दोस्ती दिवस पर बच्चों के लिए दोस्ती और प्यार पर विशेष एक बाल कहानी : दोस्ती

Dr. Mulla Adam Ali
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Friendship Day Special Kids Story about True Friendship : Bal Kahani in Hindi

Dosti bal kahani in hindi

सच्ची दोस्ती के बारे में एक छोटी कहानी दोस्ती : दोस्त और दोस्ती एक अनमोल धन है, दोस्ती का रिश्ता भगवान द्वारा नहीं दिया जाता, पारिवारिक रिश्ते तो जन्म से ही मिलते है लेकिन दोस्ती का रिश्ता बनाना पड़ता है। दोस्ती में लोग एक दूसरे के लिए जान भी देने के लिए तैयार हो जाते हैं, वहीं कुछ दोस्तों के बीच कई कारणों से बिगड़ भी जाते है। दोस्ती के विषय पर बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा जी का बालकथा संग्रह हवा का इंतजाम से ये बाल कहानी आपके लिए प्रस्तुत है। दोस्ती दिवस पर आपके लिए विशेष ये कहानी दोस्ती के महत्व के बारे में बताती है, पढ़े और साझा करें।

True Friendship Story in Hindi Kids Story Dosti Kahani in Hindi

दोस्ती

कस्बे की उस गली में रहने वाले लोग दिन में काम करने बाहर जाते थे।

विपिन और नितिन भी सुबह घर से निकलते और शाम को ही घर आते। विपिन के पास डब्बू और नितिन के बब्बू नामक कुत्ता था। उनके पाले हुए कुत्ते दिन भर घर में अकेले रहते। एक दिन विपिन का कुत्ता अकेलेपन से बोर होकर चिल्लाने लगा। कुछ दूसरे घरों के कुत्ते भी चिल्लाये। एक आध घर में कुछ वृद्ध भी थे। वे भी बाहर निकल आये, यह देखने के लिये कि क्या हुआ है? कुत्ते क्यों चिल्लाये है? पर किसी के कुछ समझ में नहीं आया।

एक दिन फिर विपिन का कुत्ता उसी तरह चिल्लाया, जैसे उसे कुछ दर्द हो रहा हो। उस दिन नितिन के कुत्ते से नहीं रहा गया। वह किसी तरह घर से बाहर आ कर विपिन के घर पहुँच गया। लेकिन वह विपिन के घर के भीतर नहीं जा सका। बाहर के गेट के पास, भीतर डब्बू और बाहर बब्बू । दोनों ने एक-दूसरे को देखा और अपनी पूँछे हिलाईं। दोनों दोस्त बन गये। अब तो मौका मिलते ही बब्बू डब्बू के पास पहुँच जाता। दोनों को घर के बाहर आकर गली में पहुँचने का रास्ता मिल गया था। दोनों दिन में आपस में मिलते, खेलते और अपने अपने घरों की रखवाली भी करते।

दोनों में दोस्ती गहरी होती गई। विपिन और नितिन को उनकी दोस्ती का कुछ पता नहीं चला।

एक दिन बाजार में नितिन ने विपिन के बारे में कुछ लोगों को भड़का दिया। हालांकि विपिन ने कुछ नहीं किया था। विपिन को गुस्सा आया पर उसने बाजार में झगड़ा नहीं किया। शाम को नितिन के घर उलाहना देने गया। उसे आता देख नितिन एक तरफ छिप गया और बब्बू को विपिन की तरफ जाने का इशारा कर दिया। बब्बू तेजी से विपिन की तरफ गया। ऐसा लगा जैसे वह विपिन पर हमला करेगा। पर यह क्या, वन्यू तो उसके पास जाते ही रुक गया। उसे सूंचा और अपनी पूँछ हिलाने लगा। अचानक विपिन से लिपट भी गया। यह देखकर विपिन और पर के भीतर से देख रहा नितिन, दोनों हैरान रह गये। बब्बू के इस व्यवहार से हैरान विपिन, नितिन से कुछ कहे बिना ही वापस आ गया।

उधर नितिन यह सोचने लगा कि यह कैसे हुआ। बब्बू ने उस विपिन को अपना दोस्त कैसे मान लिया? हो सकता है जब बाहर होता है तब यह विपिन यहाँ आकर बब्बू को कुछ खाने के लिये देता हो और इस तरह दोस्ती करनी होगी। यह तो गलत है। ऐसा क्यों करते ही? यह शिकायत करने के लिये वह विपिन के पर की ओर चल पड़ा। विपिन उस समय किसी काम में व्यस्त था। वह जल्दी घर से बाहर नहीं आ सका। पर विपिन का डब्बू बाहर आ गया। वह नितिन को देखकर भौंकने ही वाला था कि एकाएक चुप हो गया और अपनी पूँछ हिलाने लगा। नितिन हैरान रह गया। विपिन बाहर आया तो नितिन कुछ बोल नहीं सका।

क्यों आये हो मेरे घर पर?

आया तो तुमसे झगड़ा करने, शिकायत करने पर तम्हारे डॉगी ने मित्रवत् व्यवहार कर मुझे हैरान कर दिया है।

विपिन बोला-कल शाम मेरे साथ भी ऐसा हुआ था। मैं भी तुम्हारे डॉगी के व्यवहार से अभी तक हैरान हूँ।

वे दोनों ऊँची आवाज में बात कर रहे थे। पड़ोस में रहने वाले एक बुजुर्ग ने उनकी बात सुनली। वे दोनों को जानते थे और यह भी जानते थे कि दोनों में बनती नहीं है।

वे दोनों के पास आये। बोले-

तुम दोनों.... हैरान हो न कि डब्बू और बब्बू से कभी नहीं मिले तो फिर वे तुम्हारे दोस्त कैसे बन गये? सुनो, दिन में जब तुम दोनों बाहर होते हो तब डब्बू-बब्बू घरों में अकेले रह जाते हैं। बोर हो जाते हैं इस अकेलेपन से। दोनों ने आपस में दोस्ती कर इस अकेलेपन से बचने का रास्ता निकाल लिया है। दोनों दिन में कई बार मिलते हैं, खेलते हैं।

हो सकता है, ऐसा हो। पर हमारे दोस्त कैसे बन गये ये।

यह जीव बड़ा समझदार होता है। केवल शक्ल ही नहीं, लोगों को शरीर की गंध से भी पहचानते हैं। जब तुम लोग घर आते हो तो तुम्हारे डब्बू बब्बू तुमसे लिपटते हैं। उनके शरीरों की गंध तुम्हारे में रह जाती है। डब्बू को बब्बू की गंध विपिन को सूंघने से मिली। अपने-अपने दोस्त की गंध जिसमें मिली, उसको इन्होंने अपना दोस्त मान लिया। विपिन और नितिन ने एक-दूसरे की तरफ देखा, पर बोले नहीं।

बुजुर्ग बोले-देखा इन जीवों को, कैसे दोस्ती कर लेते हैं और फिर उसे निभाते भी हैं। एक तुम हो, इंसान होकर भी बिना बात आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हो, एक-दूसरे के प्रति मन में गाँठ रखते हो।

अब विपिन-नितिन ने फिर एक-दूसरे की तरफ देखा और मिलाने के लिये हाथ आगे बढ़ा दिया।

- गोविंद शर्मा

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