हिन्दी बाल कविता: भालू और मदारी

Dr. Mulla Adam Ali
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Bal Kavita Bhalu aur Madari

Bal Kavita Bhalu aur Madari

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Children's Poem Bhalu aur Madari

भालू और मदारी

एक मदारी भालू लेकर,

नये शहर में आया।

बीच डगर से थोड़ा हट कर,

अपना खेल जमाया।।

सबसे पहले डमरू लेकर,

डम डम उसे बजाया।

फिर अपनी आवाज बदलकर,

जोर-जोर चिल्लाया।।

बच्चों ने आवाज सुनी तो,

काम छोड़ कर भागे ।

रेल पेल भी शुरू हो गयी,

कैसे पहुँचे आगे ।।

भारी भीड़ देख बच्चों की,

चतुर मदारी बोला।

कालू बेटा राम-राम कर,

बन जा बच्चा भोला ।।

कालू ने कर राम-राम फिर,

अपना मुँह फैलाया।

एक पैर से खड़ा हो गया,

जम कर नाच दिखाया ।।

टोपी लाल लगा कर उसने,

करतब नये दिखाये ।

उसके खेल देख कर बच्चे,

फूले नहीं समाये ।।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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