मेरी अभिलाषा : त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Dr. Mulla Adam Ali
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Meri Abhilasha Poem by Trilok Singh Thakurela

Meri Abhilasha Poem by Trilok Singh Thakurela

राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत सुपरिचित कुण्डलियाकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता "मेरी अभिलाषा" हिंदी में। माखनलाल चतुर्वेदी की लिखी प्रसिद्ध कविता पुष्प की अभिलाषा आपने पढ़े होंगे, कविता कोश में आज पढ़िए एक कवि की अभिलाषा क्या है। Meri Abhilasha Hindi Kavita, Kavita Kosh, Poetry in Hindi, Hindi Poem, My Desire poem in Hindi..

My Desire Hindi Poem by Trilok Singh Thakurela

मेरी अभिलाषा

चाह नहीं मैं मुखिया बनकर मंचों पर चढ़ इतराऊँ ।

चाह नहीं कवि सम्मलेन में मैं इठला इठला गांऊँ ।

चाह नहीं मैं चाटुकार बन अनुदानों पर बिछ जाऊँ ।

चाह नहीं है इस वसुधा पर मैं कवि-पदक कभी पाऊँ ।


ईश ! मुझे बस यह वर देना लिख दूँ ऐसे छंद अनेक ।

जिनको पढ़े मनुज विकसित हो और गुणों का हो अतिरेक ।।


- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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पुष्प की अभिलाषा | Pushp Ki Abhilasha | Makhanlal Chaturvedi | माखनलाल चतुर्वेदी Hindi Poem Bal Geet

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