Pariksha Pari Ka Uphar Hindi Bal Kahani : Inspirational Story for Kids
परीक्षा प्रेरक कहानी हिंदी में परीक्षा परी का उपहार : एक साल पढ़ाई करने के बाद भी जब परीक्षा का समय आ जाता है तो बच्चे डरने लगते है अपने एग्जाम से, यह डर के कारण वह अपने एग्जाम ठीक से नहीं दे पाते। माता पिता भी बच्चों के परीक्षा के समय बहुत परेशान रहते हैं क्योंकि बच्चे अच्छी तरह से एग्जाम लिख सकते हैं या नहीं इस बात को लेकर। बच्चों में परीक्षा के प्रति डर दूर कर उनको रुचि जगाना चाहिए, उसके लिए उनमें प्रेरणा भरना आवश्यक है, इसी उद्देश्य से बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा की बाल कहानी जो हवा का इंतजाम बालकथा संग्रह से ली परीक्षा परी का उपहार उजागर करती है। बच्चों में इस कहानी के माध्यम से उनमें उत्पन्न डर दूर कर एक नई उम्मीद और विश्वास जगाने में ये कहानी सहायक है।
Motivational Story in Hindi on Exam's : Kids Stories in Hindi
परीक्षा परी का उपहार
था तो सपना, पर मजेदार था। इसलिये सबको बता रहा हूँ। सपने में मेरे सारे दोस्त थे, राजू, पृथ्वी, आकाश, समीर, तारक, बादल सब । अचानक हमें एक परी दिखाई दी। सब हैरान हो गये। हम तो यही समझते थे कि परियों सिर्फ कहानियों में होती हैं, यह कल्पना में होती हैं। यह सचमुच की कहाँ से आ गई? हमने उससे पूछा-क्या तुम परी हो? वह बोली-हाँ-हाँ, मैं परी हूँ।
"क्या नाम है तुम्हारा?"
"मैं परीक्षा परी हूँ।"
"परीक्षा परी? परीक्षा तो हमें जरा भी अच्छी नहीं लगती। बहुत बुरी लगती है। हम तो कभी-कभी गा लेते हैं- परीक्षा डायन मार गई...। तुम इतनी सुंदर हो, तुम्हें यह डरावना नाम किसने दिया?"
"नहीं-नहीं, यह नाम डरावना नहीं है। परीक्षा बुरी नहीं होती है।"
"क्यों नहीं होती है? परीक्षा के नाम से हमें सब डराते हैं। खेलने में वक्त खराब मत करो, परीक्षा सिर पर है, टीवी मत देखो, मोबाइल को तो छुओ ही मत। बताओ, यह परीक्षा न होती तो क्या हम पर ये पाबन्दियां लगती?"
“देखो, परीक्षा न होती तो यह कैसे पता चलता कि तुम अगली कक्षा में जाने के योग्य हो गये हो? तुम्हारी योग्यता यह है? तुम अध्यापक, अधिकारी या कुछ और बन सकते हो। परीक्षा न होती. तो तुम अपनी क्या योग्यता बताते? परीक्षा में पास होने पर तुम कह सकते हो कि तुम हाई स्कूल पास हो, बी.ए. या एम.ए. हो।"
"बस, बस परीक्षा परी जी, हम सब परीक्षा दे चुके हैं। यहाँ अपने परीक्षा परिणाम के इंतजार में ही खड़े हैं। तुम परीक्षा परी हो तो हमारी कुछ मदद करो। हमारी उत्तर पुस्तिकाओं में हमारे नंबर बढ़ा दो।"
"इस तरह जादू से नंबर नहीं लेने चाहिए। फिर भी तुम कहते हो तो बढ़ा दूँगी और सत्तर वाले के अस्सी कर दूँगी। जिसके अस्सी होंगे, उसे एक बड़ा-सा उपहार भी दूँगी।"
इतना कह कर वह गायब हो गई। इधर वह गायब हुई, उधर शोर मच गया कि परिणाम आ गया है। हम में से किसी के साठ थे तो किसी के सत्तर, बस पृथ्वी और आकाश के अस्सी-अस्सी प्रतिशत थे। दोनों उपहार पाने के लिए परी का इंतजार करने लगे। अचानक परीक्षा परी आगई। उसके हाथ में था एक बड़ा सा पैकेट। उसने वह पृथ्वी को पकड़ा दिया और जाने के लिये हाथ हिलाया तो आकाश जोर से चिल्लाया-मेरा उपहार? मेरे भी अस्सी प्रतिशत आये हैं।
"नहीं, तुम्हारे सिर्फ सत्तर प्रतिशत थे। अस्सी प्रतिशत तो उन्हें मेरे जादू ने बनाया है। पृथ्वी के वास्तव में अस्सी प्रतिशत आये हैं। ये अंक उसने अपनी मेहनत से लिये हैं। असली नंबर तो वही होते हैं जो आप अपनी मेहनत से लेते हैं, सही तरीके से परीक्षा देकर जो योग्यता अर्जित करते हो, वहीं वास्तविक योग्यता होती है।"
इतना कहकर परीक्षा परी गायब हो गई। हमें तो कोई अफसोस नहीं हुआ। क्योंकि हमारा प्रतिशत तो इस परीक्षा में बिना जादू का ही था, पर उपहार की सीमा से काफी कम था।
आँख भी खुल गई। मम्मी ने जोर से आवाज लगाई थी-अब सोया ही रहेगा या कुछ पढ़ेगा भी। परीक्षा सिर पर है...।
हां, परीक्षा परी, हमारी आँख खुल गई। अब परीक्षा से डरना खत्म। अब हम तुमने जो कहा है, यह याद रखेंगे। हमारे लिये तुमसे सपने में मिलना उपहार मानते हैं।
- गोविंद शर्मा
ये भी पढ़ें; देश की सेवा देश प्रेम की एक बाल कहानी : Hindi Inspirational Bal Kahani