बढ़ती महंगाई पर बद्री प्रसाद वर्मा की बाल कहानी : Mahangai Bal Kahani

Dr. Mulla Adam Ali
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कमरतोड़ महंगाई पर बाल कहानी हिन्दी में आपके लिए प्रस्तुत है बद्री प्रसाद वर्मा की बाल कहानी महंगाई।

Bal Kahani Mahangai in Hindi

Bal Kahani Mahangai in Hindi

Children's Story Inflation in Hindi : बच्चों के लिए महंगाई के विषय पर बेहतरीन बाल कहानी, बद्री प्रसाद वर्मा की बाल कहानी बढ़ती मंहगाई पर आधारित कहानियां।

महंगाई पर बाल कहानी

 Inflation Story by Badri Prasad Verma

एक रात सब्जी मंडी में सारी सब्जियां खुले मैदान में बैठकर महंगाई पर विचार विमर्श कर रहे थे ।इस विचार विमर्श में आलू टमाटर प्याज पर सबकी नजर थी। 

महंगाई से सारी सब्जियां बहुत दुखी थी। क्यों कि सब्जियों की महंगाई से गरीबों के घर में सब्जी नहीं बन रही थी। 

  बैगन बोला हम सब सब्जियों के दाम इंसानों ने धन कमाने के लालच में इतना बढ़ा दिया कि हमें ताज्जुब हो रहा है। व्यापारियों की जमाखोरी से हम भी बहुत परेशान हैं। और दुखी भी हैं। 

तभी प्याज बोल पड़ा प्याज की महंगाई से कितने घरों में लोगों ने सलाद खाना बंद कर दिया।इसका हमें बहुत दुख है। जमाखोरों ने हमें बदनाम कर के रख दिया है।

 तभी आलू उठ कर कहने लगा अगर हमारा बस चलता तो मैं हर गरीब को मुफ्त में आलू खाने को देता,मगर क्या करु मेरा इसपर कोई बस नहीं कल तक जो आलू दस रुपया किलो बिक रहा था वही आलू आज चालीस रुपया किलो बिक रहा है। मेरा मासिक रातों रात करोड़ पति बन गया। इसका हमें अपार दुख हो रहा है। पर हम भी मजबूर हैं कुछ कर नहीं सकते हैं। 

तभी टमाटर उठकर कहने लगा हमारा मालिक तो सबसे जमाखोर है। किसानों से सस्ते दाम पर टमाटर खरीदकर उसे कोल्डस्टोर में रखवा दिया जब किसान का खेत खाली हो गया तो उसी टमाटर को आज छ गुना दाम पर बेच रहा है 100 रुपया से एक सौ पचास रुपया किलो बिक रहा है। 

हमारा मालिक तो एक नम्बर का जल्लाद है सबका खून चूस रहा है। 

  तभी हरा मिरची उठकर कहने लगा हमारी भी कीमत आसमान छू रही है दस रुपया पाव बिकने वाला मिर्ची आज चालीस रुपया पाव बिक रहा है। हमारे मालिक में तो दया नाम की कोई चीज नहीं है। हमारा मालिक भी एक नम्बर का हैवान है। 

तभी परवल उठ कर कहने लगा हमें भी महंगाई देखकर रोना आ रहा है। कल तक जो परवल बीस रुपया किलो था आज वही परवल अस्सी रुपया किलो बिक रहा है ।

हम भी अपने बेईमान मालिक से अत्यंत दुखी हूं ।हमें दया आती है उन गरीबों पर जो दुकानदार से भाव पूछकर चले जाते हैं। महंगाई ने तो सबकी कमर तोड़कर रख दी है। अब भला गरीब क्या सब्जी खाएगा। 

 तभी भिन्ड़ी उठकर कहने लगी हम सब्जियों की महंगाई से सब्जी मंडी में हा हा कार मचा हुआ है। कल तक जो भिन्ड़ी बीस रुपया किलो बिक रहा था आज पचास रुपया किलो बिक रहा है। हमें दुख इस बात का है कि आज सब्जी मंडी में एक भी सब्जी सस्ती नहीं है। जो गरीब खरीद कर खा सके। 

तभी गोभी उठकर कहने लगा हम सब महंगाई से बहुत परेशान है। जो गोभी चालीस पचास रुपया किलो बिक रहा था वह गोभी हमारा मालिक 125 रुपया किलो बेच रहा है।हमारा भी मालिक सबसे बड़ा जमाखोर है।

मैं सभी सब्जी भाई बहनों से कहना चाहता हूं कि सब्जियों के सारे जमाखोर ऐसे नहीं मानेंगे हमें ही कुछ करना होगा। मेरी राय है हम सीरी सब्जियां सड़ना शुरु कर दें ।इससे हमारे जमाखोर बेईमान मालिक का जब घाटा जाएगा तब उनको अकल आएगी। और सब्जियों के दाम बढ़ाना बंद कर देंगे। 

 गोभी की बात सभी सब्जियों को बहुत पसंद आई। 

अगले दिन से सारी सब्जियों ने सड़ना शुरु कर दिया। 

सब्जियों के सड़ने से सब्जी मंडी में हा हा कार मच गई। 

सभी व्यापारियों का लाखों करोड़ो का नुकसान होने लगा। 

व्यापारियों का नुकसान देख कर सारी सब्जियां आपस में खूब खुशी मनाने लगीं। 

एक रोज आलू अपने मालिक से बोला जब तक आप लोग सब्जियों के दाम नहीं कम करेंगे तब तक हम सारी सब्जियां आप सब को घाटा दिलाते रहेंगे। आप लोग सब्जियों का मनमाना दाम जब तक बढ़ाना नहीं छोड़ेंगे तब तक हम सारी सब्जियां इसी तरह सड़ कर आप सब को घाटा दिलाते रहेंगे ।

  आलू की बात को सुनकर सब्जियों के मालिक जमाखोरी करना छोड़कर सही रास्ते पर आ गए। और अगले दिन से सारी सब्जियों के दाम फिर पुराने रेट पर आ गए। गरीब अमीर सब अब सब्जी खरीद कर घर ले जाने लगे। 

  आलू की हिम्मत और बुद्धिमानी का सभी सब्जियां तारीफ करने लगी।

- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

गोरखपुर उ. प्र.

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