हिन्दी कविता कहाँ छुपाऊँ खुद को : Nidhi Maansingh Ki Kavitayein

Dr. Mulla Adam Ali
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Poetry in Hindi Kaha Chhupaun Khud Ko by Nidhi Maansingh Poetry, Best Poetry Collection in Hindi, Hindi Kavita Kosh.

Nidhi Maansingh Poetry

Nidhi Maansingh Poetry

कहाँ छुपाऊँ खुद को कविता : कैथल, हरियाणा से निधि मानसिंह की कविता आज आपके लिए प्रस्तुत कविता कोश में कहाँ छुपाऊँ खुद को।

Kavita Kaha Chhupaun Khud Ko

कहाँ छुपाऊँ खुद को


कैसे भूलूँ मै! तुम्हें

तुम्हारी यादों की परछाई

    हर पल मेरे साथ रहती हैं? 

सुबह- शाम चुपकें से आकर

मेरे कानों में तुम्हारी ही

       बात कहती है।

जब देता है ये सूरज

दस्तक मेरी चौखट पर

     तो यादों के इरोखों से

      तुम झांकते हो।

कहाँ छुपाऊँ मै! खुदा को तुमसे 

लगता है छुप - छुप के तुम 

        तांकते हो? 

इठलाकर लहराता है जब 

हवा मे मेरा आंचल तो, 

       तुम्हारी ही साँसों की 

          खुशबूं आती है। 

बस जाती है मेरें रोम - रोम में 

तुमसे मिलने को बहकाती है। 

         यूँ उठता है दिल में 

         तुम्हारी यादों का शोर 

कि मेरी आंखे डबडबा जाती है

     रूठकर जाते तो मना लाती 

    छोड़कर जाने वाले को 

कैसे वापस लाऊँ? 

   अब! ये जिन्दगी हमे 

     बहुत रूलाती है। 


- निधि "मानसिंह" 

कैथल, हरियाणा

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