Bal Kavita In Hindi: सूरज पाना है

Dr. Mulla Adam Ali
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Suraj Pana Hai Bal Kavita

Children Poems Suraj Pana Hai

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सूरज पाना है


मैं नन्हा सा अंकुर मुझको,

सूरज पाना है।

आँधी पानी तेज हवाएँ,

शीत लहर तूफानी

जाना मुझको दूर बहुत है,

राह बड़ी अनजानी ।

चारों तरफ बवंडर फिर भी,

जड़ें जमाना है ।। सूरज...

फूल हमेशा कभी खिले बस,

एक बार खिलता है ।

यह जीवन ऐसा जीवन जो,

एक बार मिलता है ।

इस छोटे से जीवन में कुछ,

कर दिखलाना है ।। सूरज...

मेरे जैसे और बहुत से,

अंकुर जग में होंगे।

अंधकार से घबराये वे,

सह मे - सह मे होंगे ।

इनके भीतर कुछ करने की,

अलख जगाना है ।। सूरज...

धरती हरी-भरी होगी जब,

अंकुर महकेंगे ।

इनके मन में रहने वाले,

पक्षी चहकेंगें।

मैंने ठान लिया है सारा,

जग महकाना है ।। सूरज...

मैं नन्हा सा अंकुर मुझको,

सूरज पाना है।


- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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