सुनो दीपशालिनी : रवीन्द्रनाथ ठाकुर के दो गीत

Dr. Mulla Adam Ali
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कविता कोश में विश्व कवि रवींद्रनाथ ठाकुर के चुनिंदा गीत "सुनो दीपशालिनी" से अनुवादक प्रयाग शुक्ल। मुक्ति यहीं यहीं और उस जल में रवींद्रनाथ टैगोर के दो गीत हिन्दी में।

Rabindranath Tagore : Suno Deepashalinee
Prayag Shukla (Translator)

Rabindranath Tagore Ke Geet Suno Deepashalinee

कवि, कथाकार, अनुवादक प्रयाग शुक्ल के अनुवादन में रवींद्रनाथ टैगोर "सुनो दीपशालिनी" से दो गीत आज कविता संग्रह में प्रस्तुत है, गीत उस जल में और गीत मुक्ति यहीं यहीं। बंगाल गीत हिन्दी में अनुवाद रवींद्रनाथ टैगोर के बंगाली गीत गीतांजलि से अनुवाद गीत। सबसे अधिक लोकप्रिय रचना रवीन्द्र की गीतांजलि है। अंग्रेज़ी अनुवाद गीतांजलि रचना ने टैगोर को श्रेष्ठ कवियों एवं रचनाकारों की श्रेणी में स्थापित कर दिया। गीतांजलि की रचना आरंभ करते समय रवींद्रनाथ ठाकुर की आयु मात्र चालीस थी।

रवींद्रनाथ टैगोर के चुनिंदा गीत : सुनो दीपशालिनी से

Table of Contents;

• मुक्ति यहीं यहीं / रवींद्रनाथ टैगोर / सुनो दीपशालिनी / प्रयाग शुक्ल

• उस जल में / रवींद्रनाथ टैगोर / सुनो दीपशालिनी / प्रयाग शुक्ल

• प्रयाग शुक्ल का संक्षिप्त परिचय

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रवींद्रनाथ टैगोर / सुनो दीपशालिनी / प्रयाग शुक्ल

मुक्ति यहीं यहीं


मुक्ति मेरी यहीं यहीं, बस प्रकाश में,

इस आकाश में ॥

मुक्ति मेरी धूलि कणों, यहीं घास में।

खो देता दूर पार, मैं ये तन-मन,

दुख विपद तुच्छ लगें, इसी आस में ॥

विश्व-जनक की वेदी पर मेरी ज्वाल,

वहीं वहीं आहुति दे, रहूँ मैं निहाल ।

मुक्ति इसी में मेरी, जीवन हो होम-

इस प्रकाश में, इस प्रकाश में ॥


रवींद्रनाथ टैगोर / सुनो दीपशालिनी / प्रयाग शुक्ल

उस जल में


सारा दिन क्यों धीरे-धीरे,

खेल रही बालू से तीरे ॥

खेल छोड़ यह, अरे, उतर बस,

उतर वहाँ अँधियारे जल में ॥

बेला बीती, उतर उतर बस, वहीं अतल में,

डुबकी दे, जो मिले, उठा ले। गले लगा ले ॥


वही उठाकर घर को चल दे।

नहीं जानती मन में क्या ले,

बैठा कौन वहाँ उस पथ में ॥

किन कुसुमों की गन्ध उड़ाता,

फागुन पवन चला उपवन में,

उसका ही सन्देशा लाता,

भरता एक उदासी मन में ॥

चल रे, पागल इसी हवा में,

भरकर वही उदासी मन में,


चल दे, आ रे! घर को चल दे ॥

अनुवाद : प्रयाग शुक्ल

Brief introduction of Prayag Shukla

संक्षिप्त जीवन परिचय : प्रयाग शुक्ल

नाम : प्रयाग शुक्ल

जन्म : मई, 1940, कोलकाता में।

कोलकाता विश्वविद्यालय के स्नातक। कवि, कथाकार, कला समीक्षक, निबन्धकार और अनुवादक।

बांग्ला से रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 'गीतांजलि' और इस पुस्तक के गीतों के अतिरिक्त जीवनानन्द दास और शंख घोष की कविताओं का भी अनुवाद । बंकिम चन्द्र चटर्जी के प्रतिनिधि निबन्धों के अनुवाद पर साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार। बच्चों के लिए भी लेखन, रचना, अनुवाद और सम्पादित संकलनों की पुस्तकें प्रकाशित । कल्पना, दिनमान, नवभारत टाइम्स के सम्पादक मंडल में रहे। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के त्रैमासिक वृत्त रंग प्रसंग के सम्पादन के बाद इन दिनों संगीत नाटक अकादमी की प्रस्तावित हिन्दी पत्रिका संगना के सम्पादक हैं। देश-विदेश की कई यात्राएँ और उन पर लेखन भी।

FAQ;

Q. सबसे प्रसिद्ध कविता रवींद्रनाथ टैगोर की कौन सी है?

Ans. गीतांजलि कविता संग्रह टैगोर की सबसे प्रसिद्ध है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, इस कविता संग्रह अंग्रेजी अनुवाद के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार 1913 में मिला था।

Q. रवींद्रनाथ टैगोर किस नाम से जाने जाते हैं?

Ans. गुरुदेव नाम से रवींद्रनाथ टैगोर जाने जाते हैं।

Q. विश्व कवि किसे कहते हैं?

Ans. रवींद्रनाथ टैगोर को विश्वकवि कहते हैं।

Q. रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ?

Ans. 7 मई, 1861, कलकत्ता में टैगोर का जन्म हुआ।

Q. रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु कब हुई?

Ans. मृत्यु 7 अगस्त, 1941, कलकत्ता में।

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