भारत एक विशाल देश है। यहाँ की जनसंख्या डेढ़ सौ करोड़ से अधिक है। विश्व में चीन के बाद हमारा भारत जनसंख्या की दृष्टि से सब से बड़ा देश है। हमारे विशाल भारत में भूखण्ड वातावरण, प्रदेश, धर्म, जाति, वेशभूषा तथा भाषा के आधार पर विविधता पाई जाती है जो इतने विशाल देश के लिए अनिवार्य भी है। लेकिन हमारा भारत एक ऐसा अनुपम देश है जिसकी विविधता में एक अद्भुत एकता पाई जाती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के कर्णधारों ने हिंदी की परंपरागत देशव्यापी भूमिका को स्वीकार करते हुए संविधान के अनुच्छेद 349 के द्वारा उसे राजभाषा पद पर प्रतिष्ठित किया और उसके प्रचार प्रसार को केंद्रीय सरकार का विशेष दायित्व माना। आज हम हिंदी भाषा को मातृभाषा के रूप में, जनभाषा के रूप में, और सम्पर्क भाषा के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। इसकी अवधारणा और परिभाषा क्या हो सकती है जरा ध्यान से सोचें व विचार करें।
National and International Hindi Diwas Poems In Hindi
हिन्दी देश की एकता की कड़ी है। हिंदी जोड़ने का माध्यम है, तोड़ने का नहीं। हिन्दी हमारी पहचान है, आज हिंदी विश्वभाषा के रूप में गौरवान्वित हैं। हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। आज हिंदी दिवस पर आपके लिए प्रस्तुत है 10 बेहतरीन कविताएं।
हिंदी दिवस पर कविताएँ
Table of Contents;
• हिन्दी दिवस पर कविता "हिन्दी की पहचान
• हिन्दी माता हिन्दी दिवस पर पोएम
• विश्व हिंदी दिवस पर कविता एकता का माध्यम हिंदी
• राष्ट्रीय हिन्दी दिवस कविता हिन्दी भारत का संस्कार है
• अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता हिंदी का ऋण
• Hindi Day Poem है हिन्दी हिन्दुस्तानी
• हिन्दी दिवस पर दोहे (Hindi Day Dohe)
• international Hindi Day Poetry सक्षम हिन्दी
• हिन्दी भाषा पर कविता हिन्दी-दुर्दशा
• कविता हिन्दी दिवस पर दिनकर की हुंकार है हिन्दी
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• हिंदी दिवस पर दोहे : हिंदी भाषा को समर्पित 9 दोहे
1. हिंदी की पहचान
हिंदी है पहचान हमारी
हिंदी ही है शान हमारी।
हिंदी का अंदाज निराला
हिंदी का है राज निराला ।
बोलने में यह बहुत सरल है।
समझाने में बहुत सफल है।
लिखने का आसान तरीका
लिपि भी इसकी बड़ी सरल है।।
हिंदी है अब जान हमारी
बढ़ेगी इससे शान हमारी
हिंदी है पहचान हमारी।।
- सुजित के एस
2. हिन्दी माता
अपने ही बेटी-बेटों के
उर गृह से निष्कासित
हुई अहल्या सी प्रस्तरवत
हिन्दीमाँ अभिशापित-
छली गयी विदेशियों द्वारा
पहले हिन्दी माता
आज स्वदेशी इन्द्रादिक को
रूप न उनका भाता।
प्रिय हो गयी आंग्लभाषा
संस्कृति जो है आयातित-
मत के गुणा भाग में वे
मतदाता को भरमाते,
हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तानी
कहने में सकुचाते।
हिन्दी दिवस मनाकर करते
हिन्दी को संतापित-
संस्कृति और सभ्यता का
सूरज ढलान को पथ पर,
इसे बचाओ बन्धु
राष्ट्रभाषा के रथ पर चढ़कर
शाश्वत जीवन मूल्यों को
अब करो पुनर्स्थापित-
- राजेन्द्र बहादुर सिंह 'राजन'
3. एकता का माध्यम हिंदी
मैं हिंद की बेटी, हिंदी हूँ मैं
मुझे गर्व है मैं सवा सो करोड़ की
जनसंख्यावाले प्रजातंत्र की
मातृभाषा कहलाती हूँ-
पर दुख मेरे दिल के किसी कोने में
एक दर्द भी है
वो ये कि आज तक मैं हर भारतीय की
भाषा नहीं बन पाई
हिंदी बोलने वाले भी हैं
पर आज भी वे अंग्रेज़ी बोलने वालों के आगे
स्वयं को दोयम की स्थिति में पाते हैं।
क्या यह हिंदी भाषी हिन्दुस्तानी के लिए
विडंबना नहीं है।
क्यों नहीं हिंद के शासकों की आँखें खुलतीं।
क्यों नहीं कोई सार्थक प्रयत्न करते वो?
हिंदी को उसका उचित स्थान दिलाने की
सभी जानते हैं, यह सत्य कि
भारत के हर प्रांत के लोगों को एक सूत्र में बांधने का
एक मात्र सार्थक माध्यम यही है।
- अशोक मोदी
4. हिन्दी भारत का संस्कार है
एकता का बल, प्यार का हार है हिन्दी
प्रगति को स्वाभिमान का उपहार है हिन्दी
भाषा के विज्ञान में चमत्कार है हिन्दी
जन गण के मन का सहज सिद्ध अधिकार है हिन्दी!
हिन्दी के बहाने हम एक दूजे की चेतना को लुभाते हैं
हिन्दी के सहारे अपनी जागरूकता को बहलाते हैं।
हर भाषा की बहन हिन्दी, देश के दिल की है धड़कन
हिन्दी जीवन है, और हम हैं कि हिन्दी दिवस मनाते हैं!
हिन्दी भारत की सभ्यता, हिन्दी भारत की संस्कृति
हिंदी भारत का संस्कार है
हिंदी की आत्मीयता इतनी गहरी कि
देश की हर भाषा का हिंदी पर अधिकार है।
हिंदी जमीन है, स्वाभिमान की जड़ें जमाती है
हिंदी आकाश है, प्रगति की उड़ान भरती है
भारतवासी को आपस में मिलाती है हिन्दी
हिंदी विश्व में भारत की पहचान कराती है।
- प्रह्लाद श्रीमाली
5. हिंदी का ऋण
हिंदी, तेरा ऋणी हूँ मैं,
हिन्दी, तुझसे ही धनी हूँ मैं।
हर भाषा से प्रेम का नाता मेरा,
पर तेरा ही गुणी हूँ मैं- हिन्दी...
माँ से जन्म मैंने पाया,
मातृभूमि का यश मैंने पाया।
विश्वभर में तू सर्वप्यापी,
तेरे गीतों का धुनी हूँ मैं- हिन्दी...
हिंदी सेवा ही धर्म मेरा,
हिंदी प्रचार-प्रसार कर्म मेरा।
कुछ कर रहा, कुछ कर दिखाना है,
है लक्ष्य, जीवन का मर्म यह मेरा
कहते लोग कि, बस मूडी हूँ मैं- हिन्दी...
सागर को गांगर में रखना, शोभायमान नहीं
सिर्फ एक दिन हिंदी दिवस मनाना मान्य नहीं
भास्कर को कैद करना, कोई आसान नहीं
हिंदी बिना हमारे हिन्दुस्तान की जान नहीं
हिंदी के कर्मयुद्ध का सैनिक हूँ मैं- हिन्दी...
- शशिलेन्द्र कुमार गुप्ता
6. है हिन्दी हिन्दुस्तानी
है हिन्दी हिन्दुस्तानी इसको, ना हम बिसरायें
नहीं लगने लगे ये पराई, जो राष्ट्र भाषा कहलाये- है हिंदी...
हिंदी तो माँ है मेरी, है प्राणों से प्यारी
रग रग में रुधिर बन बहती, तन मन में ऊर्जा भरती
संकल्प करें हम देशवासी हिंदी को ही अपनायें- है हिंदी...
हिंदी और क्षेत्रीय भाषा, मां बेटी सम कहलाये
सौतन बन आई, अंग्रेज़ी, नखरे खूब दिखाये
रूप जाल में फांसा हमको, बाहों में इसकी समायें- है हिंदी...
सुर व्यंजन वर्णाक्षर संगीत की धुन जगाये
ये सरल सुहानी प्यारी जुबां पे जल्दी आये
तारीफ करे वैज्ञानिक, इसको ही महान बताये - है हिंदी...
खूब स्वाद चखा, विदेशी अब लौट चलो मेरे भाई
हम गौरवशाली संतानें मिली पूर्वोत्तर की माई
अब भूल सुधारों अपनी हिन्दी की ताकत दिखायें- है हिंदी...
छोड़ो जात पात की बातें एक सूत्र में बँध जायें
मिले जो कड़ी से कड़ी तो हिन्दुस्तान बन जायें।
हो सरकारी काम हिंदी में, हम जुबां पे हिंदी बतियाये- है हिंदी...
- अनिल मोदी
7. दोहे
भाषा तो है सब हैं भली, सबको हम अपनाय
हिंदी राष्ट्र भाषा है, इसे आगे बढ़ाय !!
लिखना पढ़ना हिंदी में, हिंदी बोली जाय
भारत माँ के भाल की, शोभा वही बढ़ाय!!
हिंदी की कर चाकरी, हिंदी के गुण गाय!
हिंदी रस से है भरी, हिंदी हमको भाय!!
गांधी नेहरू लोहिया, हिंदी को अपनाय!
फिर इस देश के नेता, क्यों न इसे बढ़ाय??
अंग्रेज़ी को छोड़ यदि, हिन्दी को अपनाय।
हिन्दी भाषा हिन्द में, तब स्थान पा जाय।।
भाषा इतनी सरल है, मीठे इसके बोल!
प्यार से जो बोले इसे, मिश्री रही ये घोल!!
- रेखा गुप्ता, 'रश्मि'
8. सक्षम हिन्दी
भारत के जीवन-दर्शन की, एक मात्र परिभाषा हिन्दी ।।
छू ले विश्व-शिखर को हिन्दी, जन-जन की यह भाषा हिन्दी ।।
माँ हिन्दी तो ममतामयी है, नहीं दुराव किसी से इसका
भाषा हो या बोली हो, है लगाव सभी से इसका
यह है सेतु अमोघ चिरन्तन, पाले नहीं दुराशा हिन्दी- छू ले...
यह विविधता और एकता की संस्कृति का मूलमंत्र है।
देश सुरक्षित सूत्रबद्ध हो, खिलता प्यारा लोकतंत्र है
निर्झरिणी सी सदा प्रवाहित, करती दूर हताशा हिन्दी- छू ले...
नहीं राष्ट्रभाषा का गौरव, हिन्दी को अब तक मिल पाया
नहीं राजभाषा के आगे, कोई कदम नया हिल पाया
अपने ही घर में विरोध से, झेले बहुत निराशा हिन्दी- छू ले...
फिर भी संघर्षों में रत हो, कभी न टूटी हारी हिन्दी
बढ़ती रही सदा आगे ही, बनकर देश-दुलारी हिन्दी
यह विकास संकल्प-दीप की, स्वयं प्रकाशित भाषा हिन्दी
बनकर हिन्दी दूत जगत के, कोटि-रोटि की सोच बदल दे
सर्वाधिक जो बोली जाती, उसे समर्थन सभी प्रबल दें
गौरव से हम पढ़ें लिखें सब, भारत की अभिलाषा हिन्दी- छू ले...
जोड़े हिन्दी इंटरनेट से, भिन्न-भिन्न तकनीकों द्वारा
अंग्रेजी को पाठ पढ़ाएँ, बड़ी बड़ी रच लीकों द्वारा
बिन प्रयोग के देव नागरी, बनें न एक तमाशा हिन्दी- छू ले...
शीघ्र बने संयुक्त राष्ट्र की, भाषाओं में भाषा हिन्दी
नहीं किसी से कम महत्व है, सर्वमान्य है भाषा हिन्दी
आत्मसात शब्दों को करने में सक्षम है भाषा हिन्दी- छू ले... -
- नन्द कुमार मनोचा
9. हिन्दी-दुर्दशा
न हिन्दी संसद में निखरी।
न जात सरकार की सुधरी ।।
पहली राष्ट्रभाषा, दूसरी प्रांतभाषा
हो तीसरा दर्जा, अंग्रेज़ी भाषा
न चलने दें, चाल लंगूरी- न हिन्दी...
हिन्दी लिखे पढ़े, जो भी जनगण
माने राष्ट्रभाषा, जिसका भी मन
है चुनाव में, जीताना जरूरी- न हिन्दी...
अदालत में पहले, हिन्दी से काम हो
प्रांतीय भाषा भी, जिरह का नाम हो
सूरत अंग्रेज़ी, करें कारी-कारी- न हिन्दी...
देश के दिल में, हिन्दी बसायें
हिन्दीतर मन को, सार समझायें
भारतीयता की हिन्दी गगरी- न हिन्दी...
एक राष्ट्रभाषा जहाँ नहीं है
अखण्डता-आशा वहाँ नहीं है
की बात मधुकर ने पूरी- न हिन्दी...
- जवाहरलाल 'मधुकर',
10. दिनकर की हुंकार है हिन्दी
कबिरा के नयनों की गागर, खुसरो का अरमान है हिन्दी।
सूरा के प्राणों की बाती, राम लला का गान है हिन्दी।।
नागमती बिरहा से झुलसे, पद्मावत अमरित सरसावै ।
घनानन्द को तरसै हियरा, केशव रति को मान बढ़ावै।।
मीरा का इकतारा बाजै, भारतेंदु का भाल है हिन्दी- सूरा...
रीतिकाल के मुकुट बिहारी, भूषनोज-छटा फहरावै।
कहुँ रसखान चखावै माखन, नन्द को छोरा बेनु बजावै ।।
विरह-वेदना है उर्मिला की, जयशंकर का लास है हिन्दी - सूरा...
कहुँ अज्ञेय बिखेरे मोती, मुक्तिबोध पीड़ा छलकावै ।
बच्चन की छलकै मधुशाला, पन्त-पपीहा पिउ-पिउ गावै।।
महादेवि का दीपशिखा है, दिनकर की हुंकार है हिन्दी- सूरा...
आओ अर्ध्य चढ़ावै मिलिकै, भारत का अभिमान है हिन्दी।
तन-मन-धन अर्पण जग सारा, आर्यावर्त्त का भाल है हिन्दी।।
प्रेमचंद की कहूँ निर्मला, देवदास की पारो हिन्दी- सूरा...
-डॉ. रामबहादुर व्यथित
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FAQ;
Q. राष्ट्रीय हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?
Ans. भारत में हिंदी दिवस राष्ट्रीय स्तर पर हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है।
Q. विश्व हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?
Ans. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व हिंदी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है।
Q. राष्ट्रभाषा का दर्जा हिंदी को कब मिला?
Ans. संविधान निर्मात्री सभा ने 14 सितंबर, 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था। इसी दिन से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
Q. हिंदी दिवस सर्वप्रथम कब मनाया गया था?
Ans. पहला हिंदी दिवस आधिकारिक तौर पर 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था।
Q. हिंदी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans. हिंदी भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहन देना हिंदी दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य। हिन्दी के महत्व को विश्व स्तर पर पहुंचाना और हिन्दी का प्रचार प्रसार करना है।
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