दशहरा के विषय पर बेहतरीन कविता : विजय पर्व

Dr. Mulla Adam Ali
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दशहरा या विजयादशमी पर विशेष हिन्दी कविता आज कविता कोश में प्रस्तुत है प्रतिनिधि बाल कविताएं से संग्रहित डॉ. परशुराम शुक्ल की कविता विजय पर।

Poem on Dussehra in Hindi

Poem on Dussehra in Hindi

दशहरा पर हिंदी कविता : दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन या कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को यह त्योहार मनाया जाता है, दशहरा या विजयदशमी का दिन असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई और अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक माना जाता है। आज ऐसे प्रमुख त्यौहार विजयदशमी पर कविता विजय पर्व।

Poem on Vijaya Dashami in Hindi

विजय पर्व / डॉ. परशुराम शुक्ल


मानवता की रक्षा करने,

राम धरा पर आये ।

मर्यादा पुरूषोत्तम बन कर,

सारे जग में छाये ।

दैत्यराज लंकापति रावण,

इसी काल में आया।

कर विध्वंस धरा पर उसने,

हाहाकार मचाया।

मारा ऋषियों-मुनियों को भी,

अकल गयी थी मारी।

हर सीता को कर ली उसने,

मिटने की तैयारी।

लौटा दो सीता माता को,

यह सबने समझाया।

अन्त बुरा है बुरे काम का,

सबने उसे बताया।

शक्ति और सत्ता का स्वामी,

मानवता क्या जाने ?

मानवता की परमशक्ति को,

पापी क्या पहचाने ।

रावण के सर पर सवार था,

विकट काल का साया।

युद्ध भूमि में आकर पापी,

राघव से टकराया।

घोर युद्ध फिर शुरू हो गया,

राम और रावण में।

लगा प्रलय होने वाली है,

अभी किसी भी क्षण में।

दिव्य शस्त्र सब व्यर्थ कर दिये,

रावण बड़ा निराला।

तब राघव ने अग्निबाण से,

उसका वध कर डाला।

मानवता के सम्मुख कोई,

कभी नहीं टिक पाता।

जो टकराता मानवता से,

निज अस्तित्व मिटाता ।

राम और रावण का जग में,

नहीं दूर का नाता ।

राम मारते जब रावण को,

विजय पर्व कहलाता ।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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