Hindi Moral Story about Truth : Honesty Hindi Inspirational Stories
बच्चों के लिए ईमानदारी पर लघु कहानी वह सच बोला : बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास के लिए ईमानदारी की कहानियाँ बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा जी द्वारा लिखी हवा का इंतजाम बाल कहानियों के संग्रह से आपके समक्ष प्रस्तुत है। पढ़े ये ईमानदारी की कहानी जो सच्चाई पर आधारित है, सच बोलना चाहिए, सच भगवान है। सच्चाई की समाज में मर्यादा होती है, आखिर में सच्चाई का ही जीत होता है, बच्चों में नैतिक मूल्य जैसे ईमानदारी, सच्चाई पाठ पढ़ाने के लिए जरूरी है ये दिलचस्प बाल कहानी वह सच बोला।
Motivational Stories about Truth : Honesty Hindi Bal Kahani
वह सच बोला
अंग्रेज अफसर चार-पाँच सिपाहियों के साथ धड़घड़ाता आया और स्कूल के हैडमास्टर के कार्यालय में उनकी कुर्सी पर बैठ गया। हैडमास्टर उस समय किसी कक्षा में पढ़ा रहे थे। उन्हें पता चला तो क्लास छोड़कर कार्यालय में आये। अब अंग्रेज अफसर कुर्सी पर बैठा था तो हैडमास्टर उनके सामने खड़े थे। कुछ दूसरे अध्यापक भी ताकाझाँकी करने लगे। ऐसा नजारा उन्होंने पहली बार देखा कि कोई हैडमास्टर की कुर्सी पर बैठा है और स्वयं हैडमास्टर उसके सामने खड़े हैं। अंग्रेज अफसर को बस अंग्रेजी आती थी, जबकि हैडमास्टर हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के जानकार थे। बात अंग्रेजी में हुई।
तुम्हारे स्कूल में कोई रोहित नाम का बच्चा है?
सर, मेरे स्कूल में तो कई रोहित हैं।
रोहित... जो बागी रामसिंह का बेटा है।
हेडमास्टर को याद आया-आठवीं का एक छात्र रोहित, जो पढ़ने में बहुत ही होशियार है। लोग उसके पिता को स्वतंत्रता सेनानी कहते हैं।
सर, हाँ है, पर वह तो बहुत अच्छा लड़का है। सर, वह सदा सच बोलता है। हमें भी यही चाहिए। उसके बाप ने ब्रिटिश राज के नाक में दम कर रखा है। उसे पकड़ने की हम बहुत कोशिश कर चुके, पर वह हाथ नहीं आ रहा है। हम जानना चाहते हैं कि इस वक्त वह कहाँ है। बुलाओ, उस बच्चे को।
बच्चे को बुलाया गया। कार्यालय में आते ही रोहित ने सभी को हाथ जोड़ कर जयहिन्द कहा।
अंग्रेज अफसर जयहिन्द का मतलब समझता था। वह यह भी समझ गया कि यह वही रोहित है, जिसके पिता की उन्हें तलाश है।
हैडमास्टर ने रोहित से कहा-साहब, स्कूल में बहुत दूर से चलकर आये हैं। ये जानना चाहते हैं कि तुम्हारे पिता इस समय कहाँ है?
रोहित ने जवाब दिया-सर, वे जेल में है। कैदखाने में है।
हैडमास्टर ने यही बात अंग्रेजी में अंग्रेज अफसर को बताई। साथ ही यह भी कहा कि यह बच्चा कभी झूठ नहीं बोलता ।
अंग्रेज अफसर यह सुनकर सोच में पड़ गया। संभव हैं वह हमारी किसी जेल में हो। अपने असली नाम के साथ या किसी दूसरे नाम से। यही कारण होगा कि वह हमें मिल नहीं रहा है। यदि वह मिल जाये तो हम कितने ही छिपे हुए बागियों के रहस्य उससे उगलवा लेंगे। अंग्रेज अफसर बिना कुछ बोले, वहाँ से चला गया।
उन दिनों फोन या मोबाइल नहीं होते थे। इसलिये उसने कुछ खास जेलों में अपने आदमी भेजे। सब जगह पत्र भी भेजा कि रामसिंह नाम का बागी जहाँ कहीं भी हो, उसकी सूचना मुझे दी जाए।
पन्द्रह दिन बाद अंग्रेज अफसर फिर उसी स्कूल के उसी कार्यालय में आया और हैडमास्टर पर बरसने लगा-तुमने झूठ बोला कि यह बच्चा रोहित सदा सच बोलता है। बच्चे का यह झूठ है कि उसका पिता जेल में है। हमने सब जेलों में तलाश करवा लिया है। वह कहीं बाहर ही है।
हैडमास्टर को रोहित के 'झूठ' बोलने पर आश्चर्य हुआ। रोहित को बुलाया गया। हैडमास्टर ने उससे कहा-रोहित तुमने यह झूठा क्यों बोला कि तुम्हारे पिता जेल में है। साहब ने सब जेलों में पता कर लिया है। तुम्हारे पिता किसी जेल में नहीं है। नहीं सर, मैं झूठ नहीं बोला। सच कर रहा हूँ कि मेरे पिता जेल में है। अंग्रेजों की जेल में है।
किस जेल में हैं?
उसी जेल में सर, जिसमें आप हैं, मैं हूँ। अंग्रेजों की जेल में। अंग्रेजों ने पूरे देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़कर गुलाम बना रखा है। सर, क्या आप अपने आपको आजाद कह सकते हैं?
बच्चे के इस उत्तर से हैडमास्टर आश्चर्यचकित रह गये। अंग्रेज अफसर आग बबूला हो गया। वह बोला-हैडमास्टर, इस बच्चे को स्कूल से निकाल दो। वरना यह दूसरे बच्चों को भी बिगाड़ सकता है।
फिर बच्चे की तरफ गुस्से में देखते हुए बोला-जैसा बाप, वैसा बेटा।
अब तक हैडमास्टर ने बहुत कुछ सोच लिया था। बोले-सर, मैं इस बच्चे को स्कूल से नहीं निकाल सकता। सर, हमारे देश में टीचर या मास्टर को गुरु कहते हैं। अब तक स्कूल के बच्चे मुझे गुरु मानते रहे हैं। आज मैं इस रोहित को अपना गुरु कहता हूँ। अब मैं भी इस जेल की सलाखें तोड़ने के महायज्ञ में अपनी आहुति दूँगा।
अंग्रेज का गुस्सा अब सातवें आसमान था। वह आया था एक क्रांतिकारी को पकड़ने, वह तो हाथ नहीं आया, पर हैडमास्टर के विचार क्रांतिकारी जरूर हो गये। गुस्से में पैर पटकते हुए बोला-तुम्हारी इस हिमाकत पर मैं तुम्हें गिरफ्तार कर सकता था। पर हमारे जज इस बात की इजाजत नहीं देंगे। पर याद रखना, यदि तुमने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कोई हरकत की तो पकड़ने में देर नहीं करूँगा।
अंग्रेज अफसर चला गया। हैडमास्टर ने रोहित की तरफ देखते हुए कहा-तुम्हारे सच ने मेरी आँखें खोल दी। अब मैं ज्यादा दिन इस स्कूल में नहीं रहूँगा। मैं स्वतंत्रता के लिये किसी न किसी तरीके से लडूंगा, पर तुम न तो यह स्कूल छोड़ना और न पढ़ना छोड़ना। खूब पढ़ लिखकर अपने आपको इतना योग्य बनाना कि तुम बहादुरी से अंग्रेजी शासन से लोहा ले सको।
रोहित की आँखों में आंसू आ गये। उसने हैडमास्टर के चरण छूते हुए कहा-सर, मेरे पिता भी जब घर से निकले थे, तब मुझे उन्होंने यही कहा था....
अब भावुक होकर हैडमास्टर ने रोहित को गले लगा लिया।
- गोविंद शर्मा
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