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Vah Insaan Banega Bal Kavita
Childrens Poem Vah Insaan Banega
वह इन्सान बनेगा
शीश उठा कर चलना बच्चो,
सहज सरल बन रहना।
कोई कहे आपको कुछ भी,
आप नहीं कुछ कहना।।
करें आपसे घृणा सभी पर,
आप घृणा मत करना।
दृढ़ संकल्पी बन कर बच्चो !
उनकी सोच बदलना ।।
देखो सपने ऊँचे हरदम,
उच्च विचार बनाना ।
करो प्रतीक्षा सदा धैर्य से,
कभी नहीं घबराना ।।
इतना सबल बनाओ खुद को,
अपने नैतिक बल पर ।
करे न टकराने का साहस,
धरती का कोई नर ।।
जीत हार दोनों ही भ्रम हैं,
ऐसा निश्चित मानो ।
कर्म करो निष्काम भाव से,
अपने को पहचानो ।।
तो यह विश्व, विश्व में जो कुछ,
सभी आपका होगा।
छिपा हुआ जो दानव मन में,
वह इन्सान बनेगा ।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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