास हुआ और इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता धड़ाम से चिड़ियां के दो बच्चें, जो शायद! चार-पांच दिन पहले ही अंडे से बाहर निकले होगे उसकी गोद में आ गिरे, और वह चौक गया।
तभी उसने देखा - एक बड़ा सा सांप पेड़ की टहनी से लटका हुआ है जो बच्चों को खाना चाहता है। और बच्चें जान बचाकर नीचे गिर गये। माधव ने जैसे-तैसे करके सांप को वहाँ से भगाया और पूरी रात चिड़िया के बच्चों की सुरक्षा मे बैठा रहा। लेकिन! इस घटना से माधव को समझ में आ गया कि अब उसे क्या करना है?
उसने खुद से कहा - जब कुछ दिन पहले ही अंडे से निकलें ये चिड़िया के बच्चें जो उड़ना भी नही जानतें अपने जीवन की रक्षा के लिए संघर्ष कर सकते हैं तो मै! क्यूँ हार मानूँ?
मैं! आत्महत्या नही करुंगा
सुबह हो चुकी थी और सूर्य भगवान अपनी किरणों की लालिमा बिखेरते हुए एक नया सवेरा लेकर आ पहुंचें। माधव ने चिड़िया के बच्चों को घोंसले में बैठाया, पेड़ पर लटकी रस्सी को खोलकर कंधे पर डाला और नयी मुस्कान नये हौंसले के साथ अपनें घर की ओर चल पड़ा।
निधि "मानसिंह"
कैथल, हरियाणा
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