Children's Poems in Hindi: बादल

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Children's Poem on Baadal

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Hindi Bal Kavita Badal

बादल


गोरे बादल, काले बादल,

नभ पर कितने सारे बादल ।

कभी जोर से गर्जन करते,

कभी मौन बेचारे बादल ।

गर्मी से तपती धरती पर,

शीतल पवन चलाते बादल ।

सूखे पेड़ हरे हो जाते,

ऐसा जल बरसाते बादल ।

चातक, मोर, पपीहा, नाचे,

देख दूर से आते बादल ।

जंगल में मंगल हो जाता,

जब नभ पर छा जाते बादल ।

सारे जग की प्यास बुझाते,

इतना नीर बहाते बादल ।

नाले, नदियाँ और समन्दर,

ऊपर तक भर जाते बादल ।

इन्द्रधनुष के रंग लुटाते,

पहला पाठ पढ़ाते बादल ।

करो सदा धरती की सेवा,

हमको ये सिखलाते बादल ।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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