नैतिक शिक्षा के साथ बच्चों के लिए जानवरों की बाल कहानियाँ : हाथी पर ऊँट

Dr. Mulla Adam Ali
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Animal stories for kids with moral: Camel on Elephant : Janvaron ki kahani Hindi

Camel and elephant children's story

हाथी पर ऊँट बाल कहानी हिन्दी में : हाथी पर ऊँट कहानी हवा का इंतजाम बालकथा संग्रह की अंतिम कहानी है, इस बालकथा संग्रह के बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा जी एक से बढ़कर एक कहानियों की रचना की है। हाथी पर ऊँट अग्र पंक्ति की कहानी है, इस कहानी में हाथी और शेर के साथ ऊंट की भूमिका का वर्णन बहुत ही अच्छे तरीके से किया गया है। बच्चों के लिए शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक है बड़ी रोचकता के साथ जानवरों को आधार बनाकर लिखी मोटिवेशनल स्टोरी है।

Animal Stories for Kids in Hindi

हाथी पर ऊँट

हाथी पर ऊँट? जी हाँ, अजीब है यह बात। पर ऐसा हुआ। वहाँ एक अजीब जगह थी। एक तरफ पहाड़, दूसरी तरफ रेगिस्तान, तीसरी तरफ जंगल। चौथी तरफ मैं खुद खड़ा था, हाथ में कैमरा लिये। केवल दीपक तले ही अंधेरा नहीं होता, कैमरामैन को भी खुद दिखाई नहीं देता, सेल्फी की बात और है।

हाँ तो उस अजीब सी जगह एक अजीब बात हो गई। रेगिस्तान से भटककर एक ऊँट वहाँ आ गया। उसी समय जंगल से भटक कर एक हाथी भी आ गया। हाथी ने ऊँट को देखा, ऊँट ने भी हाथी को देखा। दोनों ने काफी देर तक एक-दूसरे को घूरकर देखा। इसलिये कि दोनों ने पहली बार एक-दूसरे को देखा था। दोनों सावधान तो हुए, पर घबराए नहीं। क्योंकि दोनों ने एक-दूसरे के बारे में सुन रखा था कि होते हैं, ऐसे होते हैं, वैसे होते हैं। दोनों के लिये दोनों अजीब होते हैं।

हाथी आगे आया और बोला-तुम ऊँट हो? वही ऊँट हो जिसके बारे में सुना था कि ऊँट रे ऊँट, तेरी कौन सी कल सीधी। यह भी कि ऊँट के मुँह में जीरा। जरा मुँह खोल कर दिखाना, जीरा कैसा होता है।

वाह, तुम तो मेरे बारे में बहुत कुछ जानते हो। मैं तुम्हारे बारे में इतना ही जानता हूँ कि तुम्हें पालना कोई हँसी खेल नहीं। क्योंकि कभी-कभी सवारी के अलावा तुम आदमी के किसी काम नहीं आते हो। इसलिये जिस पर अधिक खर्च हो, लाभ न हो, उसे कहते हैं-सफेद हाथी पालना। मैंने तो कभी जीरा मुँह में लेकर नहीं देखा, पर देखो, वह चींटी तुम्हारी सूंड पर चल रही है। सुना है, यह तुम्हारे सूंड में चली जाए तो तुम्हें इतनी जोर से छींक आती है कि आता तो नहीं, पर लगता है भूकंप आ गया।

बहुत घमंड है तुम्हें अपने काम पर।

क्यों न होगा? जब ट्रेक्टर नहीं होता था, तब रेगिस्तानी इलाके में किसान हल चलाने के लिए मुझ पर ही निर्भर रहते थे। मैं बहुत काम का हूँ। हल चलाने, माल ढोने और दूर-दूर तक का सफर करने में सबमें ताकतवर हूँ। तुम्हारी तरह केवल वजन नहीं हूँ।

क्या कहा? सिर्फ वजन? हिम्मत है तो मेरे साथ दौड़ लगाओ। चलो, उस पहाड़ तक दौड़ लगाते हैं।

नहीं, मैं ऊँट हूँ, पहाड़ पर नहीं चढ़ता।

पहाड़ पर नहीं चढ़ेंगे, बस पहाड़ के नीचे तक...।

नहीं-नहीं, मैंने बहुत बार सुन रखा है-अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे। मैंने लोगों को अपने ऊपर बैठाकर ढोया है, माल भी ढोया है। पर कभी पहाड़ को अपने ऊपर नहीं लिया। पहाड़ के नीचे आने पर पता नहीं मेरा क्या होगा।

हाथी को हँसी आ गई। वह बोला-ठीक है, इस तरफ दौड़ लगाते हैं।

ऊँट तैयार हो गया। उधर रेगिस्तान था। ऊँट को तो रेगिस्तान का जहाज कहते ही हैं। हाथी ने कभी रेत पर सफर नहीं किया था। दौड़ में काफी आगे निकल गया ऊँट। हाथी हाँफते हुए आगे बढ़ रहा था।

भागते ऊँट को अचानक रुकना पड़ा। आगे नदी आ गई थी। वह पानी में तैरना नहीं जानता था। कुछ देर बाद ही वहाँ हाथी आ गया। अभी दोनों कोई बात नहीं कर सके थे, क्योंकि हाथी हाँफ रहा था। अचानक वहाँ एक बड़ा शेर आ गया। हाथी को तो शेर जानता था। इसलिये उस पर हमला न करके, ऊँट की तरफ देखा। ऊँट उसने पहली बार देखा था, इसलिये जल्दी में निर्णय नहीं कर सका कि इस पर हमला करूँ या नहीं। शेर के हमले से बचने के लिये हाथी नदी में उतर गया। शेर को तैरना नहीं आता था, इसलिये वह नदी में न जाकर ऊँट पर ही हमला करने को हुआ कि ऊँट जोर से बिलबिला उठा। इस अजीब आवाज को सुनकर शेर डर गया और ऊँट से कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया। नदी में उतरा हाथी जल्दी से बाहर आया और ऊँट से बोला- यदि जान बचानी है तो जल्दी से मेरे ऊपर बैठ जाओ। मैं तुम्हें नदी के पार ले जाऊँगा। ऊँट हिचकिचाया तो हाथी बोला-जल्दी करो, शेर बहुत ताकतवर होता है। यदि इसने हमला कर दिया तो तुम बचोगे नहीं।

हाथी बैठ गया। ऊँट एक-दो बार की कोशिश के बाद हाथी की पीठ पर टंग ही गया। शेर फिर हिम्मत करके हमला करने आया, पर हाथी ऊँट को लेकर नदी में उतर ही गया। ऊँट हाथी की पीठ पर बैठा डर भी रहा था, उसे मजा भी आ रहा था। नदी में तरह-तरह की मछलियाँ देखकर हैरान भी हो रहा था।

ऊँट को पीठ पर लादे हाथी नदी की दूसरी तरफ चला गया। इधर की तरफ शेर पहले तो निराश हुआ, फिर कोई शिकार ढूँढने निकल गया।

अब तो हाथी और ऊँट पक्के दोस्त बन गये थे।

अचानक आदमियों के आने का शोर सुनाई दिया। ऊँट के लिये ये आवाजें जानी-पहचानी थीं। वह वृक्षों के झुरमुट में छिप गया। हाथी सोचता रहा-क्या करूँ ... क्या करूँ...।

इतने में आदमी वहाँ पहुँच गये। उनके हाथ में रस्सियाँ और जंजीरें थीं। एक बोला-वह रहा हाथी। चलो, आज हाथी ही पकड़ते हैं।

वे हाथी को पकड़ने चले ही थे कि ऊँट ने सोचा-ओह! मेरा दोस्त खतरे में है। यह बंधकर रहने वाला जीव नहीं है। खूंटे से बंधा-बंधा परेशान हो जायेगा। इसकी जितनी खुराक है, उतना खाना इसको ये लोग देंगे या नहीं... मैं तो आदमियों के साथ रहते, उनके काम करता रहा हूँ। दोस्त को किसी तरह बचाना चाहिए... यह सोचकर ऊँट झुरमुट से बाहर आ गया और बिलबिलाने लगा।

आदमियों ने ऊँट की तरफ देखा। उनमें से एक बोला-अरे, हाथी को पकड़कर क्या करेंगे। यह तो खर्चे का घर है। ऊँट को पकड़ते हैं, सौ काम आयेगा।

आदमी ऊँट की तरफ चले तो हाथी वहाँ से भाग छूटा और पानी में उतर गया।

अब ऊँट एक घर में रहता है। कभी खेत में काम करने जाता है तो कभी किसी को अपनी पीठ पर बैठा कर दूर की यात्रा पर भी जाता है। सोचता है. जिंदगी में दोस्त होना जरूरी है। दोस्त बने हाथी ने शेर से मेरी जान बचाई तो मैंने भी उसे आदमी की गुलामी से बचाया। वैसे वह ऊँट अपने को सबसे खास समझता है। क्योंकि एक वही तो है जिसने हाथी की सवारी की। ऐसी अजीब घटना किसी और ऊँट के साथ हुई है क्या?

- गोविंद शर्मा

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