Dohe of Parshuram Shukla : Bal Satsai 20+ Bal Dohe

Dr. Mulla Adam Ali
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डॉ. परशुराम शुक्ल द्वारा रचित बाल सतसई से 20 दोहे आपके लिए प्रस्तुत है दोहा कोश में। बाल साहित्यकार परशुराम शुक्ल की सर्वोत्तम कृति बाल सतसई मानी जाती है।

Dohe of Parshuram Shukla : Bal Satsai Dohe in Hindi

Bal Satsai Dohe in Hindi

शिक्षकों, बच्चों को, अभिभावकों के लिए उपयोगी 20+ दोहे बाल सतसई संग्रहित किया गया है। प्रसिद्ध बाल साहित्यकार परशुराम शुक्ल द्वारा रचित बच्चों के लिए उपयोगी प्रेरणापद दोहे, छोटे बच्चों के लिए शिक्षाप्रद दोहे, Bal Satsai, Parshuram Shukla Ke Dohe, Children's Couplets, Doha Kosh, Hindi Kavita Kosh..

बाल सतसई / डॉ. परशुराम शुक्ल

Bal Satsai (Children's Couplets)


शाला तो अच्छी वही, दे व्यवहारिक ज्ञान।

इसी ज्ञान से बना था, भारत देश महान ।। 1 ।।


बच्चा पढ़ता ध्यान से, खेलकूद के साथ।

भूल करे समझाइये, बिना लगाये हाथ ।। 2 ।।


मारपीट से टूटता, बच्चों का विश्वास ।

नफरत उनमें जागती, ले बदले की आस ।। 3।।


शिक्षक में वह शक्ति है, दूर करे अज्ञान।

ज्ञान ज्योति कर प्रज्ज्वलित, गढ़ दे व्यक्ति महान ।। 4 ।।


ईश्वर से बढ़ कर करो, शिक्षक का सम्मान।

ईश्वर देता जिन्दगी, शिक्षक देता ज्ञान ।। 5 ।।


सच्चे शिक्षक को सदा, बच्चों पर विश्वास ।

मार-पीट से दूर रह, इनका करें विकास ।। 6 ।।


जैसे बच्चा खोजता, शिक्षक एक महान।

उसी तरह खोजें उसे, विद्याधर विद्वान ।। 7 ।।


सच्चे शिक्षक शिष्य पर, कभी न करते क्रोध।

क्रोध उन्हें क्यों आ रहा, इस पर करते शोध ।। 8 ।।


पढ़ना, लिखना, सीखना, हो जाता बेकार।

मन इनका रोता बहुत, जब पड़ती है मार।। 9।।


शिक्षक ने श्रीराम को, दिया अनोखा ज्ञान।

चरण छुवत, पूजा करत, यद्यपि वह भगवान ।। 10 ।।


सच्चा शिक्षक है वही, जिसके मन में राम।

पढ़ना लिखना छोड़कर, करे न दूजा काम ।। 11 ।।


एक भरा है ज्ञान से, दूजा शक्ति प्रधान ।

दोनों यदि मिल जायँ तो, भारत बने महान ।। 12 ।।


सोच-समझ कर कीजिये, शिक्षक से व्यवहार।

शिक्षक ने ठुकरा दिया, तो सब बंटाढार।। 13 ।।


सच्चे शिक्षक की सदा, यही एक पहचान।

समदर्शी वह सभी को, माने पुत्र समान ।। 14 ।।


बच्चे पर मत थोपिये, अपना उथला ज्ञान।

आप नहीं है भक्त भी, बच्चा है भगवान ।। 15 ।।


बच्चे के भीतर भरा, एक असीमित ज्ञान ।

इसको यदि समझो जरा, बच्चा बने महान ।। 16 ।।


कला और साहित्य का, इनमें छिपा विकास ।

सब कुछ सम्भव विश्व में, हो मन में विश्वास ।। 17 ।।


शिक्षा से बिल्कुल अलग, मानवता का ज्ञान।

होना जीवन में सफल, होता नहीं महान ।। 18 ।।


शिक्षा जो करवा सके, आत्मशक्ति का बोध।

स्वतः दूर होंगे सभी, लोभ, मोह अरू क्रोध ।। 19 ।।


शिक्षा जाकर खोलती, मन के बन्द कपाट ।

अन्तर्मन विकसित करे, सारे बन्धन काट ।। 20 ।।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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