प्रतिनिधि बाल कविता: चारों खाने चित्त

Dr. Mulla Adam Ali
0

Children Poems in Hindi Charo Khane Chitt, Bal Kavita Kosh, Hindi Poetry, Pratinidhi Bal Kavitayein, Dr. Parshuram Shukla Poetry in Hindi for Kids Poems.

Bal Kavita Charo Khane Chitt

Charo Khane Chitt kavita

Charo Khane Chitt Children's Poem

चारों खाने चित्त


सड़क पार करता राजेन्दर,

गाड़ी से टकराया।

चारों खाने चित्त गिरा वह,

कुछ भी समझ न पाया।

पुलिस आ गई, भीड़ हो गई,

सन्नाटा सा छाया ।

इसी भीड़ के कुछ लोगों ने,

अस्पताल पहुँचाया ।।

चार दिनों के बाद उसे जब,

होश जरा सा आया।

टूटा हाथ फटा सर उसका,

बायाँ पैर गँवाया ।।

राजेन्दर ने देखी अपनी,

अंग-भंग सब काया।

पागल-सा फिर बड़ी जोर से,

वह रोया-चिल्लाया ।।

राजेन्दर से शिक्षा लेकर,

दुर्घटना से डरना।

बिन देखे दायें-बायें तुम,

सड़क पार मत करना ।।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

ये भी पढ़ें; हिन्दी बाल कविता कोश: गुड़िया

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top