Joote Children's Story in Hindi : Story of Shoes for Kids
जूते मार्मिक छोटी सी कहानी : बच्चे दिल के सच्चे होते है, उनके हृदय में करुणा, प्यार, दया की भावना दूसरों के लिए हमेशा रहती है, गोविंद शर्मा हिंदी के बाल साहित्यकार है उनका कथा संग्रह हवा का इंतजाम से ये कहानी भी ऐसी ही है जो बच्चों में रहे नैतिक मूल्यों को सामने लाती है। पढ़े हिंदी बाल कहानी में जूते दिल को छू लेने वाली कहानी।
छोटे बच्चों के लिए प्रेरक बाल कहानी
जूते
बबलू को नये जूते मिल गये। उसने पुराने जूते अलमारी के एक कोने में रख दिये। बबलू के नये जूतों को सबने बहुत बढ़िया बताया। इससे नये जूतों को अपने ऊपर कुछ घमंड भी हो गया। बबलू उन्हें संभाल कर रखता था। रोजाना अपने हाथों से पालिश करता और उसी अलमारी में रखता जिसमें पुराने रखे हुए थे। नये जूते उसी अलमारी में पड़े पुराने जूतों का मजाक उड़ाने लगे। तुम्हें न तो कोई पहनता है, न नहलाता-धुलाता है। अपन के मजे हैं। बबलू रोजाना अपने हाथों से साफ करता है, पालिश करता है। जब वह हमारे फीते बांधता है, तब ऐसा लगता है जैसे बबलू अपने गले की टाई बांध रहा है।
यह सब सुनकर पुराने जूते मायूस हो जाते। क्योंकि अब उन्हें न तो बबलू पहनता हैं न पालिश करके चमकाता है। कभी वे भी बबलू के साथ पता नहीं कहाँ कहाँ की सैर करते थे। अब अलमारी के एक कोने में पड़े रहते हैं।
एक दिन बबलू ने उन पुराने जूतों को अलमारी से बाहर निकाल कर पहले कपड़े से साफ किया, फिर उन पर पालिश करने लगा। नये और पुराने जूतों को बहुत हैरानी हुई। फिर उन्होंने सुना।
"बबलू, तुम इन पुराने जूतों पर क्यों पालिश कर रहे हो?'
"आपने ही कहा था कि किसी गरीब बच्चे को, जिसके पास जूते नहीं होंगे, उसे देंगे।"
"हाँ-हाँ, लेकिन पालिश करके इन्हें क्यों चमका रहे हो?"
"दादी ऐसा ही करती थी। जब किसी को दादा के पुराने कुर्ता-पाजामा देना होता तो पहले उन्हें धोती, फिर प्रेस करती, तब देती। ताकि लेने वाले को लगे कि उसे कोई चीज प्यार से, सम्मान से दी जा रही है। मैं भी इन पुराने जूतों को धूल भरे, दबे कुचले दूँगा तो लेने वाला यह नहीं सोचेगा कि बबलू कितने गंदे जूते पहनता रहा है। इसलिये इन्हें चमका रहा हूँ।
यह सुनकर मम्मी चुप हो गई। पुराने जूते खुश हो गये। नये जूतों को भी लगा कि अब तक इन पुराने जूतों को चिढ़ा कर गलती करते रहे हैं। पुराने जूते बाहर जाने लगे तो नयों ने हाथ हिलाकर विदाई दी और बोले- अपना ख्याल रखना। हो सकता है किसी दिन हमें भी तुम्हारे पास भेज दिया जाए।
पुराने जूते इस सार संभाल से खुश थे, पर घर छूटने से कुछ दुखी भी थे।
- गोविंद शर्मा
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