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Bal Kavita Charo Khane Chitt
Charo Khane Chitt Children's Poem
चारों खाने चित्त
सड़क पार करता राजेन्दर,
गाड़ी से टकराया।
चारों खाने चित्त गिरा वह,
कुछ भी समझ न पाया।
पुलिस आ गई, भीड़ हो गई,
सन्नाटा सा छाया ।
इसी भीड़ के कुछ लोगों ने,
अस्पताल पहुँचाया ।।
चार दिनों के बाद उसे जब,
होश जरा सा आया।
टूटा हाथ फटा सर उसका,
बायाँ पैर गँवाया ।।
राजेन्दर ने देखी अपनी,
अंग-भंग सब काया।
पागल-सा फिर बड़ी जोर से,
वह रोया-चिल्लाया ।।
राजेन्दर से शिक्षा लेकर,
दुर्घटना से डरना।
बिन देखे दायें-बायें तुम,
सड़क पार मत करना ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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