कशमकश के विषय पर बेहतरीन कविता : Kashmakash Poetry in Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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Ritu Verma Poetry in Hindi : Kavita Kosh

Kashmakash hindi poetry

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ज़िंदगी की कशमकश पर चुनिंदा कविता

कशमकश

कभी-कभी कुछ लिखने की 

कोई खास वजह नहीं होती है,

बस मन में चल रहे शोर को 

शब्दों के जरिए पन्नों में 

ठहराव की जरुरत होती है,

जहाँ मन तो चाहता बहुत कुछ कहना 

पर बताना किसी को नहीं चाहता है,

बस खामोशी से अपने अन्दर के 

कोलाहल को कोरे पन्नों में उतारना चाहता है...

नहीं किसी से अब कोई शिकायत बस अपने मन को खुद ही से खुद को समझाना चाहता है...

अपने अन्दर के इस उथल-पुथल को समेटकर व्यवस्थित रखना चाहता है...

हर जगह सवाल-जवाब के उधेड़ बुन में बस मौन साधना चाहता है..

पर कभी-कभी तो साथ ये 

बेशक किसी शख्स का चाहता है..

पर ये बात भी अब जताना किसी को 

मन ये नहीं चाहता है,

बस अपनी सारी बातों को बेवजह चुपचाप पन्नों में बेवजह उतारना चाहता है..

अपने अंतर्मन के इस द्वंद को

एकाग्रचित्त करना ये चाहता है...

मन में उठ रहे समुद्री बेबाक लहरों सी बातों को बस अब बहुत हुआ कहकर मन को विराम देना चाहता हैं।

- रितु वर्मा

नई दिल्ली

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