मृत्यु के विषय पर विजय कुमार की बेहतरीन कविता : मौत से पहले

Dr. Mulla Adam Ali
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Vijay Kumar's best poem on the subject of Death : Poem on Death in Hindi

Poem on Death in Hindi

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मृत्यु के विषय पर बेहतरीन हिन्दी कविता : विजय कुमार की कविताएं

मौत से पहले


प्रतिदिन अकसर

वे चित्र दिख जाते हैं

कि कुछ लोगों की आँखों पर पट्टियाँ बँधी हुई हैं

वे एक कतार में घुटनों के बल बैठे हैं

पीछे से कुछ लोगों की उन पर तनी हुई बन्दूकें हैं

हर बार बन्दूक से वह गोली कब दागी गयी

हर बार कैसा था वह धमाका


नहीं, कल्पनाएँ अब वर्जित हैं

उतना ही देखिये आप

जितना दिखाया जाता है


घटित से पहले का यह एक नाटकीय लमहा है

ट्रिगर पर कसी हुई कुछ मुस्तैद उँगलियाँ

घुटनों के बल बैठे लाचार लोगों के पीठ पर बँधे हुए हाथ

रुकिये-रुकिये

पन्ना पलटिये मत

दूसरी ख़बरों की तरफ़ जाइए मत

चैनल बदलिये मत

हम जानते हैं कि

अभी-अभी चॉकलेट का एक विज्ञापन आएगा

या एक सुन्दरी त्वचा की क्रीम बेचने आसमान से उतरेगी

आपको उबार लिया जाएगा इस सबसे

और भी दुनिया भर के तमाम ज़रूरी काम हैं निपटाने आपको


इस बीच हर बार कब बन्दूक से निकली होगी गोली

कैसे लुढ़कते गये वे घुटनों के बल बैठे लोग

वे जिनके पास कोई उपाय नहीं था

वे जिन्हें महज अपनी मौत का इन्तज़ार करना था

वे जिनकी साँसें अभी चल रही थीं, वे जिनके दिल धड़क रहे थे

वे जो सिर्फ संख्याओं में बदल गये थे, छायाएँ बन गये थे

वे ज़िन्दा लोग मेरी आपकी तरह ही थे

वे शायद कुछ सोचते भी रहे होंगे उस वक़्त

कुछ महसूस भी यकीनन कर ही रहे होंगे

हाँ वे ज़िन्दा लोग वे बोरों की तरह लुढ़कते चले गये होंगे


रुकिये, कुछ देर रुकिये

सम्भवतः यह पृथ्वी अभी घूमना बन्द कर दे

शायद ठहर जाए यह पूरी कायनात

खुदा की खुदाई को कुछ गैरत आ जाए

कि वह दृश्य जो पूरा नहीं हुआ

वह दृश्य हमेशा अधूरा है

उसे अभी लिखा जाना है, बताया जाना है, सुनाया जाना है

देखिये उस घटित को जो इसका अर्थ है जो इसके बाहर है


और...

दुनिया का कोई काम इस वक्त इससे ज़्यादा ज़रूरी नहीं।

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