बाल कहानी बाला और बरगद बाबा हिंदी में बच्चों के लिए निधि मानसिंह की कहानी बाला और बरगद बाबा, छोटे बच्चों के लिए कहानियां। Bal Kahani in Hindi.
Bal Kahani in Hindi by Nidhi Maansingh
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Bala aur Bargad Baba Children's Story in Hindi by Nidhi Maansingh
बाला और बरगद बाबा
बाला एक नेक दिल और ईमानदार बच्चा था। उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थें। उसकी दादी ने ही उसका पालन - पोषण किया। वह गांव के लोगों के पशुओं को चराने का काम करता था। यही उसकी रोजी-रोटी थी। वह रोज सुबह ऊपर पहाड़ पर पशुओं को चराने जाता और शाम को वापिस लेकर आता। पहाड़ पर वर्षो पुराने दो पेड़ थे, एक पीपल और दूसरा बरगद का। बाला हमेशा बरगद के पेड़ के नीचे ही बैठता था वह बरगद के पेड़ को "बरगद बाबा" कहकर बुलाता था। बरगद का पेड़ भी बाला को बहुत पसंद करता था। बरगद बाबा बहुत दयालु व परोपकारी थे सैकड़ों पक्षियों ने उन पर अपने घर बना रखें थे।
उनकी घनी लंबी-लंबी फैली शाखाओं के नीचे सभी पशु-पक्षी व मानव विश्राम करते थे। ये सब देखकर बरगद बाबा फूले नही समाते थें। लेकिन पीपल के पेड़ को बरगद बाबा से बहुत जलन होती थी। वो हमेशा बरगद बाबा को भला - बुरा कहता था। एक दिन पीपल के पेड़ ने बाला से पूछा -
कि बरगद के पेड़ में ऐसी क्या बात है? जो मुझमें नही तब बाला बोला - कि बरगद बाबा दयालु है परोपकारी है। सदैव दूसरों के बारे मे ही सोचते है। इसलिए सभी उन्हें पसंद करते हैं और आप पीपल महाराज घमंडी हो, स्वार्थी हो और सभी से ईर्ष्या करते हो। गांव के लोग आपकों देवता समझकर खाने की चींजे भेंट करते हैं लेकिन क्या आपने कभी उन खाने की चीजों को पशुओं या पक्षियों को खाने के लिए दिया, किसी को भी अपनी शाखाओं पर बैठने नही देते, किसी से प्रेम के साथ व्यवहार नहीं करते तो क्यों? कोई आपसे प्यार करेगा। बाला की ये सब बातें सुनकर पीपल को और भी गुस्सा आ जाता है, और पीपल बाला से कहता है - खबरदार आज के बाद कभी मेरे आस - पास भी दिखाई दिए तो?
शाम होने वाली थी, बाला अपनें पशुओं को लेकर और बरगद बाबा को अलविदा कहकर घर की ओर चल पड़ा। घर पहुंच कर उसे याद आता है कि आज दादी ने जो खाने के लिए पोटली दी थी वो तो बातों-बातों में बरगद बाबा की टहनी पर ही लटकी रह गई। यही सोचते - सोचते वह सो जाता है। हर रात परी लोक की परियां बरगद बाबा की लटकती हुई बेलों पर झूला झूलने आती थी, पूरी रात हंस - खेलकर सुबह होने से पहले ही लौट जाती थी। रोज की तरह आज भी परियां बरगद बाबा की बेलों पर झूलने लगी। आधी रात ही हुई थी कि परियों ने बरगद बाबा से कहा - कि बाबा आज हम सबको जल्दी लौटना होगा क्योंकि हमें भूख लगी है? तभी अचानक इच्छा परी को बरगद बाबा की शाख से लटकी एक पोटली दिखाई दी। इच्छा परी ने बरगद बाबा से पोटली के बारे में पूछा, तो वो बोलें - ये तो एक बहुत प्यारे बच्चें बाला की पोटली हैं। जो हर दिन यहां पशुओं को चराने आता है और आज अपनी पोटली भूल गया। परियों ने पोटली खोलकर उसमें रखा सारा खाना मिल - बाँटकर खा लिया। इच्छा परी ने बरगद बाबा से कहा - बाबा मै कल शाम होने से पहले ही बाला से मिलने के लिए आऊंगी और ये बोलकर परियां उड़ गई।
अगले दिन जब बाला पशुओं को लेकर पहाड़ पर पहुंचा तो बरगद बाबा ने परियों वाली पूरी बात बाला को बताई। बाला ये सुनकर बहुत खुशी हुई कि उसके रूखे - सूखे खाने से परियों की भूख शांत हो गई। धीरे-धीरे शाम होने लगी तभी अचानक बाला ने देखा कि तितली की तरह रंग - बिरंगे पंखों को हिलाती एक सुन्दर सी परी आसमान से उतर कर उसके पास आई, उसने बड़े प्यार से बाला के सिर पर हाथ फेरा और कहा - हमें तुम्हारा भोजन बहुत पसंद आया तुमने हमारी भूख शांत की है और हम सब बरगद बाबा से भी बहुत खुश हैं मै! तुम दोनों की एक - एक इच्छा पूरी करना चाहती हूं। मांगो क्या चाहिए? बरगद बाबा ने इच्छा परी से कहा - मुझे कुछ नही चाहिए मै ऐसे ही बहुत खुश हूँ। पीपल भी उन सब की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था तभी पीपल ने बरगद से कहा - आप तो बहुत दयालु है, अच्छे हैं अगर आपको परी का वरदान नही चाहिए तो कृपया अपने वरदान से मेरी इच्छा पूरी करवा दो? बरगद बाबा ने कहा - ठीक है और परी से पीपल की इच्छा पूरी करने के लिए कहा
परी ने पीपल से पूछा बताओं तुम्हारी क्या इच्छा है? पीपल ने परी से कहा - मै बरसों से एक ही जगह खड़ा - खड़ा थक गया मै! इस सुन्दर गांव की सैर चलकर करना चाहता हूं। परी ने छड़ी घुमाई और पीपल मिट्टी से निकलकर चलने लगा। अब परी ने बाला से उसकी इच्छा के बारे में पूछा तो बाला ने कहा - वह फिर कभी मांग लेगा। पीपल धीरे-धीरे चलने लगा उसकी खुशी का ठिकाना न था। शाम हो चुकी थी बाला भी घर लौट आया। पीपल अपने विशालकाय शरीर के साथ जिधर से गुजरता वहाँ सब कुछ तहस - नहस हो जाता। पशुओं में इंसानों में हाहाकार! मच गई सबके मकान टूट गये लोग कुल्हाडियां उठाकर पीपल को काटने के लिए निकल पड़े। पीपल घबरा गया और रोने लगा वह वापिस पहाड़ पर आ गया और बरगद बाबा से अपनी भूल की माफी मांगने लगा पीपल अपनी सहायता करने के लिए प्रार्थना करने लगा। बरगद बाबा बोले - अब तुम्हें समझ आया कि प्रकृति माता जो भी करती है सोच - समझकर करती है अगर हम उसके नियमों के विपरीत जायेगें तो परिणाम बुरा ही भुगतना पड़ेगा। तभी बाला बरगद बाबा के पास पहुंच जाता है और गांव की पूरी घटना बताता है। बरगद बाबा बाला से कहते हैं कि - अब तो इच्छा परी ही सब ठीक कर सकती है तभी बाला इच्छा परी को बुलाता है। इच्छा परी प्रकट होती है और पूछती है बाला मुझे क्यों बुलाया? बाला कहता है - इच्छा परी मुझे मेरा वरदान मांगना है परी कहती हैं ठीक हैं मांगों क्या चाहिए? बाला कहता है कि आप पीपल महाराज को पहले जैसा बना दीजिए यही मेरी इच्छा है। परी कहती हैं कि बाला तुम और बरगद बाबा बहुत नेक दिल हो दोनों सदैव दूसरों के बारे में ही सोचते हो, परी छड़ी घुमाती है और वहाँ से चली जाती है। पीपल महाराज पहले के समान ही हो जाते हैं अब पीपल को अपने किए पर शर्म आ रही थी लेकिन! उसने बरगद बाबा और बाला से वादा किया कि अब वह भी उन्हीं कि तरह दूसरों के हित के बारे में सोचेंगे। ये सुनकर बरगद बाबा और बाला को बहुत खुशी होती है। बाला बरगद बाबा से लिपट जाता है और अपनी आंखे बंद कर लेता है।
- निधि "मानसिंह"
कैथल हरियाणा
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