Inspirational children's story on tree plantation : Neem seed - Bal Kahani Neem Ka Beej
पेड़ और बच्चों की मार्मिक कहानी नीम का बीज : पेड़ हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं, पेड़ों के बिना इस धरती की कल्पना करना असम्भव है, पेड़ मानव जीवन के लिए एक वरदान है, पेड़ों से हमें फल, फूल, ईंधन आदि सबकुछ प्राप्त होता है, इस धरती पर सबसे घनिष्ठ मित्र मानव के लिए पेड़ ही है। पेड़ सिर्फ मानव के लिए ही नहीं पशु, पक्षियों के लिए भी उपयोगी है, इस धरती पर स्थित है प्राणी वृक्षों पर आधारित है। पक्षी अपने घोंसले पेड़ों पर बनाता है, उन पेड़ों को आज हम अपने स्वार्थ के लिए काट रहे हैं, पेड़ों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, इसी विषय को समझाती यह प्रेरणादायक मार्मिक कहानी नीम का बीज, बच्चों में पेड़ों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए पेड़ और पक्षियों पर लिखी गई कहानी नीम का बीज। बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा ने पर्यावरण बाल कथाएं लिखने में सिद्धहस्त है। उनके द्वारा लिखी गई पेड़ और बादल बाल कहानी संग्रह से यह कहानी नीम का बीज ली गई है। पेड़ और बादल कहानियों का सीधा संदेश यही है कि पर्यावरण को बचाए रखने के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं। गोविंद शर्मा की बाल कहानियां सिर्फ बालक के मन को ही नहीं छूती बड़ों को भी प्रभावित करती है। सरल, सहज, बोधगम्य भाषा में लिखी गई इनकी कहानियों में वो सब होता है जो एक बालक पसंद करता है।
छात्रों और बच्चों के लिए वृक्षों के महत्व पर बाल कहानी
नीम का बीज
'हमारे गाँव का स्कूल देखने के लिए विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक रिचर्ड आयेंगे'- हमारे प्रधानाचार्य ने प्रार्थना सभा में यह बात बताई। यह सुनते ही हम सब विद्यार्थी खुश हो गये। हम जोर-जोर से तालियाँ बजाने लगे। हमारा उत्साह देखकर प्रधानाचार्य और दूसरे शिक्षक भी बहुत खुश हुए।
फिर प्रधानाचार्य गंभीर होकर बोले- मैं यह तो जानता हूँ कि जो विद्यार्थी विज्ञान पढ़ रहे हैं, वे अपने विषय का अच्छा ज्ञान रखते हैं। क्योंकि आपके विज्ञान शिक्षकों की पढ़ाने की कला और उनकी मेहनत के कारण विज्ञान में सबकी रुचि बनी हुई है। पर मैं यह भी जानता हूँ कि आप मेधावी होने के साथ-साथ शरारती भी खूब हैं। पिछले साल एक फिल्म की शूटिंग के कारण अपने गाँव के तालाब पर फिल्म अभिनेता आये थे। उन्होंने भी गाँव का स्कूल देखना चाहा था। वे स्कूल में आये तो आपने उनकी बातों की, उनके फिल्मी चरित्रों की ऐसी-ऐसी नकल की कि उन्हें कहना पड़ा कि बच्चो, तुम तो मेरे से भी बड़े अभिनेता हो। मैंने तो सोचा था कि तुम मेरी, मेरी एक्टिंग की प्रशंसा करोगे, पर यहाँ तो मैं तुमसे हार कर जा रहा हूँ। 'विदेश से आने वाले वैज्ञानिक महोदय को आप जरा भी परेशान नहीं करेंगे- यह याद रखना।'
वैज्ञानिक महोदय आये। उन्होंने भाषण देना शुरू किया। वे अंग्रेजी में बोल रहे थे, पर हमारे अंग्रेजी अध्यापक हिंदी में उसका अनुवाद कर रहे थे, इसलिए हम बच्चों को उनकी बात समझने में कोई कठिनाई नहीं हुई। वैज्ञानिक महोदय गर्व के साथ बोलने लगे कि उनके देश में कई नये आविष्कार हुए हैं, जो शीघ्र ही दुनिया के सामने आने वाले हैं, जैसे तेज गति का एक वायुयान जो कुछ मिनटों में अमेरिका से भारंत पहुँच जाएगा। नया डायनामाइट जो कुछ सैकण्डों में विशाल भवनों को मिट्टी बना देगा। उन्होंने कुछ और काम भी बताए जो भारत में वर्षों में पूरे होते हैं पर उनके यहाँ थोड़े से समय में ही पूरे हो जाते हैं।
उनके इन कथनों का बच्चों पर काफी असर हुआ। सभी चुपचाप उन्हें सुन रहे थे। अचानक चार-पाँच बच्चे उठे और मंच की तरफ बढ़े। प्रधानाचार्य जी के लिए यह नयी स्थिति थी। बच्चों को आगे बढ़ते देख वह अवाक् रह गए। बच्चे वैज्ञानिक महोदय के पास पहुँच गए। एक बच्चे ने अपनी मुट्ठी खोली और एक बीज वैज्ञानिक महोदय की तरफ बढ़ाया। दूसरा बच्चा बोला- "श्रीमान् हमारे विद्यालय में एक नीम का पेड़ था। वह कल काट दिया गया। हमारे लिए तो नये कमरे बन गए थे। इसलिए हमें तो पेड़ के नीचे कक्षा लगाने की जरूरत नहीं पड़ी, पर उस पेड़ पर रहने वाले पक्षी कहाँ जाएँ? वे कल से लोहे के एक खंभे पर बैठे हैं। हमने उस खंभे को हाथ लगाकर देखा है, वह धूप में खूब गरम हो जाता है। हमने तो अपने हाथ हटा लिए पर वे तोते अब भी उसी खंभे पर हैं। उनके पैरों की क्या हालत हो गई होगी? आप तो बड़े वैज्ञानिक हैं। आपके देश में ऐसी खोज हो गई होगी कि बीज बोया जाए और कुछ ही मिनटों में वह पूरा पेड़ बन जाए। हमने तो एक बीज बोया है पर वह तो पाँच-छह साल बाद पेड़ बनेगा। कृपया आप यह बीज बोकर अभी उसे पेड़ बना दें। हम चाहते हैं कि उन तोतों को एक घर मिल जाए।"
बच्चों की बात का अनुवाद सुनकर वैज्ञानिक महोदय पहले तो हैरान हुए, फिर उनका सिर झुक गया। वे बोले- "बच्चो, मेरे देश ने तो ऐसी आरी की खोज की थी, जो कुछ ही मिनटों में बड़े से बड़े पेड़ को काटकर गिरा देती है। अभी यह खोज नहीं हुई है कि कुछ ही मिनटों में बीज से वृक्ष बन जाए। मैं यह बीज लेकर अमेरिका जा रहा हूँ। अब गर्व से मेरा सिर तभी ऊँचा होगा जब हम बीज से वृक्ष बनने की दूरी खत्म कर सकेंगे पर यह जरूर कहूँगा कि धरती को हमारी वैज्ञानिक खोजों की बजाय तुम्हारी ज्यादा जरूरत है।"
वैज्ञानिक महोदय उठकर चल पड़े। उन्होंने बाहर जाते हुए लोहे के खंभे और तारों पर धूप में बैठे पक्षियों को देखा और चुपचाप आगे बढ़ गए।
- गोविन्द शर्मा
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