औरों के दु:ख हरना : हिन्दी कविता - त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Dr. Mulla Adam Ali
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Trilok Singh Thakurela Poetry in Hindi : Alleviate The Suffering Of Others

त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता

औरों के दु:ख हरना हिन्दी कविता : हिन्दी के सुपरिचित कुण्डलियाकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता औरों के दु:ख हरना। हिन्दी कविता कोश में आपके लिए प्रेरणादायक कविता औरों के दु:ख हरना, जीवन अनमोल है इसलिए हंसते हुए इस जीवन को बिताना चाहिए, दूसरों की मदद करना चाहिए इससे आपके मन को अच्छा लगता है और इतना ही नहीं दूसरों को किए हुए मदद का फल किसी न किसी रूप में अपको वापस पहुंचता है इसी विचार पर यह कविता आधार है। Hindi Kavita Kosh, Poetry in Hindi, Trilok Singh Thakurela Hindi Kavita, Motivational Poem in Hindi, Hindi Poetry...


औरों के दु:ख हरना / त्रिलोक सिंह ठकुरेला 


हर दिन तपता, चलता सूरज,

देता सुखद उजाला । 

रात रात भर चांद चमककर 

हरता है तम काला ।। 


तप्त आग में जल सोने का, 

मोहक रूप निखरता । 

मेघ स्वयं की देह मिटाकर, 

खुशियों के सर भरता ।। 


मीठे फल देकर औरों को 

वृक्ष झूमते रहते । 

औरों की ही प्यास बुझाने 

झर झर निर्झर बहते । 


जिसने परहित किया जगत में 

मान उसी ने पाया।

वही श्रेष्ठ है जो औरों को 

सुख देकर मुसकाया ।।  


तुम भी औरों के जीवन में 

रंग और रस भरना । 

आशा के नव दीप जलाकर , 

औरों के दुःख हरना ।। 

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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