साहित्य में महिला साहित्यकारों का योगदान

Dr. Mulla Adam Ali
0

Contribution of women writers in literature - Trilok Singh Thakurela

Contribution of women writers in literature

साहित्य में महिला साहित्यकारों का योगदान

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

समाज हो या साहित्य दोनों ही क्षेत्रों में स्त्री और पुरुष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समाज के निर्माण में स्त्री और पुरुष दोनों का योगदान रहा। वर्तमान में समाज का जो स्वरूप परिलक्षित होता है, उसे निर्मित करने में स्त्री और पुरुष दोनों के समवेत प्रयास रहे हैं। साहित्य को समृद्ध करने में पुरुष रचनाकारों ने जिस तन्मयता का परिचय दिया है, लगभग उसी संवेग से महिला साहित्यकारों ने साहित्य के क्षेत्र में दस्तक दी है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता की अवधारणा वाले भारतवर्ष में स्त्री और पुरुष समाज के अनिवार्य अंग माने गये हैं। संक्रमण काल की विसंगतियों को छोड़कर देखा जाए तो भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति सदैव सम्मानजनक रही है। प्राचीन भारत में महिलाओं का स्थान बहुत उन्नत और उनकी स्थिति सुदृढ़ रही है। जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। शिक्षा एवं कला-कौशल के क्षेत्र में स्त्री वर्ग ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। गार्गी, मैत्रेयी, देवयानी, कौशल्या, शीला, शबरी, गांधारी, कुंती, द्रोपदी, देवकी, यशोदा, अरुंधति इत्यादि ने अपने पांडित्य, ज्ञान-विज्ञान, शौर्य, साहस, कौशल, त्याग और सेवा भाव से समाज में अविस्मरणीय स्थान बनाया और समाज को उन्नत करने में अपना अमूल्य सहयोग दिया।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की बात की जाए तो यहाँ भी महिलाओं की उपस्थिति उनके त्याग और बलिदान का प्रतिपादन करती है। रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, सरोजनी नायडू, कित्तूर रानी चेन्नम्मा, भीकाजी कामा, दुर्गा भाभी, लक्ष्मी सहगल, सुचेता कृपलानी जैसी अनेक हस्तियों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए देशहित में अपना जीवन अर्पित कर दिया।

सामाजिक कार्य हों, युद्ध का मैदान हो अथवा खेल का मैदान जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं का प्रदेय सराहनीय है। साहित्य के क्षेत्र में महिलाओं ने अपने सार्थक लेखन से समाज को एक नयी दिशा दी है। भारत की महिला कवयित्रियों ने अपनी लेखनी से सभी को प्रभावित किया है । सरोजनी नायडू ने बाल्यावस्था में ही कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। उन्हें 'भारत कोकिला' के नाम से जाना जाता है । कमला सुरैया, तोरू दत्त, अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, बालमणि अम्मा, मीराबाई, अक्का महादेवी, लल्लेश्वरी, कामिनी राॅय, आशा पूर्णा देवी, इंदिरा गोस्वामी, शांता जनार्दन शेलके, कमला भसीन, नलिनी बाला देवी इत्यादि अनेकों महिला साहित्यकारों ने हिन्दी कविता को स्थापित करने का कार्य किया है।

जरूर पढ़े; आधुनिक हिंदी कहानी के विकास में महिला कहानीकारों का योगदान : Women Story Writer in Hindi

कमला सुरैया मलयालम भाषा की रचनाकार थीं। तोरू दत्त इंडो- एंग्लियन साहित्य के संस्थापकों में से एक रही हैं, जिन्होंने अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। अमृता प्रीतम पंजाबी की लोकप्रिय रचनाकारों में से एक हैं । उन्हें पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। महादेवी वर्मा हिन्दी की चर्चित कवयित्री हैं, जो छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। राष्ट्रीय चेतना की सजग कवयित्री के रूप में सुभद्रा कुमारी चौहान से सभी परिचित हैं। कृष्ण भक्ति के पदों की रचना करके मीराबाई ने जनमानस में अपना सम्मानजनक स्थान बनाया है, तो अक्का महादेवी कन्नड़ साहित्य की अपनी सहज रहस्यमयी कविताओं के लिए जानी जाती हैं। लल्लेश्वरी कश्मीर की शैव भक्ति और कश्मीरी भाषा की अनमोल कड़ी हैं। स्त्री के आत्मबोध की गहराई को उजागर करने में सिद्धहस्त कामिनी राॅय एक बंगाली कवयित्री रही हैं। आशापूर्णा देवी भी बांग्ला भाषा की सुपरिचित कवयित्री रही हैं। इंदिरा गोस्वामी असमिया साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर थीं। शांता जनार्दन शेलके ने मराठी भाषा में गीत कहानियाँ तथा बाल साहित्य की रचना की। नलिनी बाला देवी भी असमिया की चर्चित कवयित्री रही हैं।

वर्तमान समय में महिला रचनाकारों ने सृजन के नये आयाम स्थापित किये हैं। अतुकांत कविता और छांदस विधाओं की बात की जाये तो महिला साहित्यकारों की संख्या अच्छी खासी है। यहाँ मैं उन महिला साहित्यकारों का जिक्र करना चाहूॅंगा जिन्होंने कुण्डलिया जैसे पुरातन छंद को आधार बनाकर सृजन किया है। इनमें साधना ठकुरेला, डा. रंजना वर्मा,परमजीत कौर रीत, तारकेश्वरी सुधि, डॉ ज्योत्स्ना शर्मा, ऋता शेखर मधु, वैशाली चतुर्वेदी, शकुन्तला अग्रवाल शकुन, उर्मिला श्रीवास्तव उर्मि आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

कहानी लेखन के क्षेत्र में महिला साहित्यकारों के योगदान से साहित्य जगत भलीभाँति परिचित है। सुभद्रा कुमारी चौहान, कमला चौधरी, सुमित्रा कुमारी सिन्हा, होमवती, शिवरानी देवी, चन्द्रकिरण सोनरेक्सा, शशिप्रभा शास्त्री, शिवानी, कृष्णा सोवती, मन्नू भण्डारी, उषा प्रियंवदा, ममता कालिया, दीप्ति खण्डेलवाल, मृणाल पाण्डे, मृदुला गर्ग, चित्रा मुद्गल, राजी सेठ, मंजुल भगत, मणिका मोहिनी, प्रतिभा वर्मा, सुधा अरोड़ा, सूर्यबाला, मेहरुन्निसा परवेज़, इन्दु बाली, मालती जोशी, कृष्णा अग्निहोत्री, चंद्रकांता, कुसुम चतुर्वेदी, मैत्रेयी पुष्पा, नमिता सिंह, उषा किरण खान, गीतांजलि श्री, कमल कपूर, नासिरा शर्मा, लता शुक्ल, अलका सरावगी, मधु कांकरिया, उर्मिला शिरीष, जया जादवानी, लवलीन, मुक्ता इत्यादि अनेक महिला कथाकारों ने हिन्दी कहानी को समृद्ध किया है। अन्य भाषाओं के कथा साहित्य में महिला रचनाकारों उपस्थिति संतोष प्रदान करती है। इन कहानियों के माध्यम से इन कथाकारों ने समाजिक समीकरणों, अन्तरसम्बन्धों, मनोवैज्ञानिक समस्याओं, विषमताओं और कुरीतियों को रेखांकित करते हुए समाधान, नवाचार, नये विकल्प, प्रगति तथा नव निर्माण के मार्ग प्रशस्त किये हैं।

हिन्दी उपन्यासों की ओर दृष्टि डालते हैं, तो ज्ञात होता है कि महिला साहित्यकारों ने सैकड़ों उपन्यासों की रचना की है। उषा प्रियंवदा ने पचपन खम्भे लाल दीवारें, रुकोगी नहीं राधिका, शेष यत्रा, अंतर्वशी तथा भए कबीर उदास, चन्द्रकिरण सोनरेक्सा ने चंदन चाॅंदनी तथा वंचिता, कृष्णा सोवती ने मित्रो मरजानी, सूरजमुखी अंधेरे के, जिन्दगीनामा, दिलोदानिश तथा समय सरगम, शशिप्रभा शास्त्री ने अमलतास, नावें, सीढ़ियाँ, परछाइयों के पीछे, क्योंकि ,कर्करेखा, परसों के बाद, ये छोटे महायुद्ध, उम्र एक गलियारे की, सागर पार का संसार, मीनारें, खामोश होते सवाल तथा हर दिन इतिहास, मेहरुन्निसा परवेज़ ने आंखों की दहलीज, उसका घर, को रजा, अकेला पलाश, समरांगण तथा पासंग, मन्नू भण्डारी ने आपका बंटी और महाभोज, शिवानी ने चौदह फेरे, कृष्णकली, भैरवी, विषकन्या, करिए छिमा, श्मशान चंपा, गैंडा, मणिक और रक्षा,किशुनली तथा विवर्त, ममता कालिया ने बेघर, नरक दर नरक, प्रेम कहानी, साथी, लड़कियाँ, एक पत्नी के नोट्स तथा दुक्खम-सुक्खम, दिनेश नंदिनी डालमिया ने मुझे माफ करना, आहों की वैसाखियाॅं, कंदील का धुंआ, आंख मिचोली, मरजीवा, फूल का दर्द तथा यह भी झूठ है, मृदुला गर्ग ने उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, मैं और मैं तथा कठ गुलाब, दीप्ति खण्डेलवाल ने प्रिया, कोहरे, वह तीसरा तथा प्रतिध्वनियाॅ, मंजुल भगत ने अनारी, बेगाने घर में, खातुल, तिरछी बौछार तथा गंजी, कांता भारती ने रेत की मछली, मृणाल पाण्डेय ने विरुद्ध, पतरंगपुर पुराण तथा रास्तों पर भटकते हुए, सूर्यबाला ने सुबह के इंतजार तक, मेरे संधिपत्र,अग्निपंखी, यामिनी कथा तथा जूझ, चन्द्रकांता ने अर्थान्तर और अन्तिम साक्ष्य, बाकी सब खैरियत है, एलान गली जिन्दा है, यहाँ वितस्ता बहती है, अपने अपने कोणार्क तथा कथा सतीसर, राजी सेठ ने तत्सम तथा निष्कवच, निरूपमा सेवती ने पतझड़ की आवाजें, बटता हुआ आदमी, मेरा नरक अपना है तथा दहकन के पार, नासिरा शर्मा ने सात नदियाँ एक समुन्दर, शाल्मली, ठीकरे की मॅगनी, जिन्दा मुहावरे, अक्षयवट, कुइयाँजान, जीरो रोड, अजनबी जरीरा तथा बहिस्ते जहरा, चित्रा चतुर्वेदी ने महाभारती, तनया, वैजयंती तथा अम्बा नहीं मैं भीष्मा, प्रभा खेतान ने आओ पेपे घर चलें, तालाबंदी, अपने अपने चेहरे तथा पीली आंधी इत्यादि अनेक उपन्यासों की रचना की है।

मैत्रेयी पुष्पा ने अपने उपन्यासों में स्त्री संघर्ष को रेखांकित किया है। उन्होंने नारी के दु:ख-दर्द, संवेदनाओं और उसके संघर्ष को चित्रित किया है। चित्रा मुद्गल के उपन्यासों में महानगरीय बोध दृष्टिगोचर होता है। चित्रा मुद्गल के उपन्यास हाशिये पर खड़े लोगों के दर्द को प्रस्तुत करते हैं। गीतांजलिश्री, अलका सरावगी, नीरजा माधव, रमा सिंह, वीणा सिन्हा, मधु कांकरिया, जया जादवानी, महुआ माजी, पद्मा सचदेव सहित उन महिला साहित्यकारों की सूची बहुत बड़ी है, जिन्होंने अपने उपन्यासों से साहित्य जगत को समृद्ध किया है।

हिन्दी नाटक नाम आते ही हमारे जेहन में भारतेंदु हरिश्चन्द्र, जयशंकर प्रसाद, मोहन राकेश, धर्मवीर भारती आदि के नाम उभर कर आते हैं। भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने कई नाटक लिखे एवं कई नाटकों का अनुवाद किया। जयशंकर प्रसाद अपने ऐतिहासिक नाटकों के कारण साहित्य जगत में चर्चित हुए।

धर्मवीर भारती का अंधायुग नामक नाटक काफी प्रसिद्ध है। महिलाओं ने भी नाटक लेखन परम्परा में काफी योगदान दिया है। हिन्दी नाटक लेखन की परम्परा में डाॅ. कुसुम कुमार का महत्वपूर्ण स्थान है। कुसुम कुमार ने संस्कार को नमस्कार, दिल्ली ऊॅंचा सुनती है, सुनो शेफाली तथा लश्कर चौक आदि नाटकों को लिखा है। इन्होंने भ्र्ष्टाचार, नारी और दलित शोषण तथा निम्न वर्ग की समस्याओं जैसे विषयों को अपने नाटकों का विषय बनाया है। हिन्दी साहित्य में आधुनिक नाटककार के रूप में मीराकांत का विशेष स्थान है। ईहामृग, नेपथ्य राग, कंधे पर बैठा था शाप, काली बर्फ, उत्तर-प्रश्न आदि उनके प्रमुख नाटक हैं। शांति मेहरोत्रा बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार हैं। उन्होंने कविता, कहानी, नाटक और व्यंग्य सहित बहुत कुछ लिखा है। एक और दिन तथा ठहरा हुआ पानी इनके प्रसिद्ध नाटक हैं। मन्नू भण्डारी ने बिना दीवारों का घर, महाभोज और उजली नगरी चतुर राजा नामक नाटक लिखे हैं। हिन्दी साहित्य जगत में कहानीकार के रूप में चर्चित मृदुला गर्ग सशक्त नाटककार भी हैं। इनके नाटकों के केन्द्र में स्त्री और मध्यवर्गीय जीवन ही प्रमुख विषय के रूप में हैं। मृदुला गर्ग ने एक और अजनबी, जादू का कालीन तथा साम दाम दंड भेद आदि नाटकों का सृजन किया है। 

उपरोक्त साहित्यिक विधाओं के अतिरिक्त दोहा, सवैया, मुकरी, गज़ल, हाइकु, तांका, सेदोका, माहिया आदि अनेक ऐसी विधाएँ हैं, जिनको आगे बढ़ाने में महिला साहित्यकारों का योगदान रहा है।

स्वतन्त्रता के बाद नारी लेखन में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है ।बदलते समय के साथ स्त्रियाँ अपनी पारम्परिक छवि तोड़कर आधुनिकता की बयार के साथ चल रही हैं। उनके जीने और सोचने की अवधारणाएं बदली हैं। पुरुषों की भाँति महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में दस्तक दी है और वे अपनी गरिमामयी स्थिति बनाकर निरन्तर आगे बढ़ रही हैं । उनकी अभिव्यक्ति के स्वर मुखर हुए हैं । साहित्य हो अथवा समाज उनकी सहभागिता हर जगह दृष्टिगोचर होती है । साहित्य की किसी भी विधा की बात की जाए, महिलाएं अपनी बौद्धिक सम्पदा से उसे समृद्ध करने का सराहनीय प्रयास किया है और इस दिशा वे आज भी अग्रसर हैं । अतः यह कहना समीचीन होगा कि साहित्य के क्षेत्र में महिला साहित्यकारों ने अभूतपूर्व भूमिका निभाईं है।

संदर्भ ग्रंथ सूची :

  • हिन्दी की क्लासिक कहानियाँ : महिला कथाकार / पुष्पपाल सिंह 
  • हिन्दी कहानी और महिला कहानीकार/ डा. उषा श्रीवास्तव 
  • सुभद्रा कुमारी चौहान की सम्पूर्ण कहानियाँ / डा. मधु शर्मा 
  • मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास साहित्य में शिक्षा समस्याएं : एक अध्ययन / सुवर्णा नरसू कांबले 
  • चित्रा मुद्गल के कथा साहित्य में महानगरीय बोध / सोनिया यादव 
  • हिन्दी के महिला नाटककार / आशा 
  • सजे गुलमोहर (तांका संग्रह) / सुदर्शन रत्नाकर

ये भी पढ़ें; Dalit Sahitya Mein Nari : दलित साहित्य में महिला लेखन - सुशीला टाकभौरे

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top