विश्व पर्यावरण दिवस पर दो कविताएँ हिन्दी में : Paryavaran Diwas Poems

Dr. Mulla Adam Ali
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विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेष पर्यावरण संरक्षण पर आधारित दो कविताएँ, हिन्दी कविता में पर्यावरण पर निधि "मानसिंह" और रितु वर्मा की कविताएं हिन्दी में।

World Environment Day Poems in Hindi

World Environment Day Poems

पर्यावरण संरक्षण दिवस कविताएँ

पर्यावरण दिवस पर कैथल, हरियाणा से निधि मानसिंह की कविता "आओ हम धरा बचाए" और दिल्ली से रितु वर्मा की कविता "पर्यावरण" जून 5 विश्व पर्यावरण दिवस पर आपके लिए कविता कोश में प्रस्तुत है।

Nidhi Maansingh Poetry on Paryavaran Diwas in Hindi

आओ हम धरा बचाए

धरती माँ का श्रृंगार है पेड़

पेड़ ना कोई कटने पाए

रोके अब जंगल का कटना

आओं मिलकर धरा बचाए।


काट - काट इन पेड़ों को

हम मृत्यु पास बुलातें है

बढ़ती जनसंख्या पेड़ घटे

धरती माँ को रूलाते है।


इन बडे-बडे दरख्तों पर

किसी का छोटा छोटा बसेरा है

सांसो में जीवन भरते ये

लाते नित नया सवेरा है।


पपिहा, मोर गगन निहारें

खो गयें इन्द्रधनुष के रंग

तपती धरती सूरज जलता

बादल ना आए सावन संग।


आओं मिलकर कसम है खाए 

पेड़ों के रक्षक बन जाए 

चारों ओर फैले हरियाली 

सबके जीवन में हो खुशहाली। 

- निधि "मानसिंह" 

कैथल, हरियाणा 


Environment Day SpecialRitu Verma Poetry in Hindi

पर्यावरण

आओ हम सब मिलकर अपने इस पर्यावरण को चारों ओर हरा-भरा बनाए ...

जगह जगह पर जाकर हम भी पेड़ लगाए

कम हो रही वृक्षों की संख्या उसे बढ़ाए.. 

जन-जन में पौधों का हम भी महत्व समझाए ...

क्यों जरूरी है पेड़ों को बचाना उसे बताएं?

भीषण गर्मी में हमे छांव दे जाते है ...

और जीने के लिए हमे हर पहर 

आक्सीजन दे जाते है...

फिर भूख लगे तो खाने को ये 

फल भी दे जाते है...

और न जाने कितनी उपयोगी वस्तुएं

 ये हमें हर पल देते जाते है,

बिना कुछ लिए हम से ये हर समय बस अपना सब कुछ देते जाते है,

पेड़- पौधे से ही तो चारों ओर हरियाली है ...

सूर्य की तपती किरणों से ये हमे हर समय बचाती है,

हमारे आसपास के वातावरण में छाया ही छाया फैलाती है,

आ जाए चाहे कितनी भी आधुनिकता इस जग में चाहे कितनी भी उपकरणों पर पेड़ों का महत्व कभी ये कम नहीं कर पायेंगे...

भूल गए है लोग पेड़ों की कदर करना

भीषण गर्मी आकर ये हमे याद दिलाती है,

फिर भी हम सब पेड़ों के कीमती महत्व को समझ ही नही पाते है,

जब जरूरत हो पेड़ो से तो उसका लाभ उठाते है...

फिर उन्हीं पेड़ो की डालो को हाथो या पैरों तले बिन सोचे कुचल दिए जाते है,

कुछ पेड़ों को तो व्यर्थ समझकर बिना वजह काटते जाते है,

जबकि हर पौधे का इस जगत में अपना एक स्थान है,

इस पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में हर पौधे का अपना एक योगदान है।

- रितु वर्मा

नई दिल्ली

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