Trilok Singh Thakurela Ke 10 Dohe in Hindi
Trilok Singh Thakurela Ke Dohe : त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी द्वारा स्वरचित दोहे आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है, पढ़िए और प्रतिक्रिया दीजिए।
त्रिलोक सिंह ठकुरेला के 10 बेहतरीन दोहे
(1)
सघन घटा विश्वास की, करती सब अनुकूल ।
शैल धरातल तोड़कर, खिलते कोमल फूल ।।
(2)
उसके ही सम्मान में, जीवित रहे प्रसंग ।
जिसने औरों के लिए, बरसाये रस-रंग ।।
(3)
व्यवहारों के दीप में, भर भावों का तेल ।
छा जायेगी दिव्यता, संशय का तम ठेल ।।
(4)
जिव्हा के मदमस्त हय, हाँको डाल लगाम ।
बढ़ो प्रेम के पंथ पर, सब कुछ हो अभिराम ।।
(5)
बड़ा मोहिनी मंत्र है, ढाई आखर प्यार ।
जिसके मोहक पाश में, बंध जाता संसार ।।
(6)
वही सुखी जो ढल सके, स्थिति के अनुरूप ।
गुलमोहर खिलते रहे , देख दुखों की धूप ।।
(7)
उद्यम का सूरज लिखे, मनचाही तकदीर ।
खारे सागर को मथे, दे घन को मृदु नीर ।।
(8)
करती हैं सब सिद्धियां, उनका ही अभिषेक ।
जिनके आभूषण रहे, विद्या, विनय, विवेक ।।
(9)
उगता सूरज प्रेम का, खिल जाती मन-झील ।
कंचन आभा देह पर, हर व्यवहार सुशील ।।
(10)
सुखदायक रहता सदा , सज्जन से अनुबंध ।
पुष्पों का सानिध्य-फल, प्रेम, रूप, रस, गंध ।।
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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