प्रति वर्ष 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है, किताबों को पढ़ने के लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है, कॉपीराइट डे लेखकों के लिए अपने पुस्तकों पर अधिकार के बारे में जानकारी के लिए मनाया जात है, इस अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक दिवस पर आपके लिए एक कविता।
Poem on World Book and Copyright Day
विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) पर विशेष पुस्तक मेला : डॉ. परशुराम शुक्ल की कविता विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष कविता पुस्तक मेला। प्रतिनिधि बाल कविताएं से संग्रहित बाल कविता पुस्तक मेला, किताबों के महत्व पर हिंदी कविता, पुस्तक बाजार पर कविता, कविता कोश में प्रस्तुत है पुस्तक पर कविता।
Vishwa Pustak Diwas Par Kavita : Pustak Mela
पुस्तक मेला / डॉ. परशुराम शुक्ल
पापा पापा चलो घूमने,
दिल्ली पुस्तक मेला।
दुनिया भर की पुस्तक वाला,
यह मेला अलबेला ।।
पापाजी तैयार हो गये,
सुन कर बात हमारी।
अगले दिन हमने कर डाली,
चलने की तैयारी।
लेकर टिकट रेल का हम सब,
बच्चे दिल्ली आये ।
साथ पुस्तकें ले जाने को,
थैले भी संग लाये ।
देश-देश की सजी पुस्तकें,
और भीड़ थी भारी।
इस विशाल मेले ने खोली,
आँखों बन्द हमारी ।
हिन्दी, उर्दू, अँग्रेजी के,
साथ कई भाषाएँ ।
लगीं पुस्तकें इतनी ज्यादा,
देख नहीं हम पाएँ।
गीत, गजल से विश्वकोश तक,
खींचे ध्यान हमारा।
कितना लिखता पढ़ता ये जग?
सोचे बिट्टू प्यारा।
तीन दिनों में देख सके हम,
लगी पुस्तकें सारी।
और खरीदी में चौथे दिन,
खाली जेब हमारी ।
थैले भरे पुस्तकों से थे,
बोझ हो रहा भारी।
मन करता था और खरीदें,
लेकिन थी लाचारी।
लेकर अपने-अपने थैले,
हम सब वापस आये ।
जो सुख मिला पुस्तकें लेकर,
अनपढ़ समझ न पाये ।
ज्ञान भरा है इनमें कितना,
हम कै से पहचानें?
इनको पढ़ने से क्या मिलता?
पढ़ने पर ही जानें ।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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