मौन के विषय पर बेहतरीन कविता : सर्वज्ञ जो वह मौन है

Dr. Mulla Adam Ali
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The Omniscient One Who Is Silent : Hindi Kavita

the omniscient one who is silent

सर्वज्ञ जो वह मौन है हिंदी कविता

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सर्वज्ञ जो वह मौन है


सर्वज्ञ जो मौन है, अज्ञ बना वाचाल ।

अल्पज्ञ की महिमा बड़ी, दावे करे कमाल ॥

मनचाहा कब सब मिले, गिले सो करो पसंद।

चाहत अपनी टाल दे, हो जा मस्त कलंद ॥

आगे पीछे जो दिखे, ऊपर नीचे जोय।

उन सब से है प्रबल वह, भीतर रमता जोय ॥

पशुबलि तो अनिवार्य है, उससे मत घबराय।

भीतर का पशु मारकर, उसकी बलि दे चढाय ।।

देवासुर संग्राम नित, भीतर है लहराय।

रावण दल भारी कभी, कभी रामजी छाय ॥

कुदरत से सब मिल रहा, बिन कुछ गोल चुकाय ।

मगर प्रदूषण कोप से, जग कैसे बच पाय ॥

जीवन बकशक में गया, गिली न पलभर शांति ।

स्वार्थ सदा आगे रहा, काटे कटी न भांति ॥

दुख की कथा अनंत रे, सुख संक्षिप्त असार ।

चार दिना की चांदनी, फिर तम-तोग अपार ॥

सुख चाहो तो ढूंढ लो, भीतर गोता खाय।

बाहर का सुख भ्रम निरा, भीतर का हर्षाय ॥

सुख तो बस संयोग रे, दुख सागर के बीच।

सुख सागर है कल्पना, जीवन-सरिता बीच ॥

- रणवीर रांग्रा

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