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Bal Kavita Mangal Grah Jayenge
Hindi Children's Poem on Mars
मंगल ग्रह जाएँगे
हाल देख कर वन उपवन के,
सारे पशु घबराये ।
मीटिंग करने इसी बात पर,
नदी किनारे आये ।।
सबसे पहले बोला हाथी,
'कैसे काम चलाऊँ ?
पेड़ कटे जंगल के सारे,
बोलो मैं क्या खाऊँ ?'
भालू गीदड, हिरन आदि के,
पैरों पड़े फफोले ।
कहाँ जाये हम ? कहाँ जायें हम ?
सब माइक पर बोलो ।।
तभी दुखी हो बन्दर बोला ।।
यहाँ न रह पाएँगे ।
मानव अभी मंगल पर,
मंगल ग्रह जाएँगे ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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