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Bal Kavita Dada Ki Yaad
Children's Poem Memories of Grandfather
दादा की याद
चले गये क्यों दूर बहुत तुम,
छोड़ मुझे यूँ दादा।
तोड़ लिया क्यों रिश्ता मुझसे,
तोड़ दिया क्यों वादा ।।
तुम कहते थे बहुत दूर तक,
साथ तुम्हारा दूँगा।
जो भी काँटे मिले राह में,
मैं उनको कुचलूँगा ।।
तुम कहते थे पढ़ लिखकर तुम,
जग में नाम कताओ ।
जैसे तारे नील गगन में,
धरती पर छा जाओ ।
मैंने कहना मान तुम्हारा,
देखो सब कुछ पाया।
लेकिन खोकर तुमको दादा,
मन मेरा भर आया ।।
आज रो रहा हूँ मैं बैठा,
मुझको धैर्य बँधाओ ।
वैसे अगर नहीं आ सकते,
सपनों में आ जाओ ।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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