दादा और पोते की दिल छू लेने वाली कहानी : हवा का इंतजाम

Dr. Mulla Adam Ali
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Hawa Ka Intejam Bal Kahani : Children's Story in Hindi

Hawa ka intjaam bal kahani

ज्ञानवर्धक बाल कहानी हवा का इंतजाम : दादा और पोते के बीच हृदय की गहराईयों तक संबंध से समाहित बाल कहानी हवा का इंतजाम, बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा ने बच्चों के लिए लिखी कहानी, दादा और पोते के बीच संवाद को लेकर दादा और पोते के रिश्ते पर आधारित कहानी। शहर और गांव के जीवन को समझाती है ये बच्चों की कहानी। बाल साहित्य में बाल कहानी विधा सबसे प्रचलित है, बच्चों को अच्छी सीख देना चाहते हैं तो कहानी एक बेहतर माध्यम है, इसी उद्देश्य से आपके समक्ष ये बच्चों की कहानी हवा का इंतजाम पढ़े और शेयर करें।

Kids Stories in Hindi : Bal Kahaniyan

हवा का इंतजाम

संतलाल वर्षों पहले इसी गाँव में रहते थे। बच्चे बड़े हो गये। बड़े बेटे को शहर में अच्छी नौकरी मिल गई तो वह पिता को अपने साथ ले गया। छोटा बेटा अब भी गाँव में रह कर खेत संभाल रहा था। संतलाल कभी-कभी ही गाँव में आते थे। शहर में रहकर संतलाल को ए.सी., कूलर में रहने की आदत हो गई। गाँव में ये सब कहाँ? बिजली तो थी, पर कभी आती, कभी काफी देर के लिये चली जाती। गाँव में जिस कमरे में संतलाल का ठहराव था, उसमें एक पंखा था, वह भी मरम्मत के अभाव में बहुत धीमे-धीमे चलता था। संतलाल अक्सर शिकायत करते कि हवा नहीं है। दिन में तो वे घर के आगे लगे नीम के पुराने वृक्ष के नीचे अपनी खाट पर लेटकर, पाँच-छह वर्षीय पोते के साथ खेलते, बातें करते। दिन बीत जाता। पर रात को मुश्किल होती। रात में कुछ आंगन में सोते तो कुछ छत पर । संतलाल छत पर सोते, पर वहाँ भी संतलाल की शिकायत यही होती कि हवा नहीं है। कहते, मैं यहाँ नहीं ठहर सकूँगा। शहर जाना ही होगा।

एक दिन उनके पाँच वर्षीय पोते रघु ने कहा-बाबा, हवा न होने की आपकी शिकायत कल तक दूर हो जायेगी। मैंने सामने वाले घर में रहने वाले रमन अंकल से कह दिया था। वे हर रविवार को गाँव आते हैं। कल आते समय आपके लिये खूब सारी हवा ले आयेंगे।

संतलाल ने यही समझा कि कल जरूर कोई मैकेनिक आयेगा और पंखे को ठीक कर देगा।

उधर, रमन अंकल परेशान हो रहे थे। अभी नजदीक में तो रघु या किसी दूसरे बच्चे का जन्मदिन नहीं है, होली-दिवाली, स्वतंत्रता दिवस भी पास में नहीं है। फिर रघु ने यह क्यों मंगाए हैं? फिर भी वे ले आये और रघु को सौंप दिये।

रघु सीधा संतलाल के पास गया और बोला-बाबा, आपके लिये हवा का इंतजाम हो गया है। ये लो गुब्बारे। जब भी आपको लगे कि आपके पास हवा नहीं है, आप एक गुब्बारा खोलना और इससे निकलने वाली हवा ले लेना। अगले रविवार तक आपका काम इनसे चल जायेगा। अगले रविवार को और मंगवा दूँगा।

संतलाल उसकी बात सुनकर हैरान हो रहे थे कि रघु बोला- अब तो आप हवा कम बताकर मुझे छोड़कर नहीं जायेंगे? मेरे पास ही रहेंगे?

यह बात है। मुझे अपने पास रखने के लिये रघु ने हवा का यह इंतजाम किया है।

संतलाल ने रघु को छाती से लगाते हुए कहा- नहीं नहीं, इतने प्यारे बेटे को छोड़कर मैं क्यों जाऊँगा।

सबने देखा, उस रात छत पर संतलाल को बड़ी अच्छी नींद आई। हवा चले या न चले, संतलाल की यह शिकायत सदा के लिये दूर हो गई।

- गोविंद शर्मा

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