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Hindi Children's Poem Basta
Hindi Bal Kavita Basta
बस्ता
मम्मी कैसे इसे उठाएँ,
बस्ता मेरा भारी ।
रोज लादना पड़ता इसको,
यह मेरी लाचारी ।।
बीस किताबें और कापियाँ,
कैसे इसे उठाऊँ ?
मन करता है छुट्टी लेकर,
बिस्तर पर सो जाऊँ ।।
थक जाता मैं इसे उठा कर,
खेल नहीं फिर पाता।
पढ़ना लिखना भी मुश्किल है,
इतना मुझे सताता ।।
जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता,
बस्ता बढ़ ता जाता ।
मजबूरी में छोटा बच्चा,
फिर भी इसे उठाता ।।
बस्ता और पढ़ाई दोनों,
में यह कैसा नाता ?
बस्ते के कारण ही बच्चा,
पढ़ने से घबराता ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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