Children Poems in Hindi Baadal, Cloud Poem, Bal Kavita Kosh, Hindi Poetry, Pratinidhi Bal Kavitayein, Dr. Parshuram Shukla Poetry in Hindi for Kids Poems.
Hindi Children's Poem on Baadal
Hindi Bal Kavita Badal
बादल
गोरे बादल, काले बादल,
नभ पर कितने सारे बादल ।
कभी जोर से गर्जन करते,
कभी मौन बेचारे बादल ।
गर्मी से तपती धरती पर,
शीतल पवन चलाते बादल ।
सूखे पेड़ हरे हो जाते,
ऐसा जल बरसाते बादल ।
चातक, मोर, पपीहा, नाचे,
देख दूर से आते बादल ।
जंगल में मंगल हो जाता,
जब नभ पर छा जाते बादल ।
सारे जग की प्यास बुझाते,
इतना नीर बहाते बादल ।
नाले, नदियाँ और समन्दर,
ऊपर तक भर जाते बादल ।
इन्द्रधनुष के रंग लुटाते,
पहला पाठ पढ़ाते बादल ।
करो सदा धरती की सेवा,
हमको ये सिखलाते बादल ।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
ये भी पढ़ें; Children's Poem on River in Hindi: नदी