अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले वीर महिला रानी लक्ष्मीबाई जयंती पर विशेष कविता। झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जन्मदिन 19 नवंबर पर कविता हिंदी में।
Poem on Rani Laxmibai Jayanti
रानी लक्ष्मीबाई पर हिंदी कविता : डॉ. परशुराम शुक्ल की कविता रानी लक्ष्मीबाई पर पर विशेष, प्रतिनिधि बाल कविताएं से संग्रहित हिन्दी कविता रानी लक्ष्मी बाई के विषय पर बेहतरीन कविता। 19 नवंबर पर कविता।
Rani Laxmibai Jayanti Par Kavita
रानी लक्ष्मीबाई कविता / डॉ. परशुराम शुक्ल
आओ बच्चों ! तुम्हें सुनाएँ,
गाथा एक पुरानी ।
जिसने गोरों को ललकारा,
वह झाँसी की रानी।
सन अट्ठारह सौ पैंतिस में,
उसने जन्म लिया था।
कर न सका जो कोई अब तक,
ऐसा काम किया था।
मुँह बोली बहना नाना की,
साहस हिम्मत वाली।
वह तलवार चलाती ऐसे,
वार न जाता खाली।
तेरह वर्षों में बन बैठी,
गंगाधर की रानी।
झाँसी नगरी में आ पहुँची,
गढ़ने एक कहानी।
बाद मुत्यु के गंगाधर की,
उसने राज सम्हाला ।
जन-मन के जीवन में उसने,
फैलाया उजियाला।
लेकिन गोरे डलहौजी को,
रास नहीं वह आई ।
हड़प नीति से उसने झाँसी,
अपने राज मिलाई ।
रानी बेबस हुई मगर फिर,
दुर्गा सी हुंकारी।
सबक सिखाने अँग्रेजों को,
की उसने तैयारी।
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया,
को भी सबक सिखाया।
और दुष्ट ह्यूरोज तलक को,
उसने मार भगाया।
लेकिन गोरे चालबाज थे,
धोखे से आ घेरा।
चक्रव्यूह में उसे फँसाकर,
जग में किया अँधेरा।
ज्योतिपुंज बन झाँसी रानी,
ब्रह्म लोक में आई ।
जन्म लिया था जिस सत्ता से,
उसमें पुनः समाई ।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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