बाल साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन

Dr. Mulla Adam Ali
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A critical study of children's literature

बाल साहित्य आज बहुत प्रचलित विधा है, आज बाल साहित्य पर विश्वविद्यालयों में शोध करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, बाल साहित्य में विशेष योगदान के लिए बाल साहित्य पुरस्कार भी बाल साहित्य अकादमी द्वारा दी जा रही है। बाल साहित्य में रोचक बाल नाटक, कहानियाँ, बाल उपन्यास, बाल गीत एवं कविताएँ प्रमुख हैं। आइए आज हमारे हिन्दी भाषा और साहित्यिक ब्लॉग पर जानते है बाल साहित्य पर पूरी जानकारी।

A critical study of children's literature

Table of Contents;

• What is Children's Literature
• Children's literature its characteristics?
• Importance of Children's Literature

बाल साहित्य में वह समस्त साहित्य सम्मिलित हैं जो बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर लिखा गया है। बाल साहित्य में बालक प्रमुख है, बालक के रूचि के अनुसार इस साहित्य का सृजन किया जाता है वह बाल कहानी, बाल कविता, बाल नाटक, बाल उपन्यास, जीवनी, यात्रा वृत्तांत आदि।

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बाल साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन

बच्चों में अध्ययन के प्रति समर्पण के साथ-साथ आधुनिक दौर में रचनात्मकता होना भी बहुत जरूरी है। यह रचनात्मकता ही हमें जिज्ञासु (curious) बनाती है और संवेदनशीलता को बरकरार रखती है। इसके लिए हमारे भीतर का बचपन जिन्दा रहना चाहिए।

डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा में साहित्य ब्लॉग पर इससे पहले कई आलेख विशेष रूप से बाल साहित्य पर लिखे गए है, बाल साहित्य क्या है और अच्छे बाल साहित्य की क्या विशेषताएं होनी चाहिए, बाल मनोविज्ञान और बाल साहित्य का बच्चों पर प्रभाव आदि। आज इस आर्टिकल में बाल साहित्य के बारे में और भी विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे, तो चलिए देखते है क्यों जरूरी है बाल साहित्य को समझना।

बाल साहित्य क्या है : आसान शंदों में कहें तो बाल साहित्य बच्चों का साहित्य है, विशेष रूप बच्चों के लिए लिखा जाता है उनके मानसिक स्तर को आधार बनाकर इसका सृजन किया जाता है। बालक को केंद्र में रखकर यह साहित्य लिखा जाता है, नटखटपन, कल्पनाशीलता, क्रीड़ाएं आदि बाल साहित्य की जान है और यह साहित्य सहज और सरल दर्पण है बच्चों के मन का। बालक के भावो, विचारो, घटनाओं, अनुभवों की भाव सहित प्रस्तुति होती है बाल साहित्य के अंतर्गत, यह साहित्य बालक के जीवन की हर परिस्थिति को अवगत करता है और उसे समझ आने वाली भाषा में लिखा जाने के कारण वह इस साहित्य को पढ़कर कुछ सीखने का प्रयास करेगा। बाल साहित्य में मुख्य रूप से बाल कहानियां प्रमुख होती है, कहानी वह विधा है जिसको बच्चा पढ़ने में रुचि रखता है और कहानी के माध्यम से बच्चों में अच्छे गुणों का विकास कर सकते हैं, बाल कविता भी एक रोचक विधा है बच्चे कविता पढ़ना बहुत पसंद करते हैं।

बाल साहित्य का महत्व : बाल साहित्य का क्या महत्व है, इसका जवाब है कि बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास इस साहित्य से विकसित कर सकते हैं। बाल साहित्य के सहारे बच्चे इतिहास, विज्ञान, प्रकृति और विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। बच्चों में पाठ-पठन का विकास हो सकता है, भाषिक एवं संज्ञानात्मक कौशलों का विकास बच्चों में विकसित करने के लिए बाल साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है, बाल कहानी, कविता पढ़कर बच्चा नए विषयों के बारे में सोचने लगता है और उन विषयों को जानने की जिज्ञासा बच्चों में जागती है।

बाल साहित्य का बच्चों पर प्रभाव : प्राथमिक स्तर के बच्चों को विज्ञान या सामाजिक विषय नहीं पढ़ाई जाती है लेकिन कहानियां, कविता के माध्यम से इन विषयों को अवगत कराया जाता है, आगे कक्षाओं में यह ज्ञान पूर्व ज्ञान के रूप में बच्चों को मददगार होगा। बच्चों को मनोरंजन के साथ कल्पना और रचनात्मकता बाल साहित्य से विकसित होता है। बच्चों में संस्कार प्राप्ति बाल साहित्य से मिलते हैं, अभिभावक या अध्यापक जिस तरह का साहित्य बच्चों को उपलब्ध कराते हैं उसी प्रकार के संस्कार बच्चों में विकसित होते हैं। बच्चे अपने आसपास घटित घटनाओं को देखकर, महसूस करते है और ये चीजों का प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर पढ़ता है, इससे बाल साहित्य का महत्व बढ़ जाता है, क्योंकि मनोरंजन करना ही बाल साहित्य का उद्देश्य नहीं सामाजिक परिवेश से परिचित करना भी है। बाल साहित्य को आधार बनाकर नैतिक मूल्यों का विकास कर एक अच्छे नागरिक के रूप में बच्चों को प्रेरित करना है, बच्चों को अच्छे नागरिक के रूप में स्थापित करने के लिए अभिभावकों का और अध्यापकों का योगदान भरपूर होनी चाहिए। बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा में इस तरह का साहित्य होना आवश्यक है।

बाल साहित्य के गुण या विशेषताएं : अच्छे बाल साहित्य के क्या गुण और विशेषताएं होनी चाहिए इसका जवाब है कि बाल साहित्य बच्चों के आयु सीमा को ध्यान में रखकर लिखना चाहिए, अक्षर साफ दिखाई देनी चाहिए, चित्र रंगीन और आकर्षक होनी चाहिए, कहानी के पात्र बालक ही होनी चाहिए जैसे श्रवण कुमार, अभिमन्यु जैसे। बच्चों को कहानी बहुत पसंद हैं तो साहसिक कहानियां, दोस्ती से संबंधित कहानियां, परियों की कहानियों और जादुई कहानियां में रुचि रखते हैं नैतिक मूल्यों को आधार बनाकर यह कहानियां लिखना चाहिए। बाल साहित्य वैज्ञानिक तथ्य और अन्वेषण पर आधारित है तो श्रेष्ठ माना जाता है।

FAQ;

Q. हिन्दी में बाल साहित्य के जनक कौन है?

Ans. बाल साहित्य युग का प्रवर्तक हिन्दी में प्रख्यात लेखक श्री जयप्रकाश भारती को माना जाता है। श्री जयप्रकाश भारती 'नंदन' पत्रिका के पूर्व संपादक थे इनको हिन्दी बाल-साहित्य का युगनिर्माता कहा जाता है, 'नंदन' सर्वश्रेष्ठ बाल पत्रिका है।

Q. बाल साहित्य के उदाहरण?

Ans. बाल साहित्य के अंतर्गत कई विधाएं है जैसे : कहानी, कविता, जीवनी, नाटक, निबंध, यात्रा वृत्तांत, गीत, उपन्यास आदि। पंचतंत्र की कहानियां, कृष्ण सुदामा, पौराणिक कथाएं, जासूसी कथाएं, मनोरंजक कथाएं, अकबर-बीरबल के किस्से, हितोपदेश, कथा सारितनागर, बेताल पच्चीसी आदि।

Q. हिन्दी में बाल साहित्य के लेखक कौन है?

Ans. हिन्दी में बाल साहित्य का युग प्रवर्तक के रूप में श्री जयप्रकाश भारती को माना जाता है। रामधारी सिंह दिनकर, सोहनलाल द्विवेदी, श्रीप्रसाद, डॉ. राष्ट्रबंधु, द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी, दिविक रमेश, परशुराम शुक्ल, दीनदयाल शर्मा, फहीम अहमद, गोविन्द शर्मा, डॉ. नागेश पांडेय' संजय, श्रीधर पाठक, अनंत कुशवाहा, प्रदीप शुक्‍ल आदि हिंदी के प्रमुख बाल साहित्यकार है।

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