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Suraj Pana Hai Bal Kavita
Children Poems Suraj Pana Hai
सूरज पाना है
मैं नन्हा सा अंकुर मुझको,
सूरज पाना है।
आँधी पानी तेज हवाएँ,
शीत लहर तूफानी
जाना मुझको दूर बहुत है,
राह बड़ी अनजानी ।
चारों तरफ बवंडर फिर भी,
जड़ें जमाना है ।। सूरज...
फूल हमेशा कभी खिले बस,
एक बार खिलता है ।
यह जीवन ऐसा जीवन जो,
एक बार मिलता है ।
इस छोटे से जीवन में कुछ,
कर दिखलाना है ।। सूरज...
मेरे जैसे और बहुत से,
अंकुर जग में होंगे।
अंधकार से घबराये वे,
सह मे - सह मे होंगे ।
इनके भीतर कुछ करने की,
अलख जगाना है ।। सूरज...
धरती हरी-भरी होगी जब,
अंकुर महकेंगे ।
इनके मन में रहने वाले,
पक्षी चहकेंगें।
मैंने ठान लिया है सारा,
जग महकाना है ।। सूरज...
मैं नन्हा सा अंकुर मुझको,
सूरज पाना है।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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