Nadi Ki Dhara Kavita in Hindi : Ritu Verma Poetry
नदी की धारा हिन्दी कविता : नई दिल्ली से रितु वर्मा की कविता नदी की धारा जिंदगी के बहावें या सफर के बारे में सुंदर शब्दों में लिखा हुआ है। जिंदगी नदी की धारा है, जीवन एक नदी की धारा की तरह गुजरता है जो प्रवाह जैसे, इस जिंदगी में सुख, दुख आदि सबकुछ हमें देखने को मिलते हैं, सुख हो या दुख दोनों को स्वीकार कर सकारात्मक सोच रखकर आगे बढ़ना चाहिए। पढ़े रितु वर्मा की बेहतरीन कविता नदी की धारा और शेयर करें। Ritu Verma ki Kavitayen, Hindi Kavita Kosh, Hindi Poetry..
Life is like a river : Hindi Poem
नदी की धारा
हम नदी के धार से यूँही बढ़ते चले गए
न रुक सके न हो सके कहीं
बस आगे बढ़ते चले गए..
मिला नहीं जब भी कोई किनारा तो
बस वक्त के साथ रफ्तार से
गति मिलाते चले गए...
न कह सके नहीं समझा सके
मिला नही ऐसा जिससे खुद को भी बया कर सके
तो खुद को ही वातावरण के अनुकूल बनाते चले गए
खामोशी को खुद का साथी हर मोड़ पर बनाते चले गए
बस नदी के धार सा यूँही मुड़ते चले गए ....
रुकी नहीं किसी मोड़ पर बस हम आगे बढ़ते चले गए
न मोहलत मिली न जज्बात मिले कभी
बस हर एक मोड़ पर खुद को
जिंदगी के बहाव में बहाते चले गए,
जब भी खुद मौका मिला तो
खुद को हर पल समझाते चले गए ...
न गिला किया न शिक़ायत किया कभी
बस हर आए उस पल को अपनाते चले गए
मन में थे सवाल कई पर उस सवालों में भी
खुद को बेवजह उलझाते चले गए. ..
अगर ढूंढना चाहा भी जवाब तो
जवाबों का पता नहीं बस डोर से
उसमें थोड़ा-थोड़ा और उलझते चले गए...
जब दिखाई नहीं दिया दूर तक कोई रास्ता
तो मन को बेवजह विचलित करते चले गए
फिर अंत में विवश होकर मिला नहीं जवाब तो
खुद को ही उसके अनुकूल बनाते चले गए।
- रितु वर्मा
नई दिल्ली
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