दो कविताएँ : मेरा भारत है वतन और सारे जग की भाषा हिन्दी

Dr. Mulla Adam Ali
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Poem On India In Hindi and Poem on Hindi Bhasha : Mera Bharat Hain Vatan, Saare Jag Ki Bhasha Hindi

Poem On India In Hindi

मेरे भारत देश पर कविता

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1. मेरा भारत है वतन


मेरा भारत है वतन

ये है अनमोल रतन

इसे करले तू जतन,

सुन ये नव जवान,

           इस में है तेरी आन तेरी शान ॥ मेरा ॥

अनेक देश और भी है,

बड़े-बड़े संसार में

दूजा नहीं है हिन्द-सा,

तू देखले इतिहास में,

          अनोखा देश है ये देश है हिन्दुस्ता । मेरा ॥

हिमालय छूवे गगन,

और चले ठंड पवन,

झुगे कश्मिरी चमन,

स्वर्ग के समान

         इसी में है तेरी आन तेरी शान । मेरा ॥

बडे ही आफ़तों से हम,

स्वतंत्रता को पा गये,

जानो से खेल खून की

नदियाँ वहाँ बहा दिये,

         मन में था जोश वतन जोशे वतन बेगुमा

आजादी का कथन,

सुन के नीर भरते नयन

देश था अंगेज़-ग्रहण

सर्प था महान

            इस में है तेरी आन तेरी शान । मेरा ॥

- रामपेण्डम् बिच्चय्या

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2. सारे जग की भाषा हिन्दी


सब भाषाओं के माथे की,

बिन्दी, सुन्दर भाषा हिन्दी।

एक सूत्र में बाँध रही है,

यही राष्ट्र की भाषा हिन्दी ।


उन्नति की नवज्योति जलाकर,

विश्व प्रेम बतलाती हिन्दी।

मन्दिर, मस्जिद, तीर्थ क्षेत्र में,

यह सम्पर्क बनाती हिन्दी ॥


अमर प्रेम का दीप जलाती,

गंगा-गोदावरी मिलाती।

सहज, सरल, सुन्दर पुनीत यह,

'लाल' विश्व की भाषा हिन्दी ॥

- लालता प्रसाद मिश्र 'लाल'

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